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संभल हिंसा रिपोर्ट: कठघरे में सपा सांसद बर्क समेत ये 3 किरदार, 24 नवंबर को कैसे झुलसा शहर

सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि दंगों की आड़ में धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया गया. संभल के 68 तीर्थ स्थलों और 19 पावन कूपों पर कब्जे की घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा गया कि यह सब योजनाबद्ध तरीके से किया गया.

संभल हिंसा रिपोर्ट: कठघरे में सपा सांसद बर्क समेत ये 3 किरदार, 24 नवंबर को कैसे झुलसा शहर
  • संभल में हुई हिंसा पूर्वनियोजित और षड्यंत्र के तहत हुई थी ऐसा रिपोर्ट में कहा गया है
  • सांसद बर्क के विवादित भाषण ने तुर्क और पठान समुदाय के बीच तनाव बढ़ाकर दंगे की चिंगारी भड़काई थी
  • दंगों के दौरान धार्मिक स्थलों को निशाना बनाने की योजना थी
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नई दिल्ली:

संभल में 24 नवंबर को हुई हिंसा पर तीन सदस्यीय समिति की 450 पन्नों की रिपोर्ट ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट के अनुसार, यह हिंसा अचानक भड़की नहीं थी, बल्कि पूर्वनियोजित और षड्यंत्र का नतीजा थी. रिपोर्ट में कई राजनीतिक और धार्मिक किरदारों की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं, जो अब कठघरे में खड़े हैं. सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट में 24 नवंबर के दिन भड़की हिंसा को लेकर संभल से समाजवादी पार्टी सांसद जियाउर रहमान बर्क के भड़काऊ बयान को बड़ी वजह करार दिया गया है.

सांसद बर्क का भाषण और हिंसा की चिंगारी

सूत्रों के अनुसार, 22 नवंबर को सांसद ज़िया-उर-रहमान बर्क ने नमाजियों को संबोधित करते हुए जहरीला भाषण दिया था. उन्होंने कहा था, “हम इस देश के मालिक हैं, नौकर-गुलाम नहीं. मस्जिद थी, है और कयामत तक रहेगी. अयोध्या में हमारी मस्जिद ले ली गई, यहां ऐसा नहीं होने देंगे.”

कन्वर्टेड हिंदू पठानों ने इस बयान का विरोध किया, जिससे तुर्क और पठान समुदाय आमने-सामने आ गए. 24 नवंबर को यही तनाव बड़े दंगे में बदल गया. रिपोर्ट कहती है कि सांसद बर्क, विधायक के पुत्र सुहैल इकबाल और जामा मस्जिद की इंतेज़ामिया कमेटी के पदाधिकारियों ने मिलकर इस साजिश को अंजाम दिया.

योजनाबद्ध तरीके धार्मिक स्थलों को किया गया टारगेट

रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि दंगों की आड़ में धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया गया. संभल के 68 तीर्थ स्थलों और 19 पावन कूपों पर कब्जे की घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा गया कि यह सब योजनाबद्ध तरीके से किया गया. हरिहर मंदिर पर कब्जे के प्रयासों का भी जिक्र है, जिससे बाबर काल की यादें ताजा हो गईं. योगी सरकार ने इन तीर्थ स्थलों और पावन कूपों के पुनरुद्धार के लिए योजना बनाई और 30 मई 2025 को इसका शिलान्यास किया.

दंगे की कैसे हुई प्लानिंग 

रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दंगा भड़काने के लिए बाहरी उपद्रवियों को बुलाया गया था. हिंदू मोहल्लों को टारगेट करने की योजना थी, लेकिन पुलिस की सख्त तैनाती की वजह से यह मंसूबे पूरे नहीं हो सके. रिपोर्ट बताती है कि पठान और तुर्कों के बीच हुई क्रॉस फायरिंग में चार लोग मारे गए, जबकि हिंदू बहुल इलाकों में बड़े नुकसान की योजना विफल रही.

कर्फ्यू और सुरक्षा व्यवस्था का इतिहास

रिपोर्ट के मुताबिक, 1936 से 2019 तक संभल में कुल 73 दिन कर्फ्यू रहा. 1948 में 20 दिन, 1978 में 30 दिन और 2019 में सीएए उपद्रव के दौरान 6 दिन कर्फ्यू लगाया गया. इस बार पुलिस की सख्ती से हालात जल्दी काबू में आ गए.

आतंकी नेटवर्क और अवैध हथियारों की भी थी भूमिका

रिपोर्ट में संभल को आतंकी संगठनों के अड्डे के तौर पर चिन्हित किया गया है. अलकायदा और हरकत-उल-मुजाहिद्दीन जैसे संगठनों की गतिविधियों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि अवैध हथियार और नारकोटिक्स गैंग पहले से सक्रिय हैं. अमेरिका ने जिस मौलाना आसिम उर्फ सना-उल-हक को आतंकवादी घोषित किया था, उसका कनेक्शन भी सम्भल से बताया गया है. 

सम्भल का कैसे बदल गया है डेमोग्राफी

रिपोर्ट में सम्भल की बदलती डेमोग्राफी पर भी विस्तार से चर्चा है. आजादी के समय संभल नगर पालिका क्षेत्र में 55% मुस्लिम और 45% हिंदू थे, लेकिन आज हिंदुओं की संख्या घटकर सिर्फ 15% रह गई है, जबकि मुस्लिम आबादी बढ़कर 85% हो गई है.

रिपोर्ट कहती है कि लगातार हुए दंगे और तुष्टिकरण की राजनीति ने सम्भल के सामाजिक ताने-बाने को पूरी तरह बदल दिया. 1947 से 2019 तक सम्भल में 15 बड़े दंगे हो चुके हैं. इन सभी में सबसे ज्यादा नुकसान हिंदू समुदाय को ही झेलना पड़ा.

विधानसभा में मचेगा सियासी तूफान

450 पन्नों की इस रिपोर्ट को पहले कैबिनेट में पेश किया जाएगा, फिर विधानसभा सत्र में रखा जाएगा. रिपोर्ट लीक होने के बाद से ही राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज है. माना जा रहा है कि यह रिपोर्ट प्रदेश और देश की राजनीति में भूचाल ला सकती है, क्योंकि इसमें कई बड़े नाम सीधे तौर पर कठघरे में खड़े किए गए हैं.

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