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NDTV Ravish Kumar

'NDTV Ravish Kumar' - 170 News Result(s)
  • "नोटबंदी नहीं...ये व्यवहारिक अर्थव्यस्था का हिस्सा": NDTV से बोले PM के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा

    "नोटबंदी नहीं...ये व्यवहारिक अर्थव्यस्था का हिस्सा": NDTV से बोले PM के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा

    प्रधानमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा ने कहा, "बड़े नोट की एक अवधि होती है. नोट के पेपर खराब भी हो जाते है. ATM में 2 हजार के नोट पहले से ही नहीं मिल रहे थे. बजार से करीब 90 प्रतिशत 2 हजार के नोट को RBI ने पहले ही वापस ले लिया था. 3

  • बीजेपी के थीम सॉन्‍ग पर अखिलेश यादव को क्‍यों है आपत्ति? बीजेपी नेता ने NDTV को दिया ये जवाब

    बीजेपी के थीम सॉन्‍ग पर अखिलेश यादव को क्‍यों है आपत्ति? बीजेपी नेता ने NDTV को दिया ये जवाब

    उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में अतीक अहमद चुनावी मुद्दा बन गया है. यूपी में 4 मई और 11 मई को होने वाले निकाय चुनाव होने हैं. उससे पहले सियासत गरमा गई है.

  • "कांग्रेस ने स्थानीय नेताओं की कभी नहीं सुनी..." : BJP में शामिल होने के बाद बोले एन किरण रेड्डी

    "कांग्रेस ने स्थानीय नेताओं की कभी नहीं सुनी..." : BJP में शामिल होने के बाद बोले एन किरण रेड्डी

    रेड्डी ने कहा, " कांग्रेस आलाकमान ने स्थानीय नेताओं से कभी कोई राय नहीं ली. कभी किसी की नहीं सुनी. ये केवल एक राज्य की बात नहीं है, बल्कि सभी राज्य की है."

  • पिता ने वेटर से कहा- मेरी बेटी तुमको पसंद करती है, शर्म से बेटी टेबल के अंदर घुस गई, 10 लाख लोगों ने देखा वीडियो

    पिता ने वेटर से कहा- मेरी बेटी तुमको पसंद करती है, शर्म से बेटी टेबल के अंदर घुस गई, 10 लाख लोगों ने देखा वीडियो

    वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि एक पिता एक वेटर को अपने पास बुलाता है और बोलता है कि मेरी बेटी को तुम क्यूट लगते हो. वेटर आभार व्यक्त करता है, वहीं बेटी की हालत खराब हो जाती है. शर्म से वो टेबल के अंदर घुस जाती है.

  • बिहार के स्कूली छात्रों ने किया कमाल! निकालते हैं अपना ख़ुद का अख़बार, हर ख़बर लिखते हैं

    बिहार के स्कूली छात्रों ने किया कमाल! निकालते हैं अपना ख़ुद का अख़बार, हर ख़बर लिखते हैं

    ट्वीट में प्राप्त जानकारी के अनुसार, ये बच्चे बिहार के बांका जिले के रहने वाले हैं. ये अपना एक अखबरा निकालते हैं. साथ ही साथ रोज छात्र इस अखबार के संपादक भी बनते हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि ये हैंडरिटेन अखबार हैं. इसमें सभी महत्वपूर्ण खबरें लिखी जाती हैं.

  • रवीश कुमार का प्राइम टाइम : आरोपी कई साल पैरोल पर रहे, तब भी हुई शिकायत और एफ़आईआर

    रवीश कुमार का प्राइम टाइम : आरोपी कई साल पैरोल पर रहे, तब भी हुई शिकायत और एफ़आईआर

    कुछ ख़बरों को देखकर लगता है कि देश बदला है न दिन. सब कुछ जहां था, वहीं रुका हुआ है. क्या हम एक ऐसे समय और समाज में रहने लगे हैं, जहां गृह मंत्री के लिए बोलना इतना भारी पड़ जाएगा, कि उनके मंत्रालय ने 2002 के दंगों से जुड़े बलात्कार और हत्या के 11 सज़ायाफ़्ता क़ैदियों की रिहाई की मंज़ूरी क्यों दी?

