
1 अक्टूबर, 2025 से भारत में ऑनलाइन डिजिटल भुगतान (Online Digital Payments) का तरीका बदलने जा रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ऑनलाइन लेनदेन को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए नए नियम जारी किए हैं. इन नियमों का सीधा असर ग्राहकों और व्यवसायों दोनों पर पड़ेगा, खासकर उन लोगों पर जो सब्सक्रिप्शन-आधारित सेवाओं का उपयोग करते हैं, जैसे कि ओटीटी (OTT) प्लेटफॉर्म, या म्यूजिक स्ट्रीमिंग.

क्या है RBI की नई गाइडलाइंस?
RBI की नई गाइडलाइंस के अनुसार, 1 अप्रैल 2026 से क्रेडिट या डेबिट कार्ड से होने वाले सभी रिकरिंग ट्रांजैक्शन यानी कि स्वचालित मासिक या वार्षिक भुगतान के लिए अतिरिक्त सुरक्षा की आवश्यकता होगी. इसका मतलब है कि अब बिना आपकी मंजूरी के कोई भी ऑटोमैटिक पेमेंट नहीं हो पाएगा.
नए नियम के तहत, बैंकों को ग्राहकों को हर रिकरिंग पेमेंट से कम से कम 24 घंटे पहले एक नोटिफिकेशन भेजना होगा. इस नोटिफिकेशन में ट्रांजैक्शन अमाउंट, तारीख और जिस कंपनी को भुगतान किया जा रहा है, उसकी जानकारी होगी. ग्राहक को इस नोटिफिकेशन पर अपनी मंजूरी देनी होगी. अगर ग्राहक ऐसा नहीं करता है तो ट्रांजैक्शन नहीं होगा.
ग्राहकों पर क्या होगा असर?
यह बदलाव ग्राहकों के लिए फायदेमंद है क्योंकि यह उनके पैसे की सेफ्टी करेगा. अब तक, कई ऐप्स और सेवाओं ने एक बार की अनुमति के बाद हर महीने पैसे काट लिए थे, लेकिन अब हर ट्रांजैक्शन के लिए ग्राहक की मंजूरी जरूरी होगी.
5,000 रुपये तक के ट्रांजैक्शन के लिए, ओटीपी (OTP) की जरूरत नहीं होगी, लेकिन ग्राहकों को नोटिफिकेशन भेजा जाएगा.
5,000 रुपये से ऊपर के सभी ट्रांजैक्शन के लिए, हर बार ग्राहक की अनुमति के साथ एक वन-टाइम पासवर्ड अनिवार्य होगा.
व्यापारियों और बैंकों के लिए चुनौती
नए नियमों को लागू करना बैंकों और ऑनलाइन व्यापारियों के लिए एक बड़ी चुनौती है. उन्हें अपने सिस्टम को अपडेट करना होगा ताकि वे ग्राहकों को समय पर सूचनाएं भेज सकें और उनकी मंजूरी ले सकें. अगर कोई बैंक या कंपनी इन नियमों का पालन नहीं करती है, तो उन्हें आरबीआई के जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है.
सेफ्टी फर्स्ट
RBI का यह कदम डिजिटल इंडिया के लिए एक सकारात्मक कदम है. इसका मुख्य उद्देश्य ग्राहकों के पैसे को सेफ्टी देना है. भले ही शुरू में कुछ लोगों को यह प्रोसेस थोड़ा परेशान करेगी, लेकिन लंबी अवधि में यह ग्राहकों के लिए बेहद कारगर है. यह गाइडलाइंस न केवल धोखाधड़ी को कम करेगी, बल्कि ग्राहकों को अपने खर्चों को बेहतर ढंग से ट्रैक करने में भी मदद करेगी.
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