PPF (Public Provident Fund) या सार्वजनिक भविष्य निधि योजना सरकार द्वारा चलाई जाने वाली एक अहम बचत निवेश योजना है. पब्लिक प्रोविडेंट फंड खाता संगठित क्षेत्र के हर नौकरीपेशा की जरूरत होती है. उसकी सैलरी स्ट्रक्चर में पीएफ का हिस्सा भी होता है, जो हर महीने कटकर उसके रिटायरमेंट फंड में जाता है. हालांकि, इसमें नौकरीपेशा लोगों के अलावा कोई निजी तौर पर भी निवेश कर सकता है. पीपीएफ निवेश का भी बढ़िया विकल्प माना जाता है. पीपीएफ में निवेशकों को सुनिश्चित और टैक्स-फ्री पूंजी मिलती है.
पीपीएफ को सार्वजनिक भविष्य निधि अधिनियम, 1968 के तहत 1968 में शुरू किया गया था. पीपीएफ का प्रबंधन वित्त मंत्रालय के तहत आर्थिक मामलों के विभाग की ओर से होता है. पीपीएफ टैक्स की EEE (छूट-छूट-छूट) श्रेणी के अंतर्गत आता है जिसमें मूल राशि, अर्जित ब्याज और परिपक्वता राशि, सभी करों से मुक्त हैं. पीपीएफ फंड पर प्रदान की जाने वाली ब्याज दर सरकार की ओर से तय की जाती है जो वर्तमान में 7.1% पर तय है.
कितना देना होता है योगदान
कोई भी पीपीएफ में एकमुश्त या प्रति वर्ष अधिकतम 12 किस्तों में योगदान कर सकता है. इसमें 500 रुपये के न्यूनतम निवेश के साथ शुरू कर सकते हैं. निवेशक को सालाना न्यूनतम 500 रुपये तक का डिपॉजिट करना होगा. निवेशक साल में 50 के गुणांक में कई किस्तों में निवेश कर सकता है, लेकिन एक साल में अधिकतम 12 किस्तों की ही अनुमति है. ध्यान रहे कि इसके एक साल में अधिकतम डेढ़ लाख रुपये तक का ही निवेश किया जा सकता है.
जैसे कि मान लीजिए कि अगर कोई निवेशक एक साल में 50,000 रुपये सालाना का निवेश करता है, तो मौजूदा 7.1 प्रतिशत के ब्याज दर के हिसाब से वो 15 सालों में 13.56 लाख रुपये की रकम बना लेगा.
वहीं, अगर वो एक साल में 1.5 लाख रुपये तक की रकम जमा करता है तो वो इस ब्याज दर से 15 सालों में 40.68 लाख रुपये जमा हो जाएंगे. अगर निवेशक अपना अकाउंट 15 साल के बाद एक्सटेंड कराते हैं, तो मैच्योरिटी अमाउंट भी बढ़ सकता है.
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पीपीएफ से कब निकाल सकते हैं पैसा
पीपीएफ जमा का मैच्योरिटी पीरियड 15 वर्ष है जिसे लॉक-इन अवधि के रूप में भी जाना जाता है. हालांकि, सरकार ने कुछ पूर्वनिर्धारित परिस्थितियों जैसे गंभीर बीमारी (चिकित्सा आधार) या बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए पीपीएफ खाते को समय से पहले बंद करने की अनुमति दी है. पीपीएफ खाते को समय से पहले बंद करने के लिए निकासीकर्ता को जमा पर अर्जित ब्याज का 1% जुर्माना के रूप में देना होगा.
पीपीएफ निवेश पर ले सकते हैं लोन
पीपीएफ सब्सक्राइबर अपने पीपीएफ अमाउंट पर लोन भी ले सकते हैं. अभिदाता भी अपने पीपीएफ बैलेंस के एवज में 7 साल के योगदान के पूरा होने के बाद ही विभिन्न आधारों पर लोन के लिए अप्लाई कर सकता है. हालांकि, यह सुविधा पीपीएफ अकाउंट खोलने के तीसरे और छठवें साल के बीच में ही मिलती है. पीपीएफ अकाउंट में जितनी रकम है, उसके 25 फीसदी अमाउंट पर ही लोन लिया जा सकता है. लोन पर ब्याज दर, पीपीएफ निवेश पर मिलने वाले ब्याज दर से एक प्रतिशत ज्यादा होता है.
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