
- इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अशरफ के गुर्गें सदाकत खान को बरेली जेल में गैरकानूनी मुलाकात के मामले में जमानत दी है.
- सदाकत पर अशरफ के बरेली जेल में बंद रहने के दौरान मदद करने का आरोप लगा था.
- कोर्ट ने कहा कि आरोप के मुताबिक आवेदक अशरफ से जुड़ा था. हालांकि आवेदक का नाम एफआईआर में नहीं था.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अतीक अहमद के भाई अशरफ के गुर्गे को जमानत दे दी है. हाई कोर्ट ने सदाकत खान की जमानत याचिका मंजूर की. सदाकत पर अशरफ को बरेली जेल में बंद रहने के दौरान मदद करने का आरोप लगा था और बरेली के बिथरी चैनपुर में 7 मार्च 2023 को एक एफआईआर दर्ज हुई थी. इस एफआईआर में बरेली सेंट्रल जेल के चौकी प्रभारी एसआई अनिल कुमार ने अतीक अहमद के भाई अशरफ, सद्दाम, लल्लागद्दी, दयाराम उर्फ नन्हे, जेल के आरक्षी शिव हरि अवस्थी, जेल के अज्ञात कर्मचारी और अशरफ के अन्य अज्ञात साथी के खिलाफ मामला दर्ज कराया था.
सभी आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 374, 506, 201, 120B, 195A, 34, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7, 8, 13 और कारागार अधिनियम 42, 54 और क्रिमिनल लॉ एमेंडमेंट एक्ट की धारा 7 में एफआईआर दर्ज हुई थी. एफआईआर दर्ज होने के बाद विवेचना के दौरान सदाकत खान का नाम सामने आया था.
एक आईडी पर 7 लोगों को अशरफ से मिलवाने का आरोप
आरोप लगा था कि आरक्षी शिव हरि अवस्थी द्वारा सद्दाम और लल्लागद्दी की सहायता से जेल के अधिकारियों और कर्मचारियों की मदद से एक आईडी पर सात लोगों से पैसा लेकर बरेली जेल में बंद अशरफ से मिलवाया जाता था. इन लोगों के साथ अशरफ को मिलवाने के समय गवाहों, अभियोजन अधिकारियों की हत्या की योजना बनाई जाती थी. साथ ही अशरफ के साथियों द्वारा डराने, धमकाने और रंगदारी मांगने का काम किया जाता था.
आरोपी दयाराम जेल की कैंटीन के सामान के साथ अशरफ के लिए पैसे, खाना और अन्य सामान जेल कर्मचारियों की मदद से लेकर जाता था.
एफआईआर में दर्ज था कि ऐसी स्थिति में जेल के अंदर और बाहर किसी बड़ी घटना के घटित होने से इनकार नहीं किया जा सकता है.
उमेश पाल हत्याकांड में भी आरोपी है सदाकत खान
सदाकत खान प्रयागराज में 24 फरवरी 2023 को हुए उमेश पाल हत्याकांड में भी आरोपी है. सदाकत खान पर उमेश पाल हत्याकांड में साजिश रचने का आरोप लगा था. उसने बरेली में दर्ज मामले में जमानत के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. सदाकत खान के वकील ने कोर्ट में दलील दी थी कि इस मामले की एफआईआर 7 मार्च 2023 को सात लोगों के खिलाफ दर्ज की गई थी, लेकिन एफआईआर में सदाकत का नाम नहीं था
एफआईआर में आरोपियों ने अशरफ के साथ मिलकर गैर-कानूनी तरीकों से हत्या करने की प्लानिंग की और वो गैर-कानूनी तरीकों से अशरफ से मिलने के लिए जेल में घुस गए थे, लेकिन जांच के दौरान एक सह-आरोपी लाला गद्दी के बयान से आवेदक सदाकत पर यह भी आरोप लगाया गया था कि वह भी बरेली जेल में अशरफ से मिला था, लेकिन इसके अलावा आवेदक के खिलाफ रिकॉर्ड में कोई और आरोप नहीं है.
साथ ही कहा गया था कि इस मामले के अलावा आवेदक की चार मामलों में क्रिमिनल हिस्ट्री है और उसके क्रिमिनल रिकॉर्ड के बारे में एफिडेविट और जवाबी एफिडेविट में बताया गया है.
बरेली में दर्ज मामले में आवेदक 29 नवंबर 2024 से जेल में बंद है.
राज्य सरकार ने किया जमानत अर्जी का विरोध
अदालत में राज्य सरकार ने सदाकत खान की जमानत अर्जी का विरोध भी किया. सरकार की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि आवेदक अशरफ का करीबी साथी था जो एक बड़ा अपराधी था. हालांकि एफआईआर में उसका नाम नहीं था लेकिन जांच के दौरान आवेदक के खिलाफ काफी सबूत मिले हैं. यह भी पता चलता है कि वह बरेली जेल में अशरफ से मिला था. साथ ही सरकार की ओर से कहा गया कि मौजूदा केस के अलावा आवेदक पर चार केस का क्रिमिनल रिकॉर्ड है.
कोर्ट ने कहा कि आरोप के मुताबिक आवेदक अशरफ से जुड़ा है, जो एक बड़ा अपराधी था और वह बरेली जेल में दूसरों के साथ उससे मिलता था. हालांकि आवेदक का नाम एफआईआर में नहीं था और जांच के दौरान उसका नाम एक सह-आरोपी लल्ला गद्दी के बयान से सामने आया.
साथ ही कहा कि इन आरोपों के अलावा कि आवेदक बरेली जेल में अशरफ से गैर-कानूनी तरीके से मिला था, उसके खिलाफ कोई आरोप नहीं है. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इस मामले में आरोपी सदाकत खान की सशर्त जमानत याचिका मंजूर कर ली.
जस्टिस समीर जैन की सिंगल बेंच ने जमानत याचिका मंजूर की.
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