  • रिश्वत जैसे हमारे सिस्‍टम का हिस्‍सा हो गया, न रिश्वत लेने वाले को डर, न देने वाले को

    रिश्वत जैसे हमारे सिस्‍टम का हिस्‍सा हो गया, न रिश्वत लेने वाले को डर, न देने वाले को

    इतनी बड़ी कंपनी किसे पैसा खिला रही थी, जो खा रहा था, वो ख़ुद खा रहा था या आगे भी किसी को खिला रहा था, उसने और किस-किस से पैसे खाए होंगे, इतने सारे सवाल है कि दिमाग से पहले पेट खाली हो जाए.

  • प्राइम टाइम में रवीश कुमार ने दिखाई IIIT सूरत की बदहाल तस्वीर, छात्रों ने कहा - शुक्रिया 

    प्राइम टाइम में रवीश कुमार ने दिखाई IIIT सूरत की बदहाल तस्वीर, छात्रों ने कहा - शुक्रिया 

    यह खबर कई दिनों से छप रही है लेकिन जब कुछ नहीं हुआ तो छात्र ट्विटर पर कैंपेन चलाने लगे. छात्रों ने ऑडियो के ज़रिए अपनी व्यथा भेजी.

  • नफ़रत रोकने की सज़ा जेल, नफ़रत फैलाने पर सम्मान

    नफ़रत रोकने की सज़ा जेल, नफ़रत फैलाने पर सम्मान

    ज़ुबैर को अभी दिल्ली पुलिस के केस में बेल नहीं मिली है. उम्मीद है आपने गुरुवार का प्राइम टाइम देखा होगा, ज़ुबैर गिरफ्तार है और रोहित फरार है. NDTV इंडिया के यू टयूब चैनल पर इस हफ्ते का पांचों प्राइम टाइम देखिएगा.

  • बाबा को बाबा रहने दीजिए और बुलडोज़र को बुलडोज़र

    बाबा को बाबा रहने दीजिए और बुलडोज़र को बुलडोज़र

    जिस बुलडोज़र से आपका बच्चा खेलता है उसी से सत्ता खेल रही है और अब आप खेल रहे हैं. बहुमत को एकतरफा जमा कर गरीबों के घरों और दुकानों पर हमले हो रहे हैं.

  • नौकरी मांग रहे नौजवानों से क्यों नहीं है लोगों की सहानुभूति?

    नौकरी मांग रहे नौजवानों से क्यों नहीं है लोगों की सहानुभूति?

    रेलवे की भर्ती परीक्षा को लेकर सड़क पर उतरे छात्रों को भी नफरत की हवा का नुकसान उठाना पड़ रहा है. नफरत की राजनीति में सीधे शामिल होने या साथ खड़े होने के कारण नौकरी के इनके आंदोलन को कोई गंभीरता से नहीं लेता है.

  • 8 लाख पद ख़ाली, भर्ती की याद क्‍यों नहीं आती?

    8 लाख पद ख़ाली, भर्ती की याद क्‍यों नहीं आती?

    क्या चुनावों के समय जाति और समुदाय के नेता ही नाराज़ होते हैं, उन्हें मनाने के नाम पर मंत्रियों की लाइन लगी रहती है लेकिन नौकरी मांग रहे छात्रों को नाराज़ क्यों नहीं माना जाता है, उन्हें मनाने के लिए कोई मंत्री उनके हास्टल या प्रदर्शन में क्यों नहीं जाता है?

  • जिस पेशे को अपने पसीने से कमाल ख़ान ने सींचा वो अब उनसे वीरान हो गया...

    जिस पेशे को अपने पसीने से कमाल ख़ान ने सींचा वो अब उनसे वीरान हो गया...

