
How To Create A Rs 2-Crore Corpus: जीवन, बाजार की तरह है, उतार-चढ़ाव होना लाजिमी है. बच्चों की पढ़ाई से लेकर, घर-मकान या अन्य बड़ी जरूरतों तक, कब अचानक से मोटे पैसे की जरूरत पड़ जाए, कहना मुश्किल है. तय सैलरी (Salary) या आमदनी से बचत करना और उस बचत का निवेश करना (Savings Investment) एक जरूरी आदत होनी चाहिए. थोड़ी-थोड़ी बचत भी नियमित तौर पर की जाए (Investment Strategy) और निवेश किया जाए तो लंबी अवधि में मोटा फंड तैयार किया जा सकता है. लॉन्ग टर्म में वेल्थ बनाने के लिए मार्केट के उतार-चढ़ाव के बीच धैर्य की जरूरत होती है. अगर आप 2 करोड़ रुपये का कॉर्पस फंड बनाना चाहते हैं तो एक अनुशासित निवेश रणनीति चाहिए होती है.
अगले कुछ सालों में 2 करोड़ रुपये का फंड बनाना कठिन लग सकता है, लेकिन एक उचित और अनुशासित निवेश योजना के साथ, ये संभव है. और ये सब निर्भर करता है, रिस्क उठाने की आपकी क्षमता को समझने, उपयुक्त वित्तीय साधनों का चयन करने और लंबी अवधि में नियमित रूप से निवेश करने पर.
जल्दी शुरुआत करना जरूरी (Early Start for Gen-Z)
मोटा फंड तैयार करने में सबसे बड़ा फैक्टर है- समय. आप जितनी जल्दी निवेश करेंगे, आपको कंपाउंड इंटरेस्ट यानी चक्रवृद्धि ब्याज का उतना ही अधिक लाभ मिलेगा. यही वो फैक्टर है, जहां आपका इन्वेस्टमेंट समय के साथ ज्यादा रिटर्न देते हैं. अगर 20 वर्षों तक चक्रवृद्धि ब्याज पर छोड़ दिया जाए, तो छोटे मासिक निवेश भी बहुत बड़ा लाभ दे सकते हैं.
अपना पोर्टफोलियो तय करें (Portfolio Making)
20 वर्षों में 2 करोड़ रुपये कमाने के लिए एक संतुलित इन्वेस्टमेंट प्लान की जरूरत होती है. इक्विटी, डेट और हाइब्रिड प्रॉडक्ट का मिश्रण, रिस्क कंट्रोल करते हुए ग्रोथ में सहायक हो सकता है.
- इक्विटी म्यूचुअल फंड (Equity mutual funds): लंबी अवधि में, इक्विटी में रिटर्न की संभावनाएं अधिक होती हैं. इक्विटी म्यूचुअल फंड में सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट यानी व्यवस्थित निवेश से हर साल औसतन मासिक आधार पर 10% से 12% रिटर्न मिलना तय रहता है. और 12% प्रति वर्ष रिटर्न मानते हुए, लगभग 18 वर्षों तक इक्विटी सिक्योरिटीज में हर महीने लगभग 30,000 रुपये का निवेश आपको उस मुकाम तक पहुंचा सकता है.
- डेट इंस्ट्रूमेंटइंस्ट्रूमेंट (Debt instruments): डेट फंड(Debt funds), सावधि जमा (fixed deposits) या पीपीएफ (PPF) इस श्रेणी में आते हैं. ये आपके पोर्टफोलियो को स्थिर रखने और अस्थिरता को कम रखने में मदद करते हैं. हालांकि डेट फंड कम रिटर्न (5% से 7% प्रति वर्ष) ही देते हैं, लेकिन ये आपके निवेश को बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाते हैं.
- हाइब्रिड फंड (Hybrid funds): हाइब्रिड या बैलेंस्ड फंड इक्विटी और डेट का मिश्रण प्रदान करते हैं, जो कम जोखिम के साथ मध्यम रिटर्न प्रदान करते हैं.
