आजम खान के फौजियों पर बयान से विवाद शुरू हो गया है.
                                                                                                                        - आजम खान के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया हुई, बीजेपी ने निंदा की
 - अपने बयानों को लेकर अक्सर विवादों में रहते हैं आजम खान
 - बुलंदशहर रेप केस पर बयान के लिए सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी थी
 
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                                                                                लखनऊ: 
                                        यूपी के पूर्व मंत्री आज़म खान अपने बयान से एक बार फिर विवादों में आ गए हैं. इस बार उन्होंने फौजियों पर ऐसी टिप्पणी की है कि उससे बड़ा विवाद खड़ा हो गया है…और वे तमाम लोगों के निशाने पर हैं. खान साहब रामपुर में अवाम से मुखातिब थे. लेकिन ज़ुबान फिसल गई…कुछ ऐसा बोल गए जिस पर बवाल हो गया.
आजम खान ने कहा “महिला दहशतगर्द फौज के प्राइवेट पार्ट्स को काटकर साथ ले गए. उन्हें हाथ से शिकायत नहीं थी…सिर से नहीं थी…पैर से नहीं थी….जिस्म के जिस हिस्से से उनको शिकायत थी, उसे काट के ले गए…यह इतना संदेश है जिस पर पूरे हिंदुस्तान को शर्मिंदा होना चाहिए.”
आजम खान के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया हुई है, खासकर बीजेपी में. बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा “यह दिखाता है कि आज़म ख़ान जैसे लोगों की मानसिकता कितनी छोटी और विकृत है, और किस तरह का एक नरेटिव, एक कहानी पूरे देश में…भारत की आर्मी, संप्रभुता और भारत के इनडिपेंडेंस के खिलाफ प्रॉपगेट करना चाहते हैं. यह बहुत दुखद है. बीजेपी इसकी निंदा करती है.”
आज़म खान अपने बयानों को लेकर अक्सर विवाद में रहते हैं. बुलंदशहर रेप केस पर अपने बयान के लिए उन्हें सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगनी पड़ी. तब आज़म ख़ान ने कहा था, “देखिए इस पर सरकार को भी…क्योंकि हम ही सरकार हैं…इस तरह से भी संज्ञान लेना चाहिए कि कहीं कोई विपक्षी विचारधारा और सरकार को बदनाम करने के लिए ऐसे लोग जो सत्ता में आना चाहते हैं वे तो यह कुकर्म नहीं कर रहे हैं.”
मायावती से उनकी पुरानी सियासी अदावत है. देखिए उनके लिए खान ने क्या फरमाया था - “दिमागी मरीज़ अपने आपको मरीज़ नहीं समझता.फिर घर वालों की ज़िम्मेदारी है कि उसे रस्सी से बांधकर ले जाएं…और उसको जबरदस्ती दवा खिलाएं. उसका इलाज करें..यह बड़ा एहसान होगा मुख्यमंत्री के साथ कि उनका इलाज कराया जाए. उनके इलाज का सारा खर्चा समाजवादी पार्टी वहन करेगी.”
...और न्यूज़ चैनलों के बारे में खान अपनी सोच कुछ यूं बयां करते हैं -“मीडिया नरेंद्र मोदी की हिमायत कर रहा है. बिका हुआ है. ज़र खरीद गुलाम है. हमारा दुश्मन है मीडिया. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जो है वो दुश्मन है, तुम्हारा कातिल है.”
खान साहब सिर्फ अपने दौर के लोगों से ही नाराज़ नहीं हैं, वे शाहजहां से भी नाराज़ हैं कि उसने मुमताज महल के लिए ताजमहल क्यों बनाया? उन्होंने कहा था “मस्जिद के बजाय ताजमहल गिराने चलें तो मैं उसमें आगे चलूंगा. इसलिए कि किसी भी हुकमरान को आम अवाम के खजाने से अपनी महबूबा के लिए ताजमहल बनाने का हक नहीं दिया जा सकता.”
                                                                        
                                    
                                आजम खान ने कहा “महिला दहशतगर्द फौज के प्राइवेट पार्ट्स को काटकर साथ ले गए. उन्हें हाथ से शिकायत नहीं थी…सिर से नहीं थी…पैर से नहीं थी….जिस्म के जिस हिस्से से उनको शिकायत थी, उसे काट के ले गए…यह इतना संदेश है जिस पर पूरे हिंदुस्तान को शर्मिंदा होना चाहिए.”
आजम खान के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया हुई है, खासकर बीजेपी में. बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा “यह दिखाता है कि आज़म ख़ान जैसे लोगों की मानसिकता कितनी छोटी और विकृत है, और किस तरह का एक नरेटिव, एक कहानी पूरे देश में…भारत की आर्मी, संप्रभुता और भारत के इनडिपेंडेंस के खिलाफ प्रॉपगेट करना चाहते हैं. यह बहुत दुखद है. बीजेपी इसकी निंदा करती है.”
आज़म खान अपने बयानों को लेकर अक्सर विवाद में रहते हैं. बुलंदशहर रेप केस पर अपने बयान के लिए उन्हें सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगनी पड़ी. तब आज़म ख़ान ने कहा था, “देखिए इस पर सरकार को भी…क्योंकि हम ही सरकार हैं…इस तरह से भी संज्ञान लेना चाहिए कि कहीं कोई विपक्षी विचारधारा और सरकार को बदनाम करने के लिए ऐसे लोग जो सत्ता में आना चाहते हैं वे तो यह कुकर्म नहीं कर रहे हैं.”
मायावती से उनकी पुरानी सियासी अदावत है. देखिए उनके लिए खान ने क्या फरमाया था - “दिमागी मरीज़ अपने आपको मरीज़ नहीं समझता.फिर घर वालों की ज़िम्मेदारी है कि उसे रस्सी से बांधकर ले जाएं…और उसको जबरदस्ती दवा खिलाएं. उसका इलाज करें..यह बड़ा एहसान होगा मुख्यमंत्री के साथ कि उनका इलाज कराया जाए. उनके इलाज का सारा खर्चा समाजवादी पार्टी वहन करेगी.”
...और न्यूज़ चैनलों के बारे में खान अपनी सोच कुछ यूं बयां करते हैं -“मीडिया नरेंद्र मोदी की हिमायत कर रहा है. बिका हुआ है. ज़र खरीद गुलाम है. हमारा दुश्मन है मीडिया. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जो है वो दुश्मन है, तुम्हारा कातिल है.”
खान साहब सिर्फ अपने दौर के लोगों से ही नाराज़ नहीं हैं, वे शाहजहां से भी नाराज़ हैं कि उसने मुमताज महल के लिए ताजमहल क्यों बनाया? उन्होंने कहा था “मस्जिद के बजाय ताजमहल गिराने चलें तो मैं उसमें आगे चलूंगा. इसलिए कि किसी भी हुकमरान को आम अवाम के खजाने से अपनी महबूबा के लिए ताजमहल बनाने का हक नहीं दिया जा सकता.”
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