- उत्तर प्रदेश में 2016 में सपा सरकार द्वारा पेश मदरसा बिल को कैबिनेट ने वापस करने की मंजूरी दी है.
- ल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने बताया कि 2016 में तत्कालीन सपा सरकार ने बिल को पेश किया था.
- बिल को राज्यपाल की मंजूरी के बाद राष्ट्रपति को भेजा गया था, लेकिन राष्ट्रपति ने क्वेरी लगाकर वापस कर दिया था.
उत्तर प्रदेश में मदरसों को असीमित अधिकार देने के मामले में 2016 में तत्कालीन सपा सरकार ने जो बिल पेश किया था, उसको वापस करने के लिए कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. इसके बाद इस प्रस्ताव को विधानसभा में पेश किया गया. इस बिल में मदरसा शिक्षकों की न ही जांच हो सकती थी और ना ही कार्रवाई का प्रावधान था. बिल वापसी के बाद पुलिस मदरसा शिक्षकों की जांच और गिरफ्तारी कर सकेगी. अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने एनडीटीवी से कहा कि इस बिल को राज्यपाल ने राष्ट्रपति को भेजा था, लेकिन राष्ट्रपति ने इस पर क्वेरी लगाकर वापस कर दिया था.
राजभर ने बताया कि इस बिल में प्रावधान था कि अगर मदरसे के शिक्षकों को 20 से 27 तारीख तक तनख्वाह नहीं दी गई तो संबंधित क्लर्क के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस बिल की विसंगति ये थी कि मुकदमा दर्ज होने के बावजूद पुलिस को किसी की गिरफ्तारी का अधिकार नहीं दिया गया था. यह संविधान से ऊपर जाकर किया गया फैसला था. ऐसे में सरकार ने बिल वापसी की सहमति दे दी है.
मदरसा नोट छापने के लिए नहीं खुले हैं: राजभर
इसके साथ ही राजभर सपा पर भी जमकर बरसे. उन्होंने बीजेपी के मदरसों के पीछे पड़े होने के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि मदरसा नोट छापने के लिए नहीं खुले हैं. कई जिलों में मदरसों में नकली नोट छापने की घटना सामने आई है.
कथावाचक इंद्रेश महाराज के बयान पर दिया ये जवाब
कथावाचक इंद्रेश महाराज के यदुवंश खत्म होने वाले बयान पर ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि मैं इतना ज्ञानी नहीं हूं कि यदुवंश है या खत्म हो गया, ये बता सकूं, लेकिन ये कह सकता हूं कि 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण का ज्यादा फायदा यादव लेते रहे हैं. इन्हें सत्ता में रहते हुए किसी पिछड़ी जाति का भला करना याद नहीं आया. उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट को यादवों की सरकार ने लागू नहीं होने दिया.
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