    हज़ार दुखों से गुज़र रही भारत की पत्रकारिता का दुख आज हज़ार गुना गहरा लग रहा है. जिस पेश को अपने पसीने से कमाल ख़ान ने सींचा वो अब उनसे वीरान हो गया है. कमाल ख़ान हमारे बीच नहीं हैं. हम देश और दुनिया भर से आ रही श्रद्धांजलियों को भरे मन से स्वीकार कर रहे हैं. आप सबकी संवेदनाएं बता रही हैं कि आपके जीवन में कमाल ख़ान किस तरीके से रचे बचे हुए थे. कमाल साहब की पत्नी रुचि और उनके बेटे अमान इस ग़म से कभी उबर तो नहीं पाएंगे लेकिन जब कभी आपके प्यार और आपकी संवेदनाओं की तरफ उनकी नज़र जाएगी, उन्हें आगे की ज़िंदगी का सफर तय करने का हौसला देगी. उन्हें ग़म से उबरने का सहारा मिलेगा कि कमाल ख़ान ने टीवी की पत्रकारिता को कितनी शिद्दत से सींचा था. एनडीटीवी से तीस साल से जुड़े थे. एक ऐसे काबिल हमसफर साथी को अलविदा कहना थोड़ा थोड़ा ख़ुद को भी अलविदा कहना है. 

  • सुदर्शन पटनायक ने ख़ास अंदाज़ में कमाल ख़ान को दी श्रद्धांजलि, लोगों ने कहा-अलविदा कमाल!

    सुदर्शन पटनायक ने ख़ास अंदाज़ में कमाल ख़ान को दी श्रद्धांजलि, लोगों ने कहा-अलविदा कमाल!

    तीन दशक से दिल को छू लेने वाले और हमारे दिलों में राज करने वाले कमाल खान नहीं रहे. समाज को अपने अनूठे ढंग से समझने-समझाने वाले और विशिष्‍ट और विश्‍वसनीय आवाजों में से एक थे कमाल खान. यह हमारे लिए बेहद दुख की घड़ी है.

  • तहज़ीब की एक अलग किताब की तरह थे कमाल खान

    तहज़ीब की एक अलग किताब की तरह थे कमाल खान

    कमाल खान के बारे में मैं रात तक बोल सकता हूं. जितनी शिद्दत से और समझदारी से उन्‍होंने अयोध्‍या की रिपोर्टिंग की है पिछले 20-25 साल में तो सब जाकर देखने लायक है कि वे किस तरह के हिंदुस्‍तान के बारे में आवाज दे रहे थे.

'NDTV Ravish Kumar' - 314 Video Result(s)
'NDTV Ravish Kumar' - 170 News Result(s)
  • "नोटबंदी नहीं...ये व्यवहारिक अर्थव्यस्था का हिस्सा": NDTV से बोले PM के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा

    "नोटबंदी नहीं...ये व्यवहारिक अर्थव्यस्था का हिस्सा": NDTV से बोले PM के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा

    प्रधानमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा ने कहा, "बड़े नोट की एक अवधि होती है. नोट के पेपर खराब भी हो जाते है. ATM में 2 हजार के नोट पहले से ही नहीं मिल रहे थे. बजार से करीब 90 प्रतिशत 2 हजार के नोट को RBI ने पहले ही वापस ले लिया था. 3

  • बीजेपी के थीम सॉन्‍ग पर अखिलेश यादव को क्‍यों है आपत्ति? बीजेपी नेता ने NDTV को दिया ये जवाब

    बीजेपी के थीम सॉन्‍ग पर अखिलेश यादव को क्‍यों है आपत्ति? बीजेपी नेता ने NDTV को दिया ये जवाब

    उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में अतीक अहमद चुनावी मुद्दा बन गया है. यूपी में 4 मई और 11 मई को होने वाले निकाय चुनाव होने हैं. उससे पहले सियासत गरमा गई है.

  • "कांग्रेस ने स्थानीय नेताओं की कभी नहीं सुनी..." : BJP में शामिल होने के बाद बोले एन किरण रेड्डी

    "कांग्रेस ने स्थानीय नेताओं की कभी नहीं सुनी..." : BJP में शामिल होने के बाद बोले एन किरण रेड्डी

    रेड्डी ने कहा, " कांग्रेस आलाकमान ने स्थानीय नेताओं से कभी कोई राय नहीं ली. कभी किसी की नहीं सुनी. ये केवल एक राज्य की बात नहीं है, बल्कि सभी राज्य की है."

