- मोदी सरकार मनरेगा को निरस्त कर विकसित भारत रोजगार और आजीविका गारंटी मिशन विधेयक लोकसभा में पेश करने जा रही है
- नया अधिनियम ग्रामीण परिवारों को 125 दिन रोजगार गारंटी देगा तथा टिकाऊ ग्रामीण अवसंरचना निर्माण पर केंद्रित होगा
- नया कानून डिजिटल भुगतान, सामाजिक ऑडिट और एआई आधारित धोखाधड़ी पहचान से पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करेगा
मोदी सरकार ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम' (मनरेगा) को निरस्त करने और इसकी जगह एक नया कानून बनाने के लिए लोकसभा में विधेयक लेकर आ सकती है. नए विधेयक का नाम ‘विकसित भारत-रोजगार और आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण)' (विकसित भारत- जी राम जी) विधेयक, 2025' या शॉर्ट में VB–G RAM G होगा. विधेयक की प्रतियां लोकसभा सदस्यों को बांट दी गई हैं. ऐसे में इस बिल को लेकर यदि आपको मन में कोई सवाल उठ रहा है तो इसका जवाब यहां जानिए...

सवाल1- विकसित भारत – रोजगार एवं आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण): VB–G RAM G (विकसित भारत – जी राम जी अधिनियम, 2025) क्या है?
उत्तर- विकसित भारत – रोजगार एवं आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण): VB–G RAM G (विकसित भारत – जी राम जी अधिनियम, 2025) बीस वर्ष पुराने मनरेगा का एक बड़ा और आधुनिक पुनर्गठन है.
यह विकसित भारत 2047 के लक्ष्यों के अनुरूप एक आधुनिक वैधानिक ढांचा स्थापित करता है, जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे प्रत्येक परिवार को, जिनके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक श्रम करने के लिए स्वेच्छा से आगे आते हैं, 125 दिनों के मज़दूरी रोजगार की गारंटी दी जाती है.
इस अधिनियम का उद्देश्य रोजगार सृजन के साथ-साथ टिकाऊ ग्रामीण अवसंरचना का निर्माण करना है. इसके लिए चार प्राथमिक क्षेत्र निर्धारित किए गए हैं:
- जल सुरक्षा से जुड़े कार्य.
- कोर ग्रामीण अवसंरचना.
- आजीविका से संबंधित अवसंरचना.
- अत्यधिक मौसमीय घटनाओं से निपटने के लिए विशेष कार्य.
निर्मित सभी परिसंपत्तियों को विकसित भारत राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना स्टैक में जोड़ा जाएगा, जिससे एक समन्वित राष्ट्रीय विकास रणनीति सुनिश्चित हो सके.
सवाल2- नया अधिनियम मनरेगा से कैसे अलग है? इसे बेहतर क्या बनाता है?
उत्तर- नया अधिनियम मनरेगा का एक बड़ा उन्नयन है, जो उसकी संरचनात्मक कमियों को दूर करते हुए रोजगार, पारदर्शिता, योजना और जवाबदेही को मजबूत करता है.
मुख्य सुधार इस प्रकार हैं:
- अधिक रोजगार गारंटी: 100 दिनों से बढ़ाकर 125 दिन, जिससे ग्रामीण परिवारों को अधिक आय सुरक्षा मिलेगी.
- रणनीतिक अवसंरचना पर फोकस: मनरेगा में कार्य विभिन्न श्रेणियों में बिखरे हुए थे, जबकि नया अधिनियम चार प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है, जिससे टिकाऊ परिसंपत्तियों का निर्माण होगा.
- स्थानीय व स्थानिक रूप से एकीकृत योजना: ग्राम पंचायतों द्वारा तैयार विकसित ग्राम पंचायत योजनाएं, जिन्हें पीएम गति-शक्ति जैसे राष्ट्रीय स्थानिक तंत्रों से जोड़ा जाएगा.
सवाल 3- नई योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को कैसे लाभ होगा?

उत्तर- यह अधिनियम उत्पादक परिसंपत्तियों के निर्माण, उच्च आय और बेहतर लचीलापन के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है:
- जल सुरक्षा: जल से जुड़े कार्यों को प्राथमिकता। मिशन अमृत सरोवर के तहत 68,000 से अधिक जलाशयों का निर्माण/पुनर्जीवन इसका उदाहरण है.
- कोर ग्रामीण अवसंरचना: सड़कें और संपर्क व्यवस्था बाजार तक पहुंच बढ़ाती हैं.
- आजीविका अवसंरचना: भंडारण, बाजार और उत्पादन परिसंपत्तियां आय विविधीकरण में सहायक.
- जलवायु लचीलापन: जल संचयन, बाढ़ निकासी और मृदा संरक्षण से आजीविका की रक्षा.
- अधिक रोजगार व उपभोग: 125 दिनों की गारंटी से आय बढ़ेगी और गांव की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी.
- मजबूरी की पलायन में कमी: स्थानीय अवसर बढ़ने से पलायन घटेगा.
- डिजिटल औपचारिकता: डिजिटल उपस्थिति, भुगतान और डेटा-आधारित योजना से दक्षता बढ़ेगी
सवाल 4- नई योजना से किसानों को कैसे लाभ होगा?
- किसानों को श्रम उपलब्धता और बेहतर कृषि अवसंरचना दोनों का लाभ मिलेगा:
- श्रम उपलब्धता की गारंटी: राज्यों को बोवाई/कटाई के चरम समय में अधिकतम 60 दिनों तक मनरेगा कार्य रोकने का अधिकार.
- मज़दूरी महंगाई पर नियंत्रण: सार्वजनिक कार्य रोकने से कृत्रिम मज़दूरी वृद्धि नहीं होगी.
- जल व सिंचाई परिसंपत्तियां: प्राथमिक जल कार्यों से बहु-फसली खेती को बढ़ावा.
- बेहतर संपर्क व भंडारण: फसल भंडारण, नुकसान में कमी और बाजार पहुंच में सुधार.
- जलवायु सुरक्षा: बाढ़ निकासी, जल संचयन और मृदा संरक्षण से फसलों की रक्षा.
सवाल 5- नई योजना से मज़दूरों को कैसे लाभ होगा?

