
- कांवड़ यात्रा सावन के महीने में सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए तपस्या का अवसर होता है
- उत्तर प्रदेश सरकार कांवड़ियों की आस्था का सम्मान करने के लिए प्रयासरत है
- योगी आदित्यनाथ की सरकार में कांवड़ियों की सुरक्षा और आस्था का ध्यान रखा जा रहा है
- धर्म की बुनियाद सत्य है और कोई भी धर्म झूठ बोलने की इजाजत नहीं देता
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने एनडीटीवी से कांवड़ यात्रा के बारे में बात करते हुए कहा, "सावन का महीना सनातन धर्म के लोगों के लिए तपस्या का महीना होता है और इसे अग्नि परीक्षा के तौर पर भी देखा जाता है. उनकी भावनाएं उनकी आस्था और उनकी श्रद्धा इन सबका ध्यान रखा जाता है. इसी बीच उत्तर प्रदेश सरकार भी इसका ध्यान रख रही है. वैसे तो यूपी में योगी आदित्यनाथ से पहले भी कई सारे मुख्यमंत्री रहे हैं, जिनमें अखिलेश यादव, मुलायम सिंह यादव और मायावती का नाम शामिल है" .
उन्होंने कहा, "कांवड़ियों की आस्था का जो समाधान योगी आदित्यनाथ की सरकार में हो रहा है और उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद हो रहा है. वो अलग है. ऐसा इसलिए क्योंकि पहले कई बार हिंदुओं की आस्था पर कुठाराघात हुआ है. कांवड़ियों पर पत्थर पेंके गए हैं, उन पर आरोप लगाए हैं और उनके श्रद्धा भाव का सम्मान नहीं किया गया लेकिन अब ऐसा नहीं है. धर्म की बुनियाद सत्य होती है और जो सत्य को छुपाकर व्यापार करें या धर्म के साथ खड़ा हो वो गलत है".
आचार्य कृष्णम ने आगे कहा, "कोई भी धर्म ये नहीं कहता कि तुम सच मत बोलो... जब स्कूल जाते हैं तो भी आपका परिचय पत्र होता है जब आप नौकरी पर जाते हैं तो आपका परिचय पत्र होता है जब आप वोट देने जाते हैं तो भी आपके पास 1 परिचय पत्र होता है जब विदेश जाते हैं तो आपके साथ आपका पासपोर्ट होता है. अच्छा काम करने पर प्रोत्साहन के लिए भी नाम का पत्र मिलता है".
वह बोले, "हिंसा की इजाजत न तो सनातन देता है और न ही कोई और धर्म देता है लेकिन सारी हिंसा ही धर्म के नाम पर हो रही है और मैं किसी के भी पक्ष में नहीं हूं क्योंकि इस देश में कानून है लेकिन कोई एक्शन होगा तो उसका रिएक्शन होगा क्योंकि पहलगाम में धर्म पूछकर गोली मारी गई थी कपड़े उतार कर गोली मारी गई थी. ये दुख की बात है कि हिंदुओं पर अगर हमला होता है तो कोई कुछ नहीं बोलता है सब चुप रहते हैं. ये जो हो रहा है वो गलत है लेकिन ये भी आपको मानना पड़ेगा कि हर एक्शन का रिएक्शन होता है".
उन्होंने कहा, "जो नाम बदलकर दुकान चला रहे हैं वो खुद अपने इस्लाम धर्म का उल्लंघन कर रहे हैं क्योंकि झूठ बोलने की इजाजत मुस्लिम धर्म में नहीं हैं, क़ुरान में नहीं है. इस देश में हिंदू और मुस्लिम सब बराबर हैं तो फिर नाम लिखने से व्यापार खराब हो जाएगा ये किसने कहा है. आप अपनी पहचान छुपाते हैं तो ये हर दृष्टिकोण से गलत है".
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