Priyadarshans Blog
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किस बात का नशा? हम एक बीमार समाज तो नहीं बना रहे हैं?
- Wednesday October 29, 2025
- प्रियदर्शन
भारत में भी ड्रग्स का यह संसार और कारोबार बड़ा होता जा रहा है- इसके प्रमाण बहुत सारे हैं. पंजाब में तो इसने एक महामारी जैसा रूप ले लिया था. बीच-बीच में तमाम विश्वविद्यालयों के आसपास ड्रग्स के धंधे की चिंताजनक ख़बरें आती रही हैं.
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अथ श्री जननायक कथा: गांधी इसलिए जननायक नहीं, महात्मा कहलाए
- Tuesday October 28, 2025
- प्रियदर्शन
बिहार में पिछड़ी राजनीति कर्पूरी ठाकुर को जननायक मानती रही. अब तो सब मानने लगे हैं, लेकिन एक दौर में उनकी पिछड़ी जाति को लेकर मज़ाक उड़ाया जाता रहा, तुकबंदियां की जाती रहीं.
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जातिवाद ज्यादा खतरनाक है या सांप्रदायिकता?
- Monday October 27, 2025
- प्रियदर्शन
नीतीश ने भी लालू यादव के मंडल की काट में जो राजनीति विकसित की, वह जातिगत अस्मिताओं को मज़बूत करने वाली ही थी. उन्होंने बस यह किया कि मंडल के कुछ और टुकड़े कर डाले. पिछड़ों में अतिपिछड़े और दलितों में महादलित खोज निकाले. मुसलमानों में भी अशरफ़ और पसमांदा मुसलमान का फ़र्क किया गया.
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विराट की विदाई का गीत गाने वालो, क्या आप यह सब भूल गए!
- Saturday October 25, 2025
- Reported by: प्रियदर्शन
यह 1983 का साल था, जब सुनील गावस्कर को सलाह दी जाने लगी कि वे क्रिकेट से संन्यास ले लें. 1983 के विश्व कप में भारत के हाथों पराजित और घायल क्लाइव लायड की वेस्ट इंडियन टीम बिल्कुल बदला लेने के इरादे से पांच टेस्ट खेलने भारत आई थी.
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पंकज धीर चले गए, सबको महाभारत का कर्ण याद आया
- Wednesday October 15, 2025
- Written by: प्रियदर्शन
पंकज धीर चले गए. महाभारत का रौबीली मूंछों वाला कर्ण का वह किरदार फिर जिंदा हो गया. धीर ने कई रोल किए, लेकिन वह ताउम्र कर्ण ही रहे. पढ़िए कर्ण की कहानी...
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गुरुदत्त की वह दास्तान, जिसमें रोशनी और अंधेरा साथ-साथ चलते रहे
- Tuesday October 14, 2025
- Written by: प्रियदर्शन
शुरुआती संघर्ष का दौर बीतने के बाद 'बाजी' के साथ गुरुदत्त जो नई शुरुआत करते हैं, उससे कई कामयाब फिल्मों का सिलसिला बनता है- ऐसी फिल्मों का जो आम लोगों को भी रास आती हैं और शास्त्रीय सिनेमा की शर्तों को भी पूरा करती हैं. हालांकि गुरुदत्त की कामयाबियों के समानांतर एक कहानी नाकामी की भी है.
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अब हिंदी में आई यह दलित-कथा ज़रूर देखी जानी चाहिए
- Monday August 4, 2025
- प्रियदर्शन
'धड़क 2' को देखना भारत में जातिगत उत्पीड़न के उन प्रत्यक्ष और परोक्ष अनुभवों से आंख मिलाना है, जिसे वृहत्तर भारतीय समाज पहचानने से भी इनकार करता है- यह कहता हुआ कि यह तो किसी पुराने ज़माने या पिछड़े इलाक़े की बात लगती है.
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पूर्णिया का डायन कांड... और रेणु की 'परती परिकथा', जहां परती बढ़ी, परिकथा बदल गई...
- Tuesday July 8, 2025
- Written by: प्रियदर्शन
लेकिन क्या पूर्णिया में सोमवार को जो कुछ हुआ, उसे रेणु की ग्राम कथा से जोड़ा जा सकता है? निश्चय ही नहीं. बस यह घटना यही बताती है कि हमारे समाज में पुरानी विकृतियां और अंधविश्वास किस तरह अब भी बने हुए हैं...
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‘सैटेनिक वर्सेज़’ पर नहीं चलेगी पाबंदी - किसी भी रचना पर नहीं चलती
- Thursday December 26, 2024
- प्रियदर्शन
उम्मीद करनी चाहिए कि इस बार सलमान रुश्दी की किताब पर नए सिरे से पाबंदी नहीं लगेगी. हमारा समाज और हमारी सरकारें अब यह सयानापन दिखाती हैं कि जो भी पाबंदी हो, वह अलिखित हो, अदृश्य हो. ऐसी कई पाबंदियों का दबाव हमारे लेखक और संस्कृतिकर्मी महसूस करते रहे हैं.
