UP flood: यूपी के करीब डेढ़ दर्जन जिले में बाढ़ से बहुत बुरी तरह प्रभावित हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने बुधवार को बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया. वे वाराणसी (Varanasi) में भी बाढ़ का जायजा लेने के लिए पहुंचे. वे अस्सी घाट सेवर गंगा के उन इलाकों में गए जहां बाढ़ का सबसे ज्यादा असर नजर आ रहा है. एनडीआरएफ की नाव पर सवार होकर हालात का जायजा लेने के बाद मुख्यमंत्री बाढ़ राहत शिविर में पहुंचे. वहां उन्होंने बाढ़ राहत सामग्री का प्रतीकात्मक वितरण किया.
उत्तर प्रदेश में बाढ़ के हालात के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया और इस समस्या के लिए राजस्थान और मध्य प्रदेश के बांधों से छोड़े गए पानी को जिम्मेदार ठहराया. मुख्यमंत्री ने गाजीपुर के बाढ़ से घिरे क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करने के बाद प्रभावित लोगों को राहत सामग्री के वितरण कार्यक्रम में कहा, ‘‘इस बार उत्तर प्रदेश में बारिश औसत से भी कम हुई है लेकिन यहां पर जो भी समस्या खड़ी हुई है वह राजस्थान और मध्य प्रदेश द्वारा अतिरिक्त जल छोड़ने के कारण हुई है.''
योगी ने कहा कि इस बार राजस्थान और मध्य प्रदेश में भारी बारिश हुई है और राजस्थान से 26 लाख क्यूसेक और मध्य प्रदेश से चार लाख क्यूसेक से अधिक जल छोड़ने के कारण उत्तर प्रदेश में चंबल नदी, बेतवा नदी व अन्य सहायक नदियों में जलस्तर काफी बढ़ गया, जिससे गंगा और यमुना के जलस्तर में भी वृद्धि हुई.
आदित्यनाथ ने कहा कि इस आपदा के समय में सरकार प्रभावित जनता के साथ खड़ी है. उन्होंने कहा कि सरकारी अधिकारियों के साथ-साथ मंत्रियों और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को भी बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद में जुटने को कहा गया है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने और राहत सामग्री का वितरण करने के लिए पर्याप्त संख्या में नौकाओं की व्यवस्था की गई है और एसडीआरएफ, एनडीआरएफ तथा पीएसी की बाढ़ इकाइयों को राहत एवं बचाव कार्यों में तैनात किया गया है. उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित हर परिवार को 15 दिन के राशन की राहत किट उपलब्ध कराई गई है.
#WATCH Uttar Pradesh CM Yogi Adityanath inspects flood-affected areas in Varanasi
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) August 31, 2022
He will also inspect the flood-relief camps here and distribute the relief material pic.twitter.com/Xj3eiHoPtQ
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के करीब डेढ़ दर्जन जिलों के 1000 से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में हैं और हजारों हेक्टेयर फसल पानी में डूब गई है. बाढ़ से प्रदेश में दो लाख 40 हजार से ज्यादा की आबादी प्रभावित है और 100 से ज्यादा गांवों का संपर्क बाकी स्थानों से टूट गया है.
बलिया से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक, जिले में बाढ़ के पानी में डूब कर ढाई साल की एक बच्ची समेत तीन लोगों की मौत हो गई है. पुलिस उपाधीक्षक अशोक मिश्र ने बताया कि हल्दी थाना क्षेत्र के रेपुरा गांव में मंगलवार की शाम हीरा मोती (35) नामक महिला की प्राथमिक विद्यालय रायपुरा के पास बाढ़ के पानी में डूब जाने से मौत हो गई. इसी ऊचकवा डेरा गांव का निवासी उपेंद्र चौधरी (34) पिछले सोमवार को बाढ़ के पानी में डूब गया था. उसका शव मंगलवार को बरामद किया गया. मिश्र ने बताया कि फेफना थाना क्षेत्र के सागरपाली गांव में मंगलवार को ढाई वर्षीय अलशिफा अपने घर के बेसमेंट में खेल रही थी, तभी बाढ़ के पानी में डूबने से उसकी मौत हो गई.
