युवा लोग नौकरी पर लगते ही पहले अपने शौक पूरे करते हैं और मौज के चक्कर में बचत और निवेश पर ध्यान कम देते हैं. अकसर ऐसा करते करते कब 30 की उम्र पार हो जाती है पता ही नहीं चलता. फिर शादी और खर्चे. जिंदगी बदल जाती है. कुछ साल इसमें चले गए और बच्चों की जिम्मेदारी में सैलरी पूरी खर्च होने लग जाती है. इस पूरी आपाधापी में बचत और निवेश की बात जिंदगी से कहीं खो जाती है. जब उम्र 40 के करीब पहुंचती है तब याद आता है कि हमनें कोई निवेश नहीं किया है. बचत पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया है.
इंश्योरेंस को ही निवेश न समझें (Insurance is not the investment)
अब क्या करें माथे पर हाथ और कई बार भविष्य अंधकारमय लगने लगता है. एक जरूरी बात, अमूमन नौकरी लगते हैं ज्यादातर लोग किसी न किसी साथी या फिर इंश्योरेंस एजेंट के जरिए कोई न कोई जीवन बीमा की एनडावमेंट पॉलिसी ले चुके होते हैं. क्योंकि इसे लेने से सरकार की ओर से टैक्स छूट का लाभ होता है, इंश्योरेंस एजेंट ज्यादा से ज्यादा प्रीमियम वाली पॉलिसी बेच कर अपना काम कर चुका होता है और सालों साल आपके प्रीमियम के साथ अपनी कमीशन की कमाई पक्का कर लेता है.
यदि सैलरी में ठीक-ठाक इजाफा हो गया तब यह तय हो जाता है कि कुछ प्रॉपर्टी में निवेश हो जाता है वो ही एक मात्र जमापूंजी दिखती है. यानि पॉलिसी और प्रॉपर्टी और बैंक में बैंक बैलेंस, जिसे देखकर पैसे इकट्ठा होने का गुमान चलता रहता है.
यह स्थिति कोई अच्छी नहीं कही जा सकती है. अच्छा तो यह होता कि बैंक बैलेंस, प्रॉपर्टी के साथ-साथ अलग-अलग खातों में निवेश और रकम दिखे जो साल दर साल बढ़ती जाए और जब आप उसे देखें तो आपके माथे के बल मिटते चले जाएं.
इसके लिए जरूरी है कि आप स्मार्ट सेविंग और इनवेस्टमेंट प्लान बनाएं. यह कोई लुका-छुपा फॉर्मूला नहीं है. ज़रा सी समझदारी होनी चाहिए और आप जिंदगी के उस कुचक्र से बच जाएंगे जिसमें ज्यादातर लोग फंस के आधी उम्र बीत जाने के बाद अफसोस करते हैं.
पैसे से पैसा कमाना सीखना जरूरी (How to earn money)
आपको करना क्या है. केवल पैसे से पैसा कमाना सीखना है. पैसा कमाने के यह तात्पर्य कतई नहीं है कि नौकरी बदल ली जाए और बस यही करते रहें. ऐसा संभव ही नहीं है.
जरूरी है कि पैसा कमाने के साथ-साथ कितना पैसा बचाया इस पर ध्यान दिया जाए. बचाने के बाद उस बचे पैसे का क्या किया यह भी बेहद जरूरी है. बचत का निवेश क्या किया, कहां किया यह समझना बेहद आवश्यक है.
ये गलती कभी न करें
जैसा कि पहले ही कहा है कि सेविंग अकाउंट में पैसा देखकर सुकून मिलता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ज्यादा इनवेस्टमेंट सलाहकारों की राय में सेविंग खाते में पड़ा पैसा आपके लिए नुकसान का सौदा है. वे लोग इसे ब्लंडर कहते हैं. क्यों यहां समझिए. आज की तारीख में सेविंग खाते में 3-4 प्रतिशत सालाना की दर से ब्याज मिलता है और बाहर महंगाई 6-7 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ रही है. ऐसे में यदि हम महंगाई के हिसाब से अपने पैसे का रिटर्न नहीं ले पा रहे हैं तो यह घाटा ही दे रहा है. इसलिए पैसे का निवेश कम से कम महंगाई की दर से ज्यादा हो ताकि हमें कुछ मुनाफा हो सके. मुनाफा न सही तो नुकसान से बचने की कोशिश तो करनी ही चाहिए. ऐसे में सलाह यही दी जाती है कि यदि कुछ नहीं कर सकते हैं तो कम से कम एफडी कर सकते हैं जिसमें सेविंग से ज्यादा ब्याज दर से पैसा मिलता है.
कैसे करें एफडी
हमें एफडी भी अलग अलग समय की करा लेनी चाहिए... या फिर ऐसे टेन्योर की जिसमें सबसे ज्यादा ब्याज मिल रहा है.
कुछ नहीं तो एफडी ही करा लें. एफडी भी अलग-अलग समय की करा लें... इससे लाखों रुपये का फर्क पड़ता है. आने वाले 20 सालों में...