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एक ख़त कमाल के नाम
- Friday January 13, 2023
- प्रियदर्शन
कमाल साहब, हम दोनों को जो चीज़ जोड़ती थी, वह भाषा भी थी- लफ़्ज़ों के मानी में हमारा भरोसा, शब्दों की नई-नई रंगत खोजने की हमारी कोशिश और अदब की दरबानी का हमारा जज़्बा. पत्रकारिता के सतहीपन ने आपको भी दुखी किया और मुझे भी.
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सूर्य कुमार यादव की जाति के बहाने
- Thursday January 12, 2023
- प्रियदर्शन
बेशक, यह स्थिति भी स्थायी नहीं रहेगी. सूर्य कुमार यादव या ऐसे दूसरे खिलाड़ियों का उदय बता रहा है कि पुरानी शक्ति-संरचनाएं टूट रही हैं और नई सामाजिक शक्तियां अपनी आर्थिक हैसियत के साथ अपना हिस्सा मांग और वसूल रही हैं. यह स्थिति सिर्फ किसी खेल में नहीं, हर क्षेत्र में देखी जा सकती है.
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अब विदेशी विश्वविद्यालयों से भी लीजिए ज्ञान!
- Friday January 6, 2023
- प्रियदर्शन
उच्च शिक्षा के निजीकरण के बाद उसके भूमंडलीकरण की इस कोशिश के कुछ निहितार्थ तो स्पष्ट हैं. उच्च शिक्षा अब ग़रीबों की हैसियत से बाहर होने जा रही है. क्योंकि वे जिन सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करते हैं, वे धीरे-धीरे आर्थिक और बौद्धिक रूप से विपन्न बनाए जा रहे हैं. यह सच है कि भारत के विश्वविद्यालय कभी भी बहुत साधन-संपन्न नहीं रहे.
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नया साल और हिंदी-उर्दू का सवाल
- Tuesday January 3, 2023
- प्रियदर्शन
यह सच है कि हिंदी और उर्दू को सांप्रदायिक पहचान के आधार पर बांटने वाली दृष्टि बिल्कुल आज की नहीं है. उसका एक अतीत है और किसी न किसी तरह यह बात समाज के अवचेतन में अपनी जगह बनाती रही है कि हिंदी हिंदुओं की भाषा है और उर्दू मुसलमानों की.
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किस बात का नशा? हम एक बीमार समाज तो नहीं बना रहे हैं?
- Wednesday October 29, 2025
- प्रियदर्शन
भारत में भी ड्रग्स का यह संसार और कारोबार बड़ा होता जा रहा है- इसके प्रमाण बहुत सारे हैं. पंजाब में तो इसने एक महामारी जैसा रूप ले लिया था. बीच-बीच में तमाम विश्वविद्यालयों के आसपास ड्रग्स के धंधे की चिंताजनक ख़बरें आती रही हैं.
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अथ श्री जननायक कथा: गांधी इसलिए जननायक नहीं, महात्मा कहलाए
- Tuesday October 28, 2025
- प्रियदर्शन
बिहार में पिछड़ी राजनीति कर्पूरी ठाकुर को जननायक मानती रही. अब तो सब मानने लगे हैं, लेकिन एक दौर में उनकी पिछड़ी जाति को लेकर मज़ाक उड़ाया जाता रहा, तुकबंदियां की जाती रहीं.
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जातिवाद ज्यादा खतरनाक है या सांप्रदायिकता?
- Monday October 27, 2025
- प्रियदर्शन
नीतीश ने भी लालू यादव के मंडल की काट में जो राजनीति विकसित की, वह जातिगत अस्मिताओं को मज़बूत करने वाली ही थी. उन्होंने बस यह किया कि मंडल के कुछ और टुकड़े कर डाले. पिछड़ों में अतिपिछड़े और दलितों में महादलित खोज निकाले. मुसलमानों में भी अशरफ़ और पसमांदा मुसलमान का फ़र्क किया गया.
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विराट की विदाई का गीत गाने वालो, क्या आप यह सब भूल गए!
- Saturday October 25, 2025
- Reported by: प्रियदर्शन
यह 1983 का साल था, जब सुनील गावस्कर को सलाह दी जाने लगी कि वे क्रिकेट से संन्यास ले लें. 1983 के विश्व कप में भारत के हाथों पराजित और घायल क्लाइव लायड की वेस्ट इंडियन टीम बिल्कुल बदला लेने के इरादे से पांच टेस्ट खेलने भारत आई थी.
