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1 अक्टूबर से NPS में बड़े बदलाव: मोटी कमाई के लिए शेयरों में 100% पैसे लगाने का मौका, विड्रॉल के नियम होंगे आसान

NPS New Rules From 1 October 2025:  1 अक्टूबर 2025 से नॉन-गवर्नमेंट सब्सक्राइबर्स को अपने पूरे फंड को इक्विटी ऑप्शन में लगाने की अनुमति मिलेगी. इसका फायदा उन लोगों को होगा जो लॉन्ग टर्म के लिए ज्यादा रिटर्न चाहते हैं और स्टॉक मार्केट में रिस्क लेने को तैयार हैं.

1 अक्टूबर से NPS में बड़े बदलाव: मोटी कमाई के लिए शेयरों में 100% पैसे लगाने का मौका, विड्रॉल के नियम होंगे आसान
NPS Rule Change from October 1: PFRDA ने NPS को और आकर्षक बनाने के लिए  विड्रॉल और एग्जिट नियमों को आसान करने का प्रस्ताव रखा है.
नई दिल्ली:

अगर आप रिटायरमेंट की प्लानिंग के लिए नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में निवेश करते हैं, तो आपके लिए यह खबर बहुत जरूरी है.  शुरुआत में NPS को खास तौर पर सरकारी कर्मचारियों के लिए शुरू किया गया था, लेकिन सरकार ने अक्टूबर 2009 में NPS को प्राइवेट सेक्टर के यानी नॉन-गवर्नमेंट सब्सक्राइबर्स और आम नागरिकों के लिए शुरू कर दिया था. पिछले 16 सालों में यह स्कीम काफी पॉपुलर हो गया  है और लोगों का भरोसेमंद रिटायरमेंट इन्वेस्टमेंट बन चुका है. सरकार समय-समय पर इससे जुड़े नियमों में बदलाव भी करती रही है ताकि इसे और आसान, टैक्स फ्रेंडली और लोगों की जरूरत के हिसाब से बेहतर बनाया जा सके.

1 अक्टूबर से NPS सब्सक्राइबर्स के लिए नए बदलाव

पिछले कई साल में इस योजना में कई बड़े बदलाव और सुधार देखने को मिले हैं, जैसे इक्विटी एक्सपोजर के नियम, टैक्सेशन और विड्रॉल की गाइडलाइन आदि.अब 1 अक्टूबर 2025 से फिर से कुछ अहम बदलाव लागू होने जा रहे हैं. जिसमें सबसे बड़ा बदलाव नॉन-गवर्नमेंट सब्सक्राइबर्स को 100% इक्विटी में इन्वेस्टमेंट की अनुमति, नया मल्टिपल स्कीम फ्रेमवर्क (MSF) और विड्रॉल को लेकर है. आइए जानते हैं 1 अक्टूबर से NPS सब्सक्राइबर्स के लिए क्या-क्या नए बदलाव होने जा रहे हैं और इसके क्या फायदे हैं...

100% इक्विटी इन्वेस्टमेंट ऑप्शन

अभी तक NPS में इक्विटी इन्वेस्टमेंट (Equity Investment Option) की एक लिमिट 9(75%) तय थी.लेकिन 1 अक्टूबर 2025 से यह सीमा बढ़ाकर 100% कर दी जाएगी.  1 अक्टूबर 2025 से नॉन-गवर्नमेंट सब्सक्राइबर्स को अपने पूरे फंड को इक्विटी ऑप्शन में लगाने की अनुमति मिलेगी. यानी अब निवेशक चाहें तो अपना पूरा पैसा शेयर मार्केट (Equity) में लगा सकते हैं.

बता दें कि लंबे समय में इक्विटी निवेश ने हमेशा बेहतर रिटर्न दिए हैं. इसका फायदा उन लोगों को होगा जो लॉन्ग टर्म के लिए ज्यादा रिटर्न चाहते हैं और स्टॉक मार्केट में रिस्क लेने को तैयार हैं. इससे निवेशकों को रिटायरमेंट तक मोटा फंड बनाने का मौका मिलेगा. हालांकि इक्विटी मार्केट काफी उतार-चढ़ाव वाला होता है, इसलिए इसमें रिस्क भी रहेगा.

मल्टिपल स्कीम फ्रेमवर्क(MSF)

अभी तक NPS सब्सक्राइबर्स एक ही PRAN (Permanent Retirement Account Number) पर सिर्फ एक स्कीम चला सकते थे. लेकिन नए नियम के तहत  मल्टिपल स्कीम फ्रेमवर्क (Multiple Scheme Framework) आ रहा है. यानी अब आप एक ही PRAN पर अलग-अलग Central Record Keeping Agencies (CRAs) की स्कीम्स चुन सकेंगे. इससे निवेशकों को ज्यादा विकल्प और लचीलापन मिलेगा.