बलिया जिले में गंगा नदी के जल स्तर में वृद्धि के कारण कुल 31 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं. जिले के 74 सरकारी प्राथमिक स्कूलों को बाढ़ की चपेट में आने के कारण बंद कर दिया गया है.
वहीं, प्रयागराज से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक सप्ताह से नगर के तटवर्ती क्षेत्रों में बाढ़ का सामना कर रहे लोगों को अब बीमारियां फैलने की आशंका सता रही है. गंगा और यमुना नदी का जलस्तर घटने के साथ लोगों ने राहत की सांस जरूर ली है लेकिन उनके सामने बाढ़ के पानी में डूबे रहे घरों की साफ सफाई को लेकर बड़ी चुनौती है.
गंगा के किनारे के निचले इलाकों में बसे सलोरी, गोविंदपुर, चिल्ला गांव, नेवादा, अशोकनगर और राजापुर स्थित मकानों में बाढ़ का पानी घुसने से लोग ऊपरी क्षेत्र में बने अस्थाई बसेरों में रह रहे हैं. सलोरी के निवासी रामचंद्र कुशवाहा ने बताया कि उनके मकान में बाढ़ का पानी घुसने से गृहस्थी का सारा सामान खराब हो रहा है और बच्चे भी स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. जिलाधिकारी संजय कुमार खत्री ने बाढ़ राहत के लिए चिकित्सा तथा राजस्व विभाग के अधिकारियों को नगर निगम के साथ समन्वय स्थापित कर कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं.
वाराणसी में गंगा का जलस्तर घट रहा है, मगर इसके बावजूद बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों की दिक्कतें कम नहीं हो रही हैं. गंगा और वरुणा नदियों के किनारों पर बसे इलाके बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को राहत शिविरों में ले जाया जा रहा है. जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के निर्देश पर बाढ़ प्रभावित सभी क्षेत्रों में मजिस्ट्रेट और विभागीय अधिकारी लगातार दौरा कर राहत एवं बचाव कार्य पर पैनी नजर रखे हुए हैं.
मिर्जापुर से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक, गंगा नदी का जलस्तर धीरे धीरे कम हो रहा है. हालांकि जिले के 270 गांव अब भी बाढ़ से प्रभावित हैं. अपर जिलाधिकारी शिव प्रताप शुक्ला ने बताया कि सदर तहसील में 147 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं. प्रशासन की कई टीम बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद में जुटी हैं.
जालौन में बाढ़ की स्थिति में सुधार है. हालांकि, जिले के 40 प्राथमिक विद्यालयों में पानी भर जाने के कारण वहां शिक्षण कार्य पूरी तरह बंद है. जिलाधिकारी चांदनी सिंह ने राजस्व कर्मियों को निर्देश दिए हैं कि बाढ़ के कारण गिरे कच्चे मकानों का सर्वे कराया जाए. उनके मालिकों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया जाएगा.
मौसम विभाग के मुताबिक पिछले 24 घंटों के दौरान राज्य में कुछ स्थानों पर बारिश हुई. इस अवधि में रानीगंज (प्रतापगढ़) में पांच सेंटीमीटर, मुसाफिरखाना (अमेठी) और फतेहपुर में चार-चार, कुंडा (प्रतापगढ़), लखनऊ तथा बिंदकी (फतेहपुर) में तीन-तीन, आगरा तथा प्रयागराज में दो-दो सेंटीमीटर, मडियाहू (जौनपुर), मऊ तहसील (चित्रकूट), लालगंज (प्रतापगढ़), अयोध्या, हापुड़ तथा हैदरगढ़ (बाराबंकी) में एक-एक सेंटीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई. अगले 24 घंटों के दौरान राज्य के पूर्वी हिस्सों में कुछ स्थानों पर वर्षा होने का अनुमान है.
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