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पंकज धीर चले गए, सबको महाभारत का कर्ण याद आया
- Wednesday October 15, 2025
- Written by: प्रियदर्शन
पंकज धीर चले गए. महाभारत का रौबीली मूंछों वाला कर्ण का वह किरदार फिर जिंदा हो गया. धीर ने कई रोल किए, लेकिन वह ताउम्र कर्ण ही रहे. पढ़िए कर्ण की कहानी...
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गुरुदत्त की वह दास्तान, जिसमें रोशनी और अंधेरा साथ-साथ चलते रहे
- Tuesday October 14, 2025
- Written by: प्रियदर्शन
शुरुआती संघर्ष का दौर बीतने के बाद 'बाजी' के साथ गुरुदत्त जो नई शुरुआत करते हैं, उससे कई कामयाब फिल्मों का सिलसिला बनता है- ऐसी फिल्मों का जो आम लोगों को भी रास आती हैं और शास्त्रीय सिनेमा की शर्तों को भी पूरा करती हैं. हालांकि गुरुदत्त की कामयाबियों के समानांतर एक कहानी नाकामी की भी है.
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अब हिंदी में आई यह दलित-कथा ज़रूर देखी जानी चाहिए
- Monday August 4, 2025
- प्रियदर्शन
'धड़क 2' को देखना भारत में जातिगत उत्पीड़न के उन प्रत्यक्ष और परोक्ष अनुभवों से आंख मिलाना है, जिसे वृहत्तर भारतीय समाज पहचानने से भी इनकार करता है- यह कहता हुआ कि यह तो किसी पुराने ज़माने या पिछड़े इलाक़े की बात लगती है.
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पूर्णिया का डायन कांड... और रेणु की 'परती परिकथा', जहां परती बढ़ी, परिकथा बदल गई...
- Tuesday July 8, 2025
- Written by: प्रियदर्शन
लेकिन क्या पूर्णिया में सोमवार को जो कुछ हुआ, उसे रेणु की ग्राम कथा से जोड़ा जा सकता है? निश्चय ही नहीं. बस यह घटना यही बताती है कि हमारे समाज में पुरानी विकृतियां और अंधविश्वास किस तरह अब भी बने हुए हैं...
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‘सैटेनिक वर्सेज़’ पर नहीं चलेगी पाबंदी - किसी भी रचना पर नहीं चलती
- Thursday December 26, 2024
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उम्मीद करनी चाहिए कि इस बार सलमान रुश्दी की किताब पर नए सिरे से पाबंदी नहीं लगेगी. हमारा समाज और हमारी सरकारें अब यह सयानापन दिखाती हैं कि जो भी पाबंदी हो, वह अलिखित हो, अदृश्य हो. ऐसी कई पाबंदियों का दबाव हमारे लेखक और संस्कृतिकर्मी महसूस करते रहे हैं.
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एक ख़त कमाल के नाम
- Friday January 13, 2023
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कमाल साहब, हम दोनों को जो चीज़ जोड़ती थी, वह भाषा भी थी- लफ़्ज़ों के मानी में हमारा भरोसा, शब्दों की नई-नई रंगत खोजने की हमारी कोशिश और अदब की दरबानी का हमारा जज़्बा. पत्रकारिता के सतहीपन ने आपको भी दुखी किया और मुझे भी.
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सूर्य कुमार यादव की जाति के बहाने
- Thursday January 12, 2023
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बेशक, यह स्थिति भी स्थायी नहीं रहेगी. सूर्य कुमार यादव या ऐसे दूसरे खिलाड़ियों का उदय बता रहा है कि पुरानी शक्ति-संरचनाएं टूट रही हैं और नई सामाजिक शक्तियां अपनी आर्थिक हैसियत के साथ अपना हिस्सा मांग और वसूल रही हैं. यह स्थिति सिर्फ किसी खेल में नहीं, हर क्षेत्र में देखी जा सकती है.
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अब विदेशी विश्वविद्यालयों से भी लीजिए ज्ञान!
- Friday January 6, 2023
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उच्च शिक्षा के निजीकरण के बाद उसके भूमंडलीकरण की इस कोशिश के कुछ निहितार्थ तो स्पष्ट हैं. उच्च शिक्षा अब ग़रीबों की हैसियत से बाहर होने जा रही है. क्योंकि वे जिन सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करते हैं, वे धीरे-धीरे आर्थिक और बौद्धिक रूप से विपन्न बनाए जा रहे हैं. यह सच है कि भारत के विश्वविद्यालय कभी भी बहुत साधन-संपन्न नहीं रहे.
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नया साल और हिंदी-उर्दू का सवाल
- Tuesday January 3, 2023
- प्रियदर्शन
यह सच है कि हिंदी और उर्दू को सांप्रदायिक पहचान के आधार पर बांटने वाली दृष्टि बिल्कुल आज की नहीं है. उसका एक अतीत है और किसी न किसी तरह यह बात समाज के अवचेतन में अपनी जगह बनाती रही है कि हिंदी हिंदुओं की भाषा है और उर्दू मुसलमानों की.
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