विज्ञापन

VB-G RAM G: मनरेगा की जगह नई योजना, 125 दिन काम, साप्‍ताहिक वेतन! 10 प्‍वाइंट में जानें क्‍या-क्‍या बदलेगा

सरकार ने बिल की कॉपी सांसदों के बीच सर्कुलेट की है, जिसे संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है. इस बिल का नाम रखा गया है- ‘विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण), जिसे शॉर्ट में VB-G RAM G कहा जा रहा है.  

VB-G RAM G: मनरेगा की जगह नई योजना, 125 दिन काम, साप्‍ताहिक वेतन! 10 प्‍वाइंट में जानें क्‍या-क्‍या बदलेगा

केंद्र सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (MGNREGA) को खत्म कर उसकी जगह नया ग्रामीण रोजगार कानून ला रही है. समाचार एजेंसी PTI की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने बिल की कॉपी सांसदों के बीच सर्कुलेट की है, जिसे संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है. इस बिल का नाम रखा गया है- ‘विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण), जिसे शॉर्ट में VB-G RAM G कहा जा रहा है.  केंद्र के मुताबिक, योजना का उद्देश्य ‘विकसित भारत 2047' के राष्ट्रीय विजन के अनुरूप ग्रामीण विकास का नया इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर तैयार करना है. इसमें काम के दिनों की संख्या 100 से बढ़ाकर 125 दिन कर दी जाएगी. साथ ही इसमें साप्‍ताहिक वेतन का भी प्रावधान है. 

इससे पहले 12 दिसंबर को खबर आई थी कि केंद्रीय कैबिनेट ने मनरेगा का नाम बदलकर पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना रखा है. हालांकि, सरकार की ओर से नोटिफिकेशन सामने नहीं आया था. आज सोमवार को नए बिल का नाम स्पष्ट हो गया है, जो संसद से पास होने के बाद कानून का रूप लेगा और इसी कानून के तहत ग्रामीण इलाकों में लोगों को 100 दिन की बजाय 125 दिन के काम की गारंटी दी जाएगी.

Latest and Breaking News on NDTV

आइए 10 प्‍वाइंट में जानते हैं इस बिल के बारे में विस्‍तार से. 

