घर खरीदना या बेचना दोनों ही बहुत बड़े और अहम फैसले होते हैं. कोई व्यक्ति अपना मकान इसलिए बेचता है, क्योंकि उसे बाजार में अच्छा दाम मिल रहा होता है, तो कई बार व्यक्ति अपनी जरूरतों या नई प्रॉपर्टी खरीदने के लिए पुरानी संपत्ति बेचता है. हालांकि, कारण चाहे कुछ भी हो बिना सही तैयारी और उचित जानकारी के जल्दबाजी में प्रॉपर्टी बेचना काफी नुकसान पहुंचा सकता है. कई बार लोग जोश-जोश में फैसला तो ले लेते हैं, लेकिन बाद में उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है.
मार्केट एक्सपर्ट्स कहना है कि डील फाइनल करने से पहले कुछ जरूरी बातों को समझना और उन पर ध्यान देना बहुत जरूरी है, ताकि आपको सही कीमत मिले और आगे चलकर किसी भी दिक्कत का सामना न करना पड़े.
इन बातों का रखें ख्याल
- प्रॉपर्टी (जैसे घर या प्लॉट) बेचने से होने वाली कमाई पर सरकार टैक्स लेती है. इसे 'कैपिटल गेन टैक्स' कहा जाता है. अगर आप खरीदी गई प्रॉपर्टी को 2 साल से पहले बेचते हैं तो होने वाला मुनाफा आपकी इनकम में जुड़ता है और आपके स्लैब के अनुसार टैक्स लगता है. 2 साल के बाद बेचने पर 12.5% या पुराने नियमों के तहत टैक्स लगता है. इनकम टैक्स एक्ट की धारा 54 के तहत, अगर आप घर बेचकर दूसरा घर खरीदते हैं, तो आप टैक्स में छूट पा सकते हैं.
- इनकम टैक्स नियमों के अनुसार, अगर मकान की कीमत 50 लाख रुपए से ज्यादा है, तो खरीदार को पेमेंट करते समय 1% TDS काटना होता है. एक विक्रेता के रूप में यह सुनिश्चित करना आपकी जिम्मेदारी है कि खरीदार आपको 'TDS सर्टिफिकेट' (Form 16B) दे, ताकि आप अपनी ITR में इसका क्लेम कर सकें.
- घर बेचते समय महत्वपूर्ण डॉक्युमेंट्स तैयार रखें, जैसे - टाइटल डीड है, जो साबित करता है कि आप ही मकान मालिक हैं. इसके अलावा हाउस टैक्स, बिजली बिल और सोसाइटी मेंटेनेंस का 'नो ड्यूज सर्टिफिकेट' (NOC) तैयार रखें. अगर प्रॉपर्टी पर होम लोन चल रहा है, तो बैंक से क्लोजर प्रोसेस की बात करें.
- प्रॉपर्टी का सर्कल रेट जरूर पता करें. सेल डीड की वैल्यू सर्कल रेट से कम नहीं हो सकती है. सही मार्केट वैल्यू जानने के लिए आसपास में हुई हालिया डील्स का पता लगाएं.
- घर खरीदने पर आपको केवल कीमत ही नहीं, बल्कि स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस भी देनी पड़ती है. स्टांप ड्यूटी आमतौर पर 5-7% और रजिस्ट्रेशन फीस 1% होती है. कुछ राज्यों में महिलाओं के लिए छूट भी मिलती है.
- कई बार डीड में लिखे एरिया और जमीन पर असली माप में फर्क निकल आता है. इस दुविधा से निजात पाने के लिए लाइसेंस प्राप्त सर्वेयर से नपाई करवाएं और GPS या इलाके के सर्वे रिकार्ड से मैच करें.
- अप्रूव्ड टाउनशिप में प्लॉट लेना हमेशा सुरक्षित होता है. बिना मंजूरी वाले माकन बाद में तोड़फोड़ का शिकार हो सकते हैं. इसलिए टाउन प्लानिंग अथॉरिटी या स्थानीय विकास प्राधिकरण से मंजूरी को जरूर चेक करें. कृषि जमीन हो तो उसका NA कन्वर्जन चेक करें.
- भारत में जमीन पर विवाद होना भी बहुत आम है. इसलिए खरीदने से पहले यह चेक करना जरूरी है कि कहीं उस पर कोई कोर्ट केस या पारिवारिक विवाद तो नहीं है. इसके लिए आप स्थानीय कोर्ट और रेवेन्यू डिपार्टमेंट से रिकार्ड चेक कर सकते हैं या एन्कम्ब्रेन्स सर्टिफिकेट मांग सकते हैं. यह डॉक्यूमेंट बताता है कि प्रॉपर्टी पर कोई लोन या कानूनी विवाद नहीं है.
- पानी, बिजली और सीवरेज जैसी सामान्य सुविधाओं को चेक करें. इनकी कमी बाद में परेशानी बढ़ा सकती है.
- प्लॉट की लोकेशन उसकी वैल्यू और भविष्य की कीमत पर सीधा असर डालती है. इसलिए स्कूल, अस्पताल, रोड और पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसी सुविधाओं से दूरी जरूर चेक करें.
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