यह तय करना मुश्किल हो रहा है कि न्याय का मजाक उड़ रहा है या जनता का मज़ाक उड़ रहा है. जनता न्याय का मज़ाक उड़ा रही है या राजनीति ही जनता का. कहीं हत्या और बलात्कार के मामले में सज़ा पाए कैदियों को बाहर आने पर माला पहनाया जा रहा है तो कहीं हत्या और बलात्कार के मामले में सजा पाए कैदी के बाहर आने पर संत्सग सुना जा रहा है.