हाल ही में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) पर एक रिपोर्ट आई थी, जिसे लेकर प्रमुख सरकारी बैंक ने सफाई जारी की है. दरअसल, एक रिपोर्ट में कहा गया था कि बैंक ने अप्रैल, 2017 से लेकर दिसंबर, 2019 के दौरान प्रधानमंत्री जन-धन योजना के खाताधारकों से डिजिटल भुगतान के एवज में वसूले गए 164 करोड़ रुपये के अनुचित शुल्क को अभी तक लौटाया नहीं है. सरकार की ओर से बैंक को यह वसूला गया शुल्क ग्राहकों को लौटाने का निर्देश दिया गया था. लेकिन इस रिपोर्ट के मुताबिक, बैंक ने अभी तक बस 90 करोड़ का शुल्क ही वापस किया है, अभी 164 करोड़ रुपये की राशि लौटाई जानी बाकी है. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे की तरफ से जन-धन खाता योजना पर तैयार एक रिपोर्ट में यह बात कही गई थी.
इस रिपोर्ट पर एसबीआई ने सोमवार को एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि वो इस संबंध में सभी सरकार और संबंधित अथॉरिटी के निर्देशों का पालन कर रही है.
Press Release w.r.t. a news article published on 22.11.2021.#SBI #DigitalBanking #DigitalTransactions #FinancialInclusion pic.twitter.com/JtEBcjzLvV
— State Bank of India (@TheOfficialSBI) November 22, 2021
बैंक ने अपने बयान में कहा है कि '22 नवंबर, 2021 को एक न्यूज आर्टिकल सामने आया है, जिसमें कहा गया है कि SBI डिजिटल ट्रांजैक्शन पर लिए गए चार्जेस का रिफंड नहीं कर रहा है. हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि हम इस संबंध में सरकारी और नियामकीय संस्थाओं का पूरी तरह से पालन कर रहे हैं.'
बैंक ने अपने बयान में यह भी कहा है कि '1 जनवरी, 2020 से बैंक ने अपने सभी डिजिटल ट्रांजैक्शन को फ्री ऑफ चार्ज कर दिया है. वहीं, ग्राहकों के लिए महीने में चार कैश विदड्रॉल भी फ्री है.'
क्या था पूरा मामला?आईआईटी बॉम्बे की रिपोर्ट के मुताबिक, SBI ने अप्रैल, 2017 से लेकर सितंबर, 2020 के दौरान जन-धन योजना के तहत खोले गए साधारण बचत खातों से यूपीआई और रुपे लेनदेन के एवज में कुल 254 करोड़ रुपये से अधिक शुल्क वसूला था. इसमें प्रति लेनदेन बैंक ने खाताधारकों से 17.70 रुपये का शुल्क लिया था. SBI के इस कदम ने डिजिटल लेनदेन करने वाले जन-धन खाताधारकों पर उलटा असर डाला. रिपोर्ट में कहा गया है कि SBI के इस रवैये की अगस्त, 2020 में वित्त मंत्रालय से शिकायत की गई थी जिसने फौरन कदम उठाया.
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने 30 अगस्त, 2020 को बैंकों के लिए यह परामर्श जारी किया कि 1 जनवरी, 2020 से खाताधारकों से लिए गए शुल्क को वापस कर दिया जाए, इसके अलावा भविष्य में इस तरह का कोई शुल्क नहीं वसूलने को भी कहा गया. इसके बाद SBI ने 17 फरवरी, 2021 को शुल्क को लौटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी.
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