उत्तर प्रदेश के बागपत में खुदाई के दौरान मिली शाही कब्रगाह
                                                                                                                        
                                        
                                        
                                                                                बागपत: 
                                        पहली बार किसी राजा की कब्रगाह मिली है. कब्र के साथ तांबे का रथ और तलवार भी मिली जो इसे मेसोपोटामिया की सभ्यता के बराबर खड़ा करती है. बागपत के सनौली गांव में पांच हजार साल पुरानी शाही कब्रगाह मिली है. इस कब्रगाह में मिले ताबूत और यहां रखी एतिहासिक चीजों को भारतीय पुरातत्व विभाग एक महत्वपूर्णखोज बता रहा है जो कई ऐतिहासिक मान्यताएं बदल देगा. दिल्ली से करीब 60 किलोमीटर दूर बागपत का सोनौली गांव, जहां जमीन के नीचे दफ्न 126 कब्रगाहें मिली हैं. ये कब्रें करीब पांच हजार साल पुरानी हैं.
 
लेकिन इससे भी बड़ी बात ये है कि भारतीय पुरातत्व विभाग को खेतों से घिरी इस ज़मीन पर एक शाही क़ब्रिस्तान भी मिला है. ये पांच हजार साल पुराने किसी राजा या योद्धा की कब्रगाह है जिसकी बगल में एक रथ भी मिला है जिसमें तांबे का उपयोग किया गया है.
 
पहली बार खुदाई में शव के साथ इस तरह के सामान रखे मिले हैं. कब्र की खुदाई के दौरान शव के पास पहली बार दो रथ और तांबे की कई तलवारें और टोपियां मिली हैं जिससे पता लगता है कि ये किसी राजा या योद्धा के परिवार की कब्रगाह है. अब तक हड़प्पा कालीन खुदाई में इस तरह के सुसज्जित सामान नहीं मिले हैं. इसलिए पुरातत्व विभाग इसे बड़ी खोज बता रहा है. पुरातत्व संस्थान के निदेशक संजय कुमार मंजुल बताते हैं कि कब्रों में रखे शव पूरब और पश्चिम दिशा की ओर हैं. इस कब्रगाह में राजा के साथ उनके परिवार और जानवर को भी जलाया या दफनाया गया है.
 
कब्र में रखे बर्तन, पांच हजार साल पुराने सोने के आभूषण और नक्काशीदार कंघी मिलना इसकी आधुनिकता को दर्शाती है. ASI की शोधकर्ता दिशा कहती हैं, 'पहली बार हमें पूरी तलवार मिली है. ये कंघी जिसपर मोर बना है. ये अब तक नहीं मिले थे. बागपत में इस तरह के दो दर्जन ऐतिहासिक जगहें हैं जहां हड़प्पाकालीन सभ्यताओं के अवशेष मिले हैं. जिनसे पता चलता है कि यमुना, हिंडन और सरस्वती नदी के किनारे कई सभ्यताओं ने जन्म लिया.
                                                                        
                                    
                                
लेकिन इससे भी बड़ी बात ये है कि भारतीय पुरातत्व विभाग को खेतों से घिरी इस ज़मीन पर एक शाही क़ब्रिस्तान भी मिला है. ये पांच हजार साल पुराने किसी राजा या योद्धा की कब्रगाह है जिसकी बगल में एक रथ भी मिला है जिसमें तांबे का उपयोग किया गया है.

पहली बार खुदाई में शव के साथ इस तरह के सामान रखे मिले हैं. कब्र की खुदाई के दौरान शव के पास पहली बार दो रथ और तांबे की कई तलवारें और टोपियां मिली हैं जिससे पता लगता है कि ये किसी राजा या योद्धा के परिवार की कब्रगाह है. अब तक हड़प्पा कालीन खुदाई में इस तरह के सुसज्जित सामान नहीं मिले हैं. इसलिए पुरातत्व विभाग इसे बड़ी खोज बता रहा है. पुरातत्व संस्थान के निदेशक संजय कुमार मंजुल बताते हैं कि कब्रों में रखे शव पूरब और पश्चिम दिशा की ओर हैं. इस कब्रगाह में राजा के साथ उनके परिवार और जानवर को भी जलाया या दफनाया गया है.

कब्र में रखे बर्तन, पांच हजार साल पुराने सोने के आभूषण और नक्काशीदार कंघी मिलना इसकी आधुनिकता को दर्शाती है. ASI की शोधकर्ता दिशा कहती हैं, 'पहली बार हमें पूरी तलवार मिली है. ये कंघी जिसपर मोर बना है. ये अब तक नहीं मिले थे. बागपत में इस तरह के दो दर्जन ऐतिहासिक जगहें हैं जहां हड़प्पाकालीन सभ्यताओं के अवशेष मिले हैं. जिनसे पता चलता है कि यमुना, हिंडन और सरस्वती नदी के किनारे कई सभ्यताओं ने जन्म लिया.
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