  • पिता ने वेटर से कहा- मेरी बेटी तुमको पसंद करती है, शर्म से बेटी टेबल के अंदर घुस गई, 10 लाख लोगों ने देखा वीडियो

    पिता ने वेटर से कहा- मेरी बेटी तुमको पसंद करती है, शर्म से बेटी टेबल के अंदर घुस गई, 10 लाख लोगों ने देखा वीडियो

    वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि एक पिता एक वेटर को अपने पास बुलाता है और बोलता है कि मेरी बेटी को तुम क्यूट लगते हो. वेटर आभार व्यक्त करता है, वहीं बेटी की हालत खराब हो जाती है. शर्म से वो टेबल के अंदर घुस जाती है.

  • बिहार के स्कूली छात्रों ने किया कमाल! निकालते हैं अपना ख़ुद का अख़बार, हर ख़बर लिखते हैं

    बिहार के स्कूली छात्रों ने किया कमाल! निकालते हैं अपना ख़ुद का अख़बार, हर ख़बर लिखते हैं

    ट्वीट में प्राप्त जानकारी के अनुसार, ये बच्चे बिहार के बांका जिले के रहने वाले हैं. ये अपना एक अखबरा निकालते हैं. साथ ही साथ रोज छात्र इस अखबार के संपादक भी बनते हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि ये हैंडरिटेन अखबार हैं. इसमें सभी महत्वपूर्ण खबरें लिखी जाती हैं.

  • रवीश कुमार का प्राइम टाइम : आरोपी कई साल पैरोल पर रहे, तब भी हुई शिकायत और एफ़आईआर

    रवीश कुमार का प्राइम टाइम : आरोपी कई साल पैरोल पर रहे, तब भी हुई शिकायत और एफ़आईआर

    कुछ ख़बरों को देखकर लगता है कि देश बदला है न दिन. सब कुछ जहां था, वहीं रुका हुआ है. क्या हम एक ऐसे समय और समाज में रहने लगे हैं, जहां गृह मंत्री के लिए बोलना इतना भारी पड़ जाएगा, कि उनके मंत्रालय ने 2002 के दंगों से जुड़े बलात्कार और हत्या के 11 सज़ायाफ़्ता क़ैदियों की रिहाई की मंज़ूरी क्यों दी?

  • रिश्वत जैसे हमारे सिस्‍टम का हिस्‍सा हो गया, न रिश्वत लेने वाले को डर, न देने वाले को

    रिश्वत जैसे हमारे सिस्‍टम का हिस्‍सा हो गया, न रिश्वत लेने वाले को डर, न देने वाले को

    इतनी बड़ी कंपनी किसे पैसा खिला रही थी, जो खा रहा था, वो ख़ुद खा रहा था या आगे भी किसी को खिला रहा था, उसने और किस-किस से पैसे खाए होंगे, इतने सारे सवाल है कि दिमाग से पहले पेट खाली हो जाए.

  • प्राइम टाइम में रवीश कुमार ने दिखाई IIIT सूरत की बदहाल तस्वीर, छात्रों ने कहा - शुक्रिया 

    प्राइम टाइम में रवीश कुमार ने दिखाई IIIT सूरत की बदहाल तस्वीर, छात्रों ने कहा - शुक्रिया 

    यह खबर कई दिनों से छप रही है लेकिन जब कुछ नहीं हुआ तो छात्र ट्विटर पर कैंपेन चलाने लगे. छात्रों ने ऑडियो के ज़रिए अपनी व्यथा भेजी.

  • नफ़रत रोकने की सज़ा जेल, नफ़रत फैलाने पर सम्मान

    नफ़रत रोकने की सज़ा जेल, नफ़रत फैलाने पर सम्मान

    ज़ुबैर को अभी दिल्ली पुलिस के केस में बेल नहीं मिली है. उम्मीद है आपने गुरुवार का प्राइम टाइम देखा होगा, ज़ुबैर गिरफ्तार है और रोहित फरार है. NDTV इंडिया के यू टयूब चैनल पर इस हफ्ते का पांचों प्राइम टाइम देखिएगा.

  • बाबा को बाबा रहने दीजिए और बुलडोज़र को बुलडोज़र

    बाबा को बाबा रहने दीजिए और बुलडोज़र को बुलडोज़र

    जिस बुलडोज़र से आपका बच्चा खेलता है उसी से सत्ता खेल रही है और अब आप खेल रहे हैं. बहुमत को एकतरफा जमा कर गरीबों के घरों और दुकानों पर हमले हो रहे हैं.