- अधिक आय: 125 दिन = 25% अधिक संभावित कमाई.
- पूर्वानुमेय कार्य: विकसित ग्राम पंचायत योजनाओं से पहले से तय कार्य.
- डिजिटल भुगतान व सुरक्षा: आधार व बायोमेट्रिक सत्यापन से मज़दूरी चोरी समाप्त.
- बेरोज़गारी भत्ता: कार्य न मिलने पर अनिवार्य.
- परिसंपत्ति लाभ: सड़क, जल और आजीविका परिसंपत्तियों से मज़दूर भी लाभान्वित.
सवाल 6- मनरेगा में बदलाव की आवश्यकता क्यों पड़ी?
- मनरेगा 2005 की परिस्थितियों के अनुसार बना था, जबकि ग्रामीण भारत बदल चुका है.
- गरीबी 2011-12 में 25.7% से घटकर 2023-24 में 4.86% रह गई.
- बेहतर सामाजिक सुरक्षा, कनेक्टिविटी और डिजिटल पहुंच के कारण पुराना ढांचा अप्रासंगिक हो गया.
- इसलिए VB–G RAM G अधिनियम एक आधुनिक, जवाबदेह और लक्षित ढांचा प्रदान करता है.
सवाल 7- मांग-आधारित से मानक (नॉर्मेटिव) फंडिंग पर क्यों शिफ्ट किया गया?
- मानक फंडिंग से बजट पूर्वानुमेय और तर्कसंगत होता है.
- रोजगार गारंटी बनी रहती है.
- प्रत्येक पात्र श्रमिक को रोजगार या बेरोज़गारी भत्ता सुनिश्चित.
सवाल 8- क्या मानक फंडिंग से 125 दिनों की गारंटी कमजोर होती है?
उत्तर- नहीं.
- 2024-25 में मांग और आवंटन का सटीक मिलान.
- केंद्र-राज्य की साझा जिम्मेदारी.
- आपदा के समय विशेष छूट.
- कार्य न मिलने पर बेरोज़गारी भत्ता अनिवार्य.
सवाल 9- क्या पहले मनरेगा सुधारने के प्रयास नहीं हुए?
उत्तर- कई सुधार हुए, जैसे:
- महिला भागीदारी: 48% → 56.74%.
- आधार-सीडेड श्रमिक: 76 लाख → 12.11 करोड़.
- ई-भुगतान: 37% → 99.99%.
- फिर भी दुरुपयोग और कमजोर अनुपालन बना रहा, इसलिए नया अधिनियम आवश्यक हुआ.
सवाल 10- मनरेगा में ऐसी कौन-सी समस्याएं थीं, जिनसे बदलाव जरूरी हुआ?

- पश्चिम बंगाल के 19 जिलों में फर्जी कार्य और धन दुरुपयोग.
- 23 राज्यों में निरीक्षण के दौरान कई कार्य खर्च के अनुरूप नहीं पाए गए.
- 2024-25 में ₹193.67 करोड़ की गड़बड़ी.
- इन समस्याओं के समाधान के लिए नया, डिजिटल और जवाबदेह ढांचा आवश्यक था.
सवाल 11- नए अधिनियम में पारदर्शिता और सामाजिक सुरक्षा के क्या प्रावधान हैं?
- एआई-आधारित धोखाधड़ी पहचान.
- केंद्र-राज्य स्टीयरिंग समितियां.
- पंचायतों की बढ़ी निगरानी भूमिका.
- जीपीएस/मोबाइल निगरानी.
- रियल-टाइम एमआईएस डैशबोर्ड.
- साप्ताहिक सार्वजनिक खुलासे.
- वर्ष में दो बार सामाजिक ऑडिट.
सवाल 12- केंद्रीय क्षेत्र से केंद्र प्रायोजित योजना में बदलाव क्यों?
- रोजगार स्थानीय विषय है.
- राज्यों की लागत व जिम्मेदारी साझा.
- क्षेत्रीय परिस्थितियों के अनुसार योजनाएं.
- केंद्र मानक तय करेगा, राज्य क्रियान्वयन करेंगे.
सवाल 13- क्या इससे राज्यों पर वित्तीय बोझ पड़ेगा?

उत्तर- नहीं.
- सामान्य अनुपात: 60:40 (केंद्र:राज्य).
- पूर्वोत्तर व हिमालयी राज्य: 90:10.
- बिना विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेश: 100% केंद्र वित्तपोषण.
- आपदा में अतिरिक्त सहायता संभव.
सवाल 14- 60 दिनों का “नो-वर्क पीरियड” क्यों और तब मज़दूर क्या करेंगे?
- बोवाई/कटाई के समय कृषि श्रम उपलब्ध रहेगा.
- मज़दूरी महंगाई रुकेगी.
- मज़दूर कृषि कार्यों की ओर शिफ्ट होंगे, जहां मौसमी मज़दूरी अधिक होती है.
- 60 दिन कुल मिलाकर हैं, लगातार नहीं.
- शेष लगभग 300 दिनों में 125 दिनों की गारंटी बनी रहेगी.
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