पैसे बचाने के बाद उसका क्या करें
अब सवाल उठा कि जो पैसा बचाया उसका क्या करें ताकि रिटर्न अच्छा मिले. सबसे पहले महीना को जो भी आपका या आपके परिवार का खर्च होता है उसका करीब छह गुणा पैसा एकत्र कर लें और उसकी एफडी कराएं जैसा कि ऊपर ही सुझाया गया है. इसके बाद म्यूचुअल फंड की बारी आती है. कई लोग इस बात से डरते है कि म्यूचुअल फंड शेयर बाजार में निवेश है और यह पैसा कभी भी डूब सकता है. हां, संभव है यदि पूरी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से तबाह हो जाए और सभी बड़ी कंपनियां एकदम धराशाई हो जाएं. ऐसा होने के आसार नहीं होते हैं. वैसे भी म्यूचुअल फंड सेबी रेगुलेट करता है. सेबी इस बात का ध्यान रखता है कि कंपनी नियमों के हिसाब से काम करें और निवेशकों का पैसा सुरक्षित रहे.
म्यूचुअल फंड के निवेश से डरते क्यों हैं
अब यह जरूरी नहीं कि सीधे शेयर बाजार में स्टॉक्स के जरिए निवेश किया जाए. अगर आप शेयर बाजार को नहीं समझते हैं तब यहां जल्दबाजी में कूदना नुकसानदायक होगा. इसलिए SIP बढ़िया ऑप्शन है. SIP का चयन कैसे करें. यह सवाल काफी अहम हो जाता है. बाजार स्थिर है और भविष्य में ऊपर जाने के आसार हैं तो लार्ड कैप वाले फंड में निवेश अच्छा रहता है. अच्छा हो यदि फंड पर थोड़ा रिसर्ज किया जाए और फिर निवेश किया जाए. संभव हो तो किसी जानकार की सलाह से गुरेज नहीं करना चाहिए. एसआईपी चुनते समय फंड की रेटिंग जरूर चेक कर लें. जिन फंड की रेटिंग 4-5 स्टार हो वो लेना ठीक रहता है. खुद ही एसआईपी खरीदेंगे तो ठीक रहेगा. यदि आत्मविश्वास की कमी हो तो ब्रोकर की मदद लें. ब्रोकर के माध्यम से लेने में ब्रोकरेज लग जाएगा बस इस बात का ध्यान रखें. अधिकतर ब्रोकर यह बात साफ नहीं बताते हैं.
म्यूचुअल फंड में नुकसान का डर.
म्यूचुअल फंड में निवेश का खतरा तो है
जैसा कि ऊपर बताया म्यूचुअल फंड में निवेश करने का जोखिम उठाने से पहले लोग बाजार की चाल से डर जाते हैं उनका मानना है कि बाजार गिरा तो फंड गिर जाएगा. सही बात है. बाजार गिरेगा तो फंड कम हो जाएगा, साफ शब्दों में कहा जाए तो नुकसान हो जाएगा.
बाजार के गिरने पर यह तरीका अपनाएं
म्यूचुअल फंड में लोगों को नीचे आने का डर लगता है. इससे बचने का रास्ता क्या होगा. बस आपको दिन में एक दो बार या हफ्ते में तीन चार बार स्टॉक मार्केट पर नजर रखनी है. यानि स्टॉक मार्केट के ट्रैक करो. मार्केट पीक से 20 प्रतिशत गिरे तो लार्ज कैप से मिड कैप में स्विच कर लें. ऐसा इसलिए कर लें क्योंकि जब बड़ी कंपनी के शेयर 20-30 प्रतिशत टूटेंगे तब स्माल 50-60 प्रतिशत गिर जाएगा. ऐसे में इसे खरीदने में फायदा होगा यानि जैसे ही बाजार ठीक होगा आप जल्दी मुनाफे में आ जाएंगे और फिर जब बाजार पूरी तरह रिकवर करने के मोड में हो जाए तो फिर से लार्ज कैप में चले जाएं. वैसे यह फॉर्मूला कोई छिपा हुआ सीक्रेट नहीं है. बाजार में म्यूचुअल फंड में सालों से काम करने वाले सलाहकार इसे अपनाकर अपने क्लाइंट को बेहतर सर्विस दे रहे हैं. उम्मीद है यह बात आपको समझ में आ गई होगी.
पैसा आपका तो रिस्क भी आपका ही होगा
बात खत्म करने से पहले यह साफ करना चाहते हैं कि म्यूचुअल फंड में निवेश में बाजार के जोखिम के साथ आता है. अत: जरूरी है कि आप किसी बढ़िया इनवेस्टमेंट परामर्शदाता से संपर्क कर उनकी सलाह पर निवेश करें. याद रखें निवेश आपका है तो जोखिम भी आपका है. पैसा आपका तो खतरा भी आपको उठाना होगा क्योंकि मुनाफा भा आपका है.
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