
- AMU के कैंपस में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पोस्टर हटाए जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है
- भाजपा ने पोस्टर हटाने को मुख्यमंत्री का अपमान करार देते हुए AMU प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है
- AMU के प्रॉक्टर प्रोफेसर वसीम अली ने इस घटना की जानकारी से अनभिज्ञता जताई है और कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) एक बार फिर विवादों के केंद्र में आ गया है. कैंपस के अंदर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पोस्टर हटाए जाने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो गया है, जिसके सामने आते ही बड़ा बवाल मच गया है. भाजपा नेताओं ने इसे मुख्यमंत्री का सीधा अपमान बताया है और AMU प्रशासन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है.
क्या है पूरा मामला?
जानकारी के अनुसार, AMU कैंपस में भाजपा एमएलसी द्वारा सोलर स्ट्रीट लाइटें लगवाई गई थीं. इन स्ट्रीट लाइटों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पोस्टर लगाए गए थे. वायरल वीडियो में AMU के कुछ छात्र इन्हीं पोस्टरों को विरोध स्वरूप हटाते हुए दिखाई दे रहे हैं. वीडियो के वायरल होते ही यह मामला तुरंत तूल पकड़ गया.
AMU प्रॉक्टर ने साधी चुप्पी
इस घटना पर जब AMU प्रशासन से प्रतिक्रिया मांगी गई, तो AMU प्रॉक्टर प्रो. वसीम अली ने इस घटना की जानकारी से अनभिज्ञता जताई है.
भाजपा नेताओं में आक्रोश
पोस्टर हटाने को लेकर शुरू हुए इस विवाद पर AMU के पूर्व छात्र और भाजपा युवा नेता डॉ. निशित शर्मा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने इसे मुख्यमंत्री का अपमान बताते हुए इस कृत्य में शामिल दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है. विवाद बढ़ने पर भाजपा युवा मोर्चा के कार्यकर्ता भी सड़क पर उतर आए. कार्यकर्ताओं ने जिला मुख्यालय पर पहुंचकर AMU प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इस दौरान "एएमयू के गद्दारों को जूते मारो" और "एएमयू में योगी का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान" जैसे आक्रामक नारे लगाए गए.
48 घंटे का अल्टीमेटम
भाजपा कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी के नाम एसीएम प्रथम को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें 48 घंटे के भीतर योगी आदित्यनाथ के हटाए गए पोस्टर दोबारा लगाने की मांग की गई है. कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि अगर निर्धारित समय में पोस्टर नहीं लगाए जाते हैं, तो वे स्वयं AMU कैंपस में जाकर पोस्टर लगाएंगे. यह घटना एक बार फिर AMU और सत्तारूढ़ दल के बीच राजनीतिक तनाव को दर्शाती है, जबकि विश्वविद्यालय प्रशासन मामले की गंभीरता से निपटने में असहज नज़र आ रहा है.
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