तो आइए इस बहाने एक बार इस योजना को समझने की कोशिश करते हैं.
क्या है वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना?
मोदी सरकार ने 2019 में इस योजना की शुरुआत की थी. यह योजना National Food Security Act, 2013 के तहत लागू की गई है. बता दें कि National Food Security Act के तहत देश में 80 करोड़ से ज्यादा लोग सब्सिडी पर गेंहू, चावल और कुछ दूसरे अन्न खरीद पाने के पात्र हैं. इसके तहत ही इस वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना को विस्तार दिया गया है.
इसे पहले 4 राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया था, लेकिन बाद में घोषणा हुई कि इसे मार्च, 2021 तक पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा. हालांकि, ऐसे बहुत से राज्य हैं, जहां अभी यह योजना शुरू नहीं हो पाई है. इस योजना का लक्ष्य है कि देश में हर लाभार्थी को, खासकर प्रवासियों को देश भर के किसी भी Public Distribution System Shop यानी सरकारी वितरण के तहत आने वाली दुकानों से राशन मिलता रहे.
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पहले से चली आ रही व्यवस्था में ऐसा होता है कि राशनकार्डधारी अगर अपना जिला, राज्य छोड़कर कहीं और चला जाता है, तो वो अपने पुराने राशन कार्ड से राशन नहीं ले सकता, लेकिन अगर अगर यह योजना पूरे देश में लागू हो जाती है, तो उसका एक ही राशन कार्ड पूरे देश में मान्य होगा. इस योजना का लक्ष्य है कि अगर कोई लाभार्थी एक जगह से दूसरी जगह जाता है तो भी वो खाद्य सुरक्षा योजना के तहत राशन पर सब्सिडी से वंचित न रहे.
इस योजना को सरकार भुखमरी दूर करने के लिए भी लाई है. साथ ही इसके जरिए राशन वितरण में बिचौलियों का दखल और फर्जीवाड़े की घटनाओं पर लगाम लाने की भी मंशा है.
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गरीबी रेखा के नीचे की श्रेणी में आने वाला कोई भी नागरिक इस योजना का फायदा उठा सकता है. लाभार्थियों की पहचान इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ सेल के जरिए उनके आधार यानी बायोमीट्रिक ऑथेंटिकेशन से की जाएगी. हर PDS दुकान पर इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ सेल डिवाइस उपलब्ध होगी.
किन राज्यों में हो चुकी है लागू?
वित्त मंत्रालय की ओर से 11 मार्च, 2021 को जारी किए गए एक सर्कुलर के मुताबिक 17 राज्य इस योजना को लागू कर चुके हैं, जिनमें आंध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, मणिपुर, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश हैं.