उत्तर प्रदेश के कानपुर की सीसामऊ सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर अब सस्पेंस खत्म हो गया है. हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक बड़ा फैसला सुनाते हुए निवर्तमान विधायक इरफान सोलंकी को राहत देने से साफ इनकार कर दिया है. इसका मतलब ये है कि अब इस सीट पर उपचुनाव कराए जा सकते हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान इरफान सोलंकी को दोषी करार दिए जाने और 7 साल की सजा के ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है.हालांकि, कोर्ट ने आगजनी के इस मामले में इरफान सोलंकी की जमानत मंजूर कर ली है.
कोर्ट के इस फैसला का क्या है मतलब ?
इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले का असर साफ तौर पर इरफान सोलंकी के राजनीतिक करियर पर पड़ेगा. आपको बता दें कि इरफान सोलंकी फिलहाल विधानसभा के सदस्य हैं. लेकिन अब जब कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से दोषी करार दिए जाने के फैसले पर रोक नहीं लगाने का फैसला किया है तो ऐसे में इरफान सोलंकी की विधानसभा सदस्यता अब बहाल नहीं की जा सकेगी. अब ऐसे में इस सीट पर 20 नवंबर को तय समय पर भी उप-चुनाव के तहत इस सीट पर भी मतदान कराए जाएंगे.
इरफान सोलंकी ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में दी थी चुनौती
आपको बता दें सीसामऊ सीट से विधायक रहे इरफान सोलंकी ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की थी. लेकिन अब हाईकोर्ट ने उनके मामले की सुनवाई करते हुए जो आदेश दिया है वो इरफान सोलंकी के हक में नहीं रहा है. आपको बता दें कि इरफान सोलंकी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि अंतिम फैसला आने तक वो ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दें. वहीं, दूसरी तरफ यूपी सरकार ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल कर इरफान को मिली सात साल की सजा को बढ़ाकर उम्र कैद में तब्दील किए जाने की मांग की थी.
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