आईपीएस अमिताभ ठाकुर की फाइल फोटो.
नई दिल्ली:
उत्तर-प्रदेश के चर्चित आइपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने सूबे के प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार को झूठा करार दिया है. उन्होंने अरविंद कुमार पर झूठ बोलकर अदालत को गुमराह करने का आरोप लगाया है. इस वक्त आईजी सिविल डिफेंस पद पर तैनात अमिताभ ठाकुर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के सामने लंबित एक अवमानना वाद को लेकर यह आरोप लगाया है.दरअसल अदालत ने आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर की प्रोन्नति से जुड़े मामले में 6 माह में शासन को निर्णय का आदेश दिया था, जिसका पालन नहीं होने पर प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार को तलब किया गया था.
प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने 12 नवंबर को अदालत में उपस्थित होकर कहा था कि उन्होंने अदालत के आदेश का पालन करते हुए अपना निर्णय पारित कर दिया है. अमिताभ ठाकुर ने अदालत को बताया कि गृह विभाग द्वारा जारी किए गए इस कार्यालय ज्ञापन में 24 फरवरी, 2018 के शासकीय पत्र का जिक्र किया गया है, जबकि ऐसा कोई पत्र गृह विभाग द्वारा कभी जारी ही नहीं किया गया. इसलिए उन्होंने अरविंद कुमार पर अदालत को गुमराह करने का आरोप लगाया.गुरुवार को इस मामले की सुनवाई में सरकारी वकील ने अतिरिक्त समय मांगा, जिस पर न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की पीठ ने 10 दिन के बाद सुनवाई के आदेश दिए हैं.
अखिलेश सरकार में निलंबित हुए थे अमिताभ ठाकुर
कर्तव्य में लापरवाही और अनुशासनहीनता बरतने के आरोप में अखिलेश सरकार में अमिताभ ठाकुर को निलंबित कर दिया गया था. इस पर उन्होंने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण का दरवाजा खटखटाया था. बाद में उन्हें 11 अक्तूबर 2015 से पूरे वेतन के साथ बहाल किया गया. जैसा कि केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण की लखनऊ पीठ ने निर्देश दिया था. प्रधान सचिव (गृह) देबाशीष पांडा के 11 मई 2016 के आदेश में कहा गया कि केंद्र सरकार ने अपने 31 मार्च 2016 के आदेश के जरिए निलंबन को रद्द कर दिया. गौरतलब है कि ठाकुर ने आरोप लगाया था कि सत्तारूढ़ सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने उन्हें धमकी दी थी. उन्हें पिछले जुलाई 2015 में राज्य सरकार ने निलंबित कर दिया था। (इनपुट-आईएएनएस से भी)
वीडियो- अगर इस्तीफा दिया तो गुंडे मुझे मार देंगे : अमिताभ ठाकुर
प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने 12 नवंबर को अदालत में उपस्थित होकर कहा था कि उन्होंने अदालत के आदेश का पालन करते हुए अपना निर्णय पारित कर दिया है. अमिताभ ठाकुर ने अदालत को बताया कि गृह विभाग द्वारा जारी किए गए इस कार्यालय ज्ञापन में 24 फरवरी, 2018 के शासकीय पत्र का जिक्र किया गया है, जबकि ऐसा कोई पत्र गृह विभाग द्वारा कभी जारी ही नहीं किया गया. इसलिए उन्होंने अरविंद कुमार पर अदालत को गुमराह करने का आरोप लगाया.गुरुवार को इस मामले की सुनवाई में सरकारी वकील ने अतिरिक्त समय मांगा, जिस पर न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की पीठ ने 10 दिन के बाद सुनवाई के आदेश दिए हैं.
अखिलेश सरकार में निलंबित हुए थे अमिताभ ठाकुर
कर्तव्य में लापरवाही और अनुशासनहीनता बरतने के आरोप में अखिलेश सरकार में अमिताभ ठाकुर को निलंबित कर दिया गया था. इस पर उन्होंने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण का दरवाजा खटखटाया था. बाद में उन्हें 11 अक्तूबर 2015 से पूरे वेतन के साथ बहाल किया गया. जैसा कि केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण की लखनऊ पीठ ने निर्देश दिया था. प्रधान सचिव (गृह) देबाशीष पांडा के 11 मई 2016 के आदेश में कहा गया कि केंद्र सरकार ने अपने 31 मार्च 2016 के आदेश के जरिए निलंबन को रद्द कर दिया. गौरतलब है कि ठाकुर ने आरोप लगाया था कि सत्तारूढ़ सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने उन्हें धमकी दी थी. उन्हें पिछले जुलाई 2015 में राज्य सरकार ने निलंबित कर दिया था। (इनपुट-आईएएनएस से भी)
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