  • नौकरी मांग रहे नौजवानों से क्यों नहीं है लोगों की सहानुभूति?

    नौकरी मांग रहे नौजवानों से क्यों नहीं है लोगों की सहानुभूति?

    रेलवे की भर्ती परीक्षा को लेकर सड़क पर उतरे छात्रों को भी नफरत की हवा का नुकसान उठाना पड़ रहा है. नफरत की राजनीति में सीधे शामिल होने या साथ खड़े होने के कारण नौकरी के इनके आंदोलन को कोई गंभीरता से नहीं लेता है.

  • 8 लाख पद ख़ाली, भर्ती की याद क्‍यों नहीं आती?

    8 लाख पद ख़ाली, भर्ती की याद क्‍यों नहीं आती?

    क्या चुनावों के समय जाति और समुदाय के नेता ही नाराज़ होते हैं, उन्हें मनाने के नाम पर मंत्रियों की लाइन लगी रहती है लेकिन नौकरी मांग रहे छात्रों को नाराज़ क्यों नहीं माना जाता है, उन्हें मनाने के लिए कोई मंत्री उनके हास्टल या प्रदर्शन में क्यों नहीं जाता है?

  • जिस पेशे को अपने पसीने से कमाल ख़ान ने सींचा वो अब उनसे वीरान हो गया...

    जिस पेशे को अपने पसीने से कमाल ख़ान ने सींचा वो अब उनसे वीरान हो गया...

    हज़ार दुखों से गुज़र रही भारत की पत्रकारिता का दुख आज हज़ार गुना गहरा लग रहा है. जिस पेश को अपने पसीने से कमाल ख़ान ने सींचा वो अब उनसे वीरान हो गया है. कमाल ख़ान हमारे बीच नहीं हैं. हम देश और दुनिया भर से आ रही श्रद्धांजलियों को भरे मन से स्वीकार कर रहे हैं. आप सबकी संवेदनाएं बता रही हैं कि आपके जीवन में कमाल ख़ान किस तरीके से रचे बचे हुए थे. कमाल साहब की पत्नी रुचि और उनके बेटे अमान इस ग़म से कभी उबर तो नहीं पाएंगे लेकिन जब कभी आपके प्यार और आपकी संवेदनाओं की तरफ उनकी नज़र जाएगी, उन्हें आगे की ज़िंदगी का सफर तय करने का हौसला देगी. उन्हें ग़म से उबरने का सहारा मिलेगा कि कमाल ख़ान ने टीवी की पत्रकारिता को कितनी शिद्दत से सींचा था. एनडीटीवी से तीस साल से जुड़े थे. एक ऐसे काबिल हमसफर साथी को अलविदा कहना थोड़ा थोड़ा ख़ुद को भी अलविदा कहना है. 

  • सुदर्शन पटनायक ने ख़ास अंदाज़ में कमाल ख़ान को दी श्रद्धांजलि, लोगों ने कहा-अलविदा कमाल!

    सुदर्शन पटनायक ने ख़ास अंदाज़ में कमाल ख़ान को दी श्रद्धांजलि, लोगों ने कहा-अलविदा कमाल!

    तीन दशक से दिल को छू लेने वाले और हमारे दिलों में राज करने वाले कमाल खान नहीं रहे. समाज को अपने अनूठे ढंग से समझने-समझाने वाले और विशिष्‍ट और विश्‍वसनीय आवाजों में से एक थे कमाल खान. यह हमारे लिए बेहद दुख की घड़ी है.

  • तहज़ीब की एक अलग किताब की तरह थे कमाल खान

    तहज़ीब की एक अलग किताब की तरह थे कमाल खान

    कमाल खान के बारे में मैं रात तक बोल सकता हूं. जितनी शिद्दत से और समझदारी से उन्‍होंने अयोध्‍या की रिपोर्टिंग की है पिछले 20-25 साल में तो सब जाकर देखने लायक है कि वे किस तरह के हिंदुस्‍तान के बारे में आवाज दे रहे थे.

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