अपने निवेश को ऑटोमेट करें (Wealth Creation Tips)
निवेश रणनीति में स्थिरता महत्वपूर्ण फैक्टर है. एक व्यवस्थित निवेश योजना यानी SIP स्थापित करने से ये सुनिश्चित होता है कि आप बाजार की स्थिति चाहे जो भी हो, नियमित अंतराल पर एक निश्चित राशि का निवेश करते रहें. अपने निवेश को ऑटोमेट करने से न केवल अनुशासन बढ़ता है, बल्कि आपको रुपया लागत औसत (rupee cost averaging) का लाभ भी मिलता है. इससे आप सस्ते होने पर ज़्यादा यूनिट खरीद पाते हैं और महंगे होने पर कम.
रीव्यू और री-बैलेंसिंग (Review Portfolio and Rebalancing)
20 वर्षों में, बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण आपके पोर्टफोलियो के एसेट अलोकेशन में बदलाव की जरूरत भी पड़ सकती है. समय-समय पर रिव्यू और री-बैलेंस, जिसमें आपके वांछित आवंटन को बनाए रखने के लिए इक्विटी और डेट के बीच फंड को ट्रांसफर करना शामिल है, ये सुनिश्चित करता है कि आपका पोर्टफोलियो रिस्क मैनेज करते हुए आपके लॉन्ग टर्म लक्ष्यों के अनुरूप हो.
भावनात्मक निवेश से बचें (Avoid Emotional Investment)
लंबी अवधि में मोटा फंड तैयार करने के लिए धैर्य की आवश्यकता होती है. बाजार के उतार-चढ़ाव पर आवेग में प्रतिक्रिया न दें. 2 करोड़ रुपये जमा करने के अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करें और एक अनुशासित निवेश रणनीति अपनाने की सलाह दी जाती है.
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
सवाल 1). 20 साल में 2 करोड़ रुपये का फंड बनाने के लिए हर महीने कितनी SIP करनी चाहिए?
जवाब: अगर औसतन 12% सालाना रिटर्न मानें, तो करीब ₹20,000–₹30,000 की मासिक SIP 20 साल तक करने पर 2 करोड़ रुपये से ज्यादा का फंड तैयार हो सकता है.
सवाल 2). इक्विटी, डेट और हाइब्रिड फंड में सही संतुलन कैसे तय करें?
जवाब: पोर्टफोलियो को संतुलित करने के लिए इक्विटी में ज्यादा निवेश रखें, क्योंकि ये लंबे समय में 10-12% रिटर्न दे सकते हैं. डेट इंस्ट्रूमेंट्स (FD, PPF, डेट फंड) स्थिरता देते हैं और हाइब्रिड फंड मध्यम रिटर्न व कम जोखिम का विकल्प होते हैं. तीनों का मिलाजुला संतुलन सुरक्षित और लाभकारी रहता है.
सवाल 3). अगर बीच में बाजार गिर जाए तो निवेश रणनीति में क्या बदलाव करना चाहिए?
जवाब: बाजार में उतार-चढ़ाव सामान्य है. ऐसे समय भावनाओं में बहकर निवेश रोकना या निकालना सही नहीं. जरूरत पड़ने पर पोर्टफोलियो का रिव्यू करें और इक्विटी व डेट के बीच संतुलन (रीबैलेंस) बनाएं.
सवाल 4). कंपाउंडिंग (ब्याज पर ब्याज) से लंबे समय में असली फायदा कैसे मिलता है?
जवाब: कंपाउंडिंग का मतलब है कि निवेश से जो कमाई हुई, वह भी दोबारा निवेश होकर आगे ब्याज कमाए. जितना लंबा समय होगा, उतना ज्यादा यह असर दिखेगा. छोटे निवेश भी 20 साल तक लगातार करने पर बड़ी राशि में बदल जाते हैं.
सवाल 5). क्या केवल म्यूचुअल फंड में निवेश करके 2 करोड़ का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है?
जवाब: हां, अगर लंबे समय तक इक्विटी म्यूचुअल फंड में अनुशासित SIP की जाए तो 2 करोड़ रुपये का लक्ष्य संभव है. हालांकि, डेट और हाइब्रिड फंड भी जोड़ने से पोर्टफोलियो ज्यादा सुरक्षित और संतुलित बनता है.
Disclaimer: ये आर्टिकल सिर्फ जानकारी के लिए है. इसे पूरी तरह निवेश की सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए. निवेश के लिए अपने फाइनेंशियल एडवाइजर की राय लें.
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