  1. रोजगार की कानूनी गारंटी और भुगतान: यह विधेयक अधिसूचित ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले प्रत्येक ग्रामीण परिवार को एक वर्ष में 125 दिनों के मजदूरी रोजगार की कानूनी गारंटी प्रदान करेगा. श्रमिकों को उनकी मजदूरी का भुगतान या तो साप्ताहिक आधार पर किया जाएगा या कार्य पूरा होने के अधिकतम 15 दिनों के भीतर करना अनिवार्य होगा. यदि किसी परिवार को आवेदन के 15 दिनों के भीतर काम उपलब्ध नहीं कराया जाता है, तो उन्हें बेरोजगारी भत्ता देने का भी प्रावधान किया गया है.
  2. कार्यों का विभाजन और योजना संरचना: इस योजना के तहत कराए जाने वाले कार्यों को मुख्य रूप से चार प्रमुख क्षेत्रों में बांटा गया है: जल सुरक्षा, मुख्य ग्रामीण अवसंरचना, आजीविका से जुड़ी अवसंरचना और आपदा-रोधी ढाँचे. कार्यों की योजना विकसित ग्राम पंचायत स्तर से शुरू होकर ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर पर एकीकृत की जाएगी, जिससे जमीनी जरूरतों के अनुसार विकास हो सके.
  3. योजना का डिजिटल एकीकरण: योजना के सभी कार्यों की योजना और निगरानी को 'विकसित भारत राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना स्टैक' के साथ जोड़ा जाएगा, जो डिजिटल शासन (Digital Governance) को बढ़ावा देगा. सरकार का उद्देश्य रोजगार गारंटी को पीएम गति शक्ति, जियोस्पेशल योजना और डिजिटल शासन से जोड़ना है. यह कदम ग्रामीण विकास परियोजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन और बेहतर समन्वय में सहायक होगा.
  4. संस्थागत निगरानी और प्रबंधन ढांचा: योजना की निगरानी और नीति निर्माण के लिए संस्थागत ढांचे के तहत केंद्र और राज्य स्तर पर ग्रामीण रोजगार गारंटी परिषदें गठित की जाएंगी. नीति निर्धारण और विभिन्न योजनाओं के अभिसरण (Convergence) के लिए राष्ट्रीय और राज्य संचालन समितियाँ (National and State Steering Committees) भी होंगी. इसके क्रियान्वयन में पंचायतों की केंद्रीय भूमिका तय की गई है, जबकि जिला कार्यक्रम समन्वयक और कार्यक्रम अधिकारी दैनिक संचालन की निगरानी करेंगे.
  5. कृषि कार्य के मौसम में छूट: इस योजना के तहत कृषि कार्यों के चरम मौसम (पीक सीजन) में, जो कि प्रतिवर्ष अधिकतम 60 दिन होगा, कार्य नहीं कराए जाएंगे. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मजदूरों की कमी के कारण कृषि उत्पादन प्रभावित न हो. हालांकि, प्राकृतिक आपदा या असाधारण परिस्थितियों के मामले में, इस प्रतिबंध में छूट देने का प्रावधान भी रखा गया है ताकि संकटग्रस्त परिवारों को राहत मिल सके.
  6. पारदर्शिता और जवाबदेही के उपाय: योजना में उच्च पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कई डिजिटल और सामाजिक उपाय अनिवार्य किए गए हैं. इनमें श्रमिकों के लिए बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण, कार्यों की प्रगति की जियो-टैगिंग, डिजिटल एमआईएस डैशबोर्ड का उपयोग और साप्ताहिक सार्वजनिक खुलासे शामिल हैं. इसके साथ ही, सामाजिक अंकेक्षण (Social Audit) को भी अनिवार्य किया गया है ताकि स्थानीय स्तर पर लोगों की भागीदारी से निगरानी हो सके.
  7. शिकायत निवारण और लोकपाल की नियुक्ति: शिकायत निवारण के लिए एक मजबूत और बहु-स्तरीय व्यवस्था का प्रावधान किया गया है, ताकि श्रमिकों की समस्याओं का त्वरित समाधान हो सके. पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए, शिकायतों की सुनवाई और निवारण के लिए प्रत्येक जिला स्तर पर एक लोकपाल (Ombudsman) की नियुक्ति का भी प्रावधान किया गया है. यह व्यवस्था जवाबदेही को मजबूत करेगी.
  8. वित्तपोषण और केंद्रीय सहायता का प्रावधान: यह विधेयक एक केंद्र प्रायोजित योजना (Centrally Sponsored Scheme) होगी, जिसका अर्थ है कि इसका वित्तपोषण केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर करेंगी. वित्तपोषण का अनुपात राज्यों की श्रेणी के अनुसार अलग-अलग होगा: उत्तर-पूर्वी और हिमालयी राज्यों के लिए 90:10, अन्य राज्यों के लिए 60:40 का अनुपात रखा गया है. बिना विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 100 प्रतिशत केंद्रीय सहायता का प्रावधान है.
  9. योजना का अनुमानित वार्षिक व्यय: इस नई योजना पर अनुमानित वार्षिक व्यय लगभग ₹1.51 लाख करोड़ रहने का अनुमान है. इस कुल खर्च में, केंद्र सरकार का हिस्सा लगभग ₹95,692 करोड़ होगा. यह बड़ी धनराशि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी संपत्ति निर्माण और ग्रामीण परिवारों की आजीविका सुरक्षा को सुनिश्चित करने में मदद करेगी.
  10. मनरेगा का निरसन और नए लक्ष्य: यह प्रस्तावित विधेयक, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (मनरेगा) को निरस्त (Repeal) करने का प्रावधान करता है, यानी मनरेगा की जगह अब यह नया कानून लागू होगा. विधेयक में लंबित देनदारियों और मनरेगा के तहत जारी कार्यों के लिए संक्रमणकालीन प्रावधान शामिल किए गए हैं. नए कानून का उद्देश्य जलवायु लचीलापन, आजीविका सुरक्षा और सहभागी योजना को मजबूत करना है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com