इसके तहत पेंशन फंड मैनेजर्स अब निवेशकों की प्रोफाइल, उम्र, जेंडर या प्रोफेशन के आधार पर नई कस्टमाइज्ड स्कीमें ला सकेंगे. इसका फायदा ये होगा कि  निवेशक अपनी सुविधा और जोखिम उठाने की क्षमता के हिसाब से लो, मीडियम और हाई रिस्क ऑप्शन में  से कोई स्कीम चुन पाएंगे.अब मौजूदा NPS स्कीम को 'कॉमन स्कीम' कहा जाएगा, जबकि MSF के तहत नई स्कीमें अलग से होंगी.

एग्जिट और विड्रॉल के नियम भी होंगे आसान

PFRDA ने NPS को और आकर्षक बनाने के लिए  विड्रॉल और एग्जिट नियमों को आसान करने का प्रस्ताव रखा है.

15 साल बाद एग्जिट का मौका: पहले NPS से एग्जिट का विकल्प ज्यादातर रिटायरमेंट (60 साल) या लंबी अवधि बाद ही मिलता था. लेकिन अब प्रस्ताव है कि नॉन-गवर्नमेंट सब्सक्राइबर्स 15 साल पूरे होने के बाद भी स्कीम से एग्जिट कर सकेंगे.जैसे अगर कोई 30 साल की उम्र में निवेश शुरू करता है, तो वह 45 साल में चाहें तो एग्जिट कर सकता है. इससे बीच में पैसों की जरूरत होने पर राहत मिलेगी.

लंप सम विड्रॉल और पार्ट विड्रॉल आसान: पेंशन फंड रेगुलेटर ने लंप सम विड्रॉल लिमिट बढ़ाने और आंशिक विड्रॉल के नियम आसान करने की भी सिफारिश की है. अभी नियम है कि निकासी यानी विड्रॉल के समय 40% राशि एन्युटी में लगाना अनिवार्य है.प्रस्ताव है कि इस हिस्से को घटाकर 20% कर दिया जाए.यानी अब निवेशक अपने कॉर्पस का 80% तक कैश में निकाल सकेंगे.

यानी एन्युटी नियमों में राहत से अब एजुकेशन, मेडिकल खर्च या घर बनाने जैसी जरूरतों के लिए बीच में पैसे निकालना और आसान हो जाएगा. हालांकि टैक्स नियम के मुताबिक, अभी भी 60% तक निकाली गई रकम टैक्स-फ्री होगी, जबकि बाकी 20% पर टैक्स लग सकता है.

लम्पसम विड्रॉल की लिमिट बढ़ी (Lump Sum Withdrawal Limit)

अगर 60 साल की उम्र में आपके NPS कॉर्पस में 12 लाख रुपये तक हैं, तो आप उसमें से 50% या 6 लाख रुपये (जो ज्यादा हो) टैक्स-फ्री लम्पसम निकाल सकते हैं. बाकी पैसे आप चाहे तो किस्तों में निकाल सकते हैं, या पेंशन (एन्युटी) में बदल सकते हैं, या फिर दोनों का मिलाजुला तरीका अपना सकते हैं.

छोटे कॉर्पस वालों के लिए भी नियम आसान होंगे. उदाहरण के तौर पर, अगर आपका कॉर्पस 4 लाख रुपये तक है, तो आप पूरी राशि एकमुश्त निकाल सकेंगे. पहले यह सीमा 2.5 लाख रुपये थी.

आंशिक निकासी (Partial Withdrawal)

पहले पूरे निवेश (Investment Period) के दौरान आप केवल 3 बार ही पैसा निकाल सकते थे. अब यह लिमिट बढ़ाकर 6 बार कर दी जाएगी, बशर्ते हर निकासी (Withdrawal) के बीच 4 साल का अंतराल हो. 60 साल की उम्र के बाद हर फाइनेंशियल ईयर में 3 बार विड्रॉल किया जा सकेगा.

पिछले एक साल में हुए बड़े बदलाव

NPS में पिछले एक साल में भी कई बदलाव हुए हैं. सबसे अहम बदलाव है यूनिफाईड पेंशन स्कीम (UPS), जो आर्म्ड फोर्स को छोड़कर सिर्फ केंद्रीय कर्मचारियों के लिए लाया गया है . यह बदलाव लगातार OPS (Old Pension Scheme) की मांग के बीच किया गया. हालांकि UPS में अभी तक कर्मचारियों की ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखी है. इसलिए सरकार ने एक बार NPS पर वापस लौटने का विकल्प भी दिया है. जिसकी डेडलाइन आज यानी 30 सितंबर को खत्म हो रही है.

NPS ने 2009 से अब तक लंबा सफर तय किया है. अब 100% इक्विटी इन्वेस्टमेंट और मल्टिपल स्कीम फ्रेमवर्क जैसे नए बदलाव इसे और आकर्षक बनाएंगे. वहीं, विड्रॉल और एग्जिट के नियम आसान होने से निवेशकों का भरोसा और बढ़ेगा. इन बदलावों से यह स्कीम लोगों के लिए और अधिक भरोसेमंद साबित हो सकती है.

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