सीएम योगी आदित्यनाथ पर धमकाने का आरोप लगाते विपक्ष ने किया हंगामा, धरना- फाइल फोटो
लखनऊ:
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर विपक्ष को धमकी देने का आरोप लगाते हुए और प्रदेश में खराब कानून व्यवस्था को लेकर विधानपरिषद में गुरुवार को संपूर्ण विपक्ष ने जमकर हंगामा किया. इसके साथ ही सभापति के आसन के समक्ष बैठकर धरना दिया.
नारे लगाते हुए समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी के सदस्य सभापति के आसन के आगे आ गये और जोर जोर से सरकार विरोधी नारे लगाने लगे. हंगामे और नारेबाजी को देखते हुए सभापति ने पहले आधे-आधे घंटे के लिए दो बार उसके बाद दोपहर साढ़े तीन बजे तक विधानपरिषद की कार्यवाही स्थगित कर दी.
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हंगामे और नारेबाजी को देखते हुए सभापति ने पहले आधे-आधे घंटे के लिए दो बार उसके बाद दोपहर साढ़े तीन बजे तक विधानपरिषद की कार्यवाही स्थगित कर दी. आज सुबह ग्यारह बजे जैसे ही विधानपरिषद में प्रश्नकाल की शुरूआत होने को हुई, विपक्षी दल के नेता अहमद हसन ने कहा जिस तरह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को विधानसभा में विपक्ष को धमकाया है और नेता प्रतिपक्ष का माइक बंद करवाकर उन्हें बोलने से वंचित किया है, 'यह पूरी तरह से गलत है.'
उन्होंने कहा, 'सरकार प्रदेश में कानून व्यवस्था ठीक नहीं कर पा रही है और विपक्ष की आवाज दबा रही है.' इसी बीच समाजवादी पार्टी के सदस्य सुनील साजन, आनंद भदौरिया और राजू यादव नारे लगाने लगे कि विधानसभा में विस्फोटक पदार्थ नहीं मिला है बल्कि डिटर्जेंट पाउडर मिला है. 'डिटर्जेंट पाउडर वाली सरकार नहीं चलेगी.', 'गुंडागर्दी की सरकार नहीं चलेगी', ऐसे नारे लगाते हुए विपक्ष के सदस्य सभापति के आसन के आगे आ गये और जोर जोर से सरकार विरोधी नारे लगाने लगे. सभापति के बार बार कहने के बावजूद जब सदस्य अपने स्थान पर वापस नहीं लौटे तो उन्होंने पहले आधे घंटे के लिये साढ़े ग्यारह बजे तक फिर बारह बजे तक के लिये परिषद की कार्यवाही स्थगित कर दी.
दोपहर बारह बजे परिषद की कार्यवाही पुन:आरंभ हुई और फिर एक बार संपूर्ण विपक्ष सभापति के आसन के सामने खड़ा हो गया और जोर जोर से सरकार विरोधी नारे लगाते हुये सभापति के आसन के समक्ष धरने पर बैठ गया. जिस पर सभापति ने कार्यवाही एक बार फिर दोपहर साढ़े तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी.
नारे लगाते हुए समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी के सदस्य सभापति के आसन के आगे आ गये और जोर जोर से सरकार विरोधी नारे लगाने लगे. हंगामे और नारेबाजी को देखते हुए सभापति ने पहले आधे-आधे घंटे के लिए दो बार उसके बाद दोपहर साढ़े तीन बजे तक विधानपरिषद की कार्यवाही स्थगित कर दी.
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