राजपाल यादव (फाइल फोटो)
- फिल्मी अभिनेता राजपाल यादव ने बनाई राजनीतिक पार्टी
- 'सर्व समभाव पार्टी' नाम से बनाया है नया राजनीतिक दल
- उत्तर प्रदेश की 390 सीटों पर उतारेंगे अपना उम्मीदवार
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मथुरा:
फिल्मी अभिनेता राजपाल यादव ने बताया कि उनकी 'सर्व समभाव पार्टी' उत्तर प्रदेश में आने वाले विधान सभा चुनावों में 403 में से 390 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी.
यहां संवाददाताओं से बात करते हुए राजपाल ने कहा कि पिछले 20-25 सालों से प्रदेश सरकारें बनती तो हैं लेकिन जनता की इच्छा से नहीं, वरन समीकरणों के कारण. इसलिए इन सरकारों का जनता से कोई सीधा संवाद नहीं रहता, जिसकी वजह से विकास में, नए निर्माण में जनहितों को प्राथमिकता नहीं.
उन्होंने कहा कि वे नेता और जनता के बीच इसी अंतर को मिटाने के लिए राजनीति में आए हैं और जहां तक अलग पार्टी बनाने का सवाल है तो ऐसा इसलिए करना पड़ा, क्योंकि जिस पार्टी में वे जाते, वहां उसकी ही भाषा बोलनी पड़ती. खुद के विचारों का वहां कोई महत्व ही नहीं रहता.
राजनीतिक दलों को आरटीआई एक्ट के अंतर्गत लाने के सवाल पर यादव ने कहा कि वे इसके लिए बिल्कुल तैयार हैं. उनकी कार्यप्रणाली खुली किताब के समान है.
राजनीति में आने के सवाल पर उन्होंने बताया कि विचार तो पिछले 15 साल से उमड़ते थे लेकिन जब मानसिक व आर्थिक रूप से तैयार हो गए, तभी राजनीति में उतरने की शुरुआत की. उन्होंने बताया कि उन्होंने राजनीति भी पढ़ी है और खेती-किसानी भी की है. जिससे उन्हें सब मालूम है कि किसानों को आखिर क्या-क्या खास परेशानियां होती हैं और उनका निदान क्या है.
प्रदेश की स्थिति पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि यहां बीस-बीस हज़ार करोड़ के पार्क बन सकते हैं, मगर जनता की बेहतरी के लिए सड़कें और जरूरी छोटी-छोटी सुविधाएं नहीं मुहैया करा सकते. उन्होंने कहा कि यूपी में पिछले 20-25 सालों से विकास रुका पड़ा है, किसी भी वर्ग की सुनवाई नहीं हो रही है.
प्रदेश की शेष सीटें छोड़ने के सवाल पर राजपाल ने बताया कि बाकी 13 सीटें उन मित्रों के लिए छोड़ दी गई हैं जो भले ही विचारों में उनसे जुड़े रहे हैं, लेकिन वे पहले से ही अन्य दलों की राजनीति करते रहे हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
यहां संवाददाताओं से बात करते हुए राजपाल ने कहा कि पिछले 20-25 सालों से प्रदेश सरकारें बनती तो हैं लेकिन जनता की इच्छा से नहीं, वरन समीकरणों के कारण. इसलिए इन सरकारों का जनता से कोई सीधा संवाद नहीं रहता, जिसकी वजह से विकास में, नए निर्माण में जनहितों को प्राथमिकता नहीं.
उन्होंने कहा कि वे नेता और जनता के बीच इसी अंतर को मिटाने के लिए राजनीति में आए हैं और जहां तक अलग पार्टी बनाने का सवाल है तो ऐसा इसलिए करना पड़ा, क्योंकि जिस पार्टी में वे जाते, वहां उसकी ही भाषा बोलनी पड़ती. खुद के विचारों का वहां कोई महत्व ही नहीं रहता.
राजनीतिक दलों को आरटीआई एक्ट के अंतर्गत लाने के सवाल पर यादव ने कहा कि वे इसके लिए बिल्कुल तैयार हैं. उनकी कार्यप्रणाली खुली किताब के समान है.
राजनीति में आने के सवाल पर उन्होंने बताया कि विचार तो पिछले 15 साल से उमड़ते थे लेकिन जब मानसिक व आर्थिक रूप से तैयार हो गए, तभी राजनीति में उतरने की शुरुआत की. उन्होंने बताया कि उन्होंने राजनीति भी पढ़ी है और खेती-किसानी भी की है. जिससे उन्हें सब मालूम है कि किसानों को आखिर क्या-क्या खास परेशानियां होती हैं और उनका निदान क्या है.
प्रदेश की स्थिति पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि यहां बीस-बीस हज़ार करोड़ के पार्क बन सकते हैं, मगर जनता की बेहतरी के लिए सड़कें और जरूरी छोटी-छोटी सुविधाएं नहीं मुहैया करा सकते. उन्होंने कहा कि यूपी में पिछले 20-25 सालों से विकास रुका पड़ा है, किसी भी वर्ग की सुनवाई नहीं हो रही है.
प्रदेश की शेष सीटें छोड़ने के सवाल पर राजपाल ने बताया कि बाकी 13 सीटें उन मित्रों के लिए छोड़ दी गई हैं जो भले ही विचारों में उनसे जुड़े रहे हैं, लेकिन वे पहले से ही अन्य दलों की राजनीति करते रहे हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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