साल 2025 निवेशकों के लिए कोई आसान साल नहीं रहा. शेयर मार्केट में लगातार भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला और स्मॉल और मिड-कैप स्टॉक्स ने निराश किया. विदेशी निवेशकों (FPIs) की ताबड़तोड़ बिकवाली, वैश्विक अनिश्चितताएं और घरेलू अर्थव्यवस्था की धीमी गति ने निवेशकों की सतर्कता बढ़ा दी. अब जब हम 2026 की दहलीज पर खड़े हैं तो, निवेशकों के मन में अब सवाल केवल ज्यादा रिटर्न पाने का नहीं, बल्कि रिस्क मैनेजमेंट करके पोर्टफोलियो मजबूत करने का है. आइए समझते हैं कि 2026 में आपकी इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी कैसी होनी चाहिए...
2025 की शुरुआत में भारतीय शेयर बाजार सतर्क था. विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली, हाई स्टॉक वैल्यूएशन, निवेश में सुस्ती और कॉर्पोरेट कमाई में धीमी गति ने मार्केट पर दबाव डाला. इसके बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ने मजबूती दिखाई, खासकर महंगाई में कमी और केंद्रीय बैंक की दरों में कटौती के चलते. बड़े कैप स्टॉक्स ने स्थिरता बनाए रखी, जबकि छोटे और मिड-कैप स्टॉक्स कमजोर रहे.
2026 में क्या उम्मीदें हैं?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि 2026 का साल 2025 के मुकाबले ज्यादा स्थिर हो सकता है. अमेरिका और भारत के बीच संभावित व्यापार समझौते से रुपये को मजबूती मिल सकती है और निवेशकों का भरोसा बढ़ सकता है. हालांकि, हाई इक्विटी वैल्यूएशन, अमेरिकी ब्याज दरों की अनिश्चितता और वैश्विक घटनाएं अभी भी मार्केट के लिए जोखिम बने हुए हैं.
म्यूचुअल फंड्स:(Mutual Funds)
2025 में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स के नतीजों से बाजार में उतार-चढ़ाव साफ नजर आया. 2025 में म्यूचुअल फंड्स का प्रदर्शन मिला-जुला रहा। आंकड़ों पर नजर डालें तो...
- लार्ज कैप फंड्स 7.9% रिटर्न के साथ सबसे स्थिर रहे.
- मिड-कैप फंड्स 2.1% रिटर्न के साथ सुस्त प्रदर्शन किया.
- स्मॉल कैप फंड्स ने -6.4% रिटर्न के साथ निवेशकों को तगड़ा झटका दिया.
फिर भी, SIP में निवेश लगातार बढ़ा. निवेशक अब म्यूचुअल फंड्स को केवल रिटर्न के लिए नहीं, बल्कि लॉन्ग टर्म प्लानिंग और पोर्टफोलियो बैलेंस की नजर से देख रहे हैं. 2026 में लार्ज-कैप और फ्लेक्सी-कैप फंड्स पर भरोसा जताना बेहतर हो सकता है. SIP को जारी रखें, क्योंकि यह बाजार की अस्थिरता को मात देने का सबसे अच्छा जरिया है.
सोना और चांदी रिटर्न के मामले में सबसे आगे
साल 2025 में सोने और चांदी (Gold & Silver)ने निवेशकों की झोली भर दी है. जहां सोने की कीमतों में 73% का शानदार उछाल देखा गया, वहीं चांदी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 127% की भारी बढ़त दर्ज की है.ग्लोबल अनिश्चितताओं और सुरक्षित निवेश की मांग के कारण चांदी ने सोने के मुकाबले लगभग दोगुना रिटर्न दिया है.हालांकि 2026 में इनकी कीमतों में उतार-चढ़ाव रह सकता है. ये अब निवेशकों के पोर्टफोलियो को संतुलित रखने का तरीका बनते जा रहे हैं.
2026 में भी पोर्टफोलियो को बैलेंस करने के लिए सोने-चांदी में 10-15% निवेश बनाए रखना समझदारी होगी, क्योंकि ये आर्थिक संकट के समय 'सुरक्षा कवच' का काम करते हैं
बॉन्ड्स और रियल एस्टेट (Bonds & Real Estate)
- 2026 में बॉन्ड्स निवेशकों को रेगुलर इनकम देने और रिस्क कम करने में मदद करेंगे. कॉर्पोरेट बॉन्ड्स का मार्केट भी तेजी से बढ़ रहा है.
- रियल एस्टेट की मांग मजबूत बनी हुई है. घरों और ऑफिस की कीमतें बढ़ने की संभावना है, और अब ग्रीन ऑफिस स्पेस की मांग भी बढ़ रही है.
सरकारी योजनाएं (Government Schemes)
PPF, SCSS और SSY जैसी योजनाएं उन निवेशकों के लिए सुरक्षित हैं जो ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहते. NPS भी लंबी अवधि की बचत और टैक्स बेनिफिट के लिए अच्छा विकल्प है.
2025 की उथल-पुथल ने यह सिखा दिया है कि सारा पैसा एक ही जगह न लगाएं.उम्मीद है कि 2026 में निवेशक ज्यादा समझदारी और सतर्कता के साथ आगे बढ़ेंगे. 2026 में वही निवेशक मालामाल होगा जो अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सीफाई करेगा क्योंकि बाजार की अस्थिरता पूरी तरह खत्म नहीं हुई है.इसलिए जोश में आकर नहीं, बल्कि होश में रहकर निवेश करें. आपको बहुत सोच-समझकर पोर्टफोलियो बनाना होगा.
(नोटः यह सिर्फ एक सामान्य जानकारी है. किसी भी तरह के निवेश से पहले एक्सपर्ट्स की सलाह जरूर लें, वरना आपको भारी नुकसान हो सकता है.)
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