
घर खरीदना या किराये पर रहना, ये फैसला बहुत लोगों के लिए एक बड़ा सवाल होता है. खासतौर पर जब जेब, नौकरी और लाइफस्टाइल सभी कुछ जोड़कर सोचना पड़े. एक तरफ घर खरीदना इमोशनल हो सकता है, वहीं दूसरी तरफ ये एक बड़ी फाइनेंशियल जिम्मेदारी भी है. इसलिए सिर्फ भावनाओं से नहीं, बल्कि सही कैलकुलेशन और नियमों से सोच-समझकर ये फैसला लेना चाहिए.
घर खरीदें या किराए पर रहें? क्या है बेहतर
आज हम बात कर रहे हैं ऐसे 3 आसान Thumb Rules की जो आपकी मदद करेंगे तय करने में कि घर खरीदना बेहतर है या किराए पर रहना. ये नियम मुश्किल नहीं हैं और हम इसे बहुत सिंपल तरीके से समझने वाले हैं.
4% Rule: घर खरीदने का सबसे आसान Thumb Rules
इस नियम के मुताबिक, अगर किराये की सालाना लागत घर की कीमत के 4% से ज्यादा हो, तो घर खरीदना बेहतर हो सकता है. अगर किराया 4% से कम है, तो किराये पर रहना ज्यादा समझदारी है.
उदाहरण के तौर पर:
अगर किसी 2BHK फ्लैट का रेट 40 लाख रुपये है और आप उसी फ्लैट का 15,000 रुपये महीना किराया दे रहे हैं, तो सालाना किराया होगा 1.8 लाख रुपये
(1.8/40) × 100 = 4.5% यानी ये 4% से ज्यादा है. इस केस में घर खरीदना सही फैसला हो सकता है.
2. 30% Rule: आपकी जेब क्या कहती है?
इस नियम के अनुसार, आपको अपनी मासिक आय का 30% से ज्यादा खर्च घर पर नहीं करना चाहिए, चाहे वो किराया हो या लोन की EMI, मेंटेनेंस, टैक्स वगैरह.अगर आपकी सैलरी 60,000 रुपये है, तो आपकी हाउसिंग कॉस्ट 18,000 रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. इससे आप बाकी जरूरी खर्च और सेविंग को बिना परेशानी के कर पाएंगे.
3. 5 साल का Rule: कितनी देर तक एक जगह रहेंगे?
अगर आप किसी शहर में 5 साल या उससे ज्यादा समय तक रहने की सोच रहे हैं, तो घर खरीदना एक सही निवेश साबित हो सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि घर खरीदने और बेचने में ट्रांजैक्शन कॉस्ट, रजिस्ट्रेशन, डाउन पेमेंट जैसी चीजें जुड़ी होती हैं, जो छोटा समय रहने पर वाजिब नहीं लगती.
कम से कम 5 साल में आपको उस घर की कीमत में इतना इजाफा मिल सकता है, जिससे ये खर्च निकल आए. वरना किराये पर रहना ज्यादा बेहतर होगा.
क्या सिर्फ Thumb Rules से फैसला लेना सही है?
नहीं, सिर्फ इन नियमों के आधार पर घर खरीदने या किराये पर रहने का फैसला नहीं लिया जाना चाहिए. लेकिन ये नियम आपको एक आसान कैलकुलेशन और जानकारी देते हैं कि फाइनेंशियल एंगल से कौन सा ऑप्शन बेहतर है.आपकी नौकरी की स्टेबिलिटी, फैमिली प्लानिंग, शहर में रहने की मंशा, और दूसरी फाइनेंशियल जिम्मेदारियां भी मायने रखती हैं. लेकिन इन Thumb Rules को ध्यान में रखकर आप एक सोच-समझकर लिया गया फैसला जरूर ले सकते हैं.
अगर आप भी कंफ्यूजन में हैं कि घर खरीदें या किराए पर रहें, तो यहां बताए गए 4%, 30% और 5 साल के रूल को आज ही अपने फाइनेंस पर अप्लाई करें. इससे आपका फैसला न सिर्फ आसान होगा, बल्कि लॉन्ग टर्म में फायदे का सौदा भी बन सकता है.
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