1984 Bhopal Gas Tragedy
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National Pollution Control Day 2025 : भोपाल गैस त्रासदी से जुड़ा है दिन, जानें- किन गैसों से पड़ सकता है दिल का दौरा
National Pollution Control Day 2025: हर साल 2 दिसंबर को नेशनल पॉल्यूशन कंट्रोल डे मनाया जाता है. इस दिन की शुरुआत 1984 में भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों की याद में की गई थी. आइए ऐसे में जानते हैं कौन सी गैस सबसे खतरनाक है, जिससे दिल का दौरा भी पड़ सकता है.
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पीथमपुरा में यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाने पर रोक लगाने की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल कर कचरे को भोपाल से पीथमपुरा ले जाने और वहां इसे जलाने पर रोक लगाने की मांग की गई है.
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Explainer : 40 साल से पड़े भोपाल गैस कांड के जहरीले कचरे की पूरी कहानी, जानिए अब कैसे लगाया जाएगा ठिकाने
भोपाल गैस त्रासदी के कचरे को पीथमपुर भेजकर नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू किए जाने की कोई तारीख नहीं बताई गई है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि हाइकोर्ट के निर्देश के मद्देनजर ये प्रक्रिया जल्द शुरू हो सकती है.
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National Pollution Control Day: क्यों मनाया जाता है प्रदूषण नियंत्रण दिवस? जानें इतिहास, महत्व और मनाने का उद्देश्य
National Pollution Control Day: यह दिन उन लोगों की याद में समर्पित है, जिन्होंने 1984 में भोपाल गैस त्रासदी में अपनी जान गंवाई थी. यह दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक थी.
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भोपाल गैस त्रासदी : 39 साल बाद भी भीषण औद्योगिक हादसे की पीड़ा से उबर नहीं पा रहा शहर
Bhopal Gas Tragedy: दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक की त्रासदी भोपाल शहर ने सन 1984 में 2-3 दिसंबर की दरमियानी रात में झेली थी. भोपाल गैस कांड एक ऐसा औद्योगिक हादसा था जिसकी पीड़ा लाखों लोगों ने झेली. मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 2 और 3 दिसंबर की रात में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (UCIL) के कीटनाशक संयंत्र में मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस लीक हो गई थी. इस जहरीली गैस के संपर्क में आने से लाखों व्यक्ति प्रभावित हुए थे और करीब 3800 लोगों की तत्काल मौत हो गई थी.
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National Pollution Control Day 2023: कब और क्यों मनाया जाता है पॉल्यूशन डे? जानिए इस साथ की थीम और बचने के उपाय
National Pollution Control Day: 1984 की भोपाल गैस त्रासदी में अपनी जान गंवाने वाले लोगों की याद में हर साल 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है, जो 2 और 3 दिसंबर को हुई थी. यह दिन उन लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है जिन्होंने घातक दुर्घटना में अपनी जान गंवाई थी.
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बंबई हाईकोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी पर बनी वेब सीरीज के प्रदर्शन पर रोक लगाने से किया इनकार
बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने वेब सीरीज ‘द रेलवे मैन-द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ भोपाल 1984’ (The Railway Man-The Untold Story of Bhopal 1984) के प्रदर्शन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और कहा कि इस घटना का विवरण पहले ही सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध है.
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भोपाल गैस त्रासदी: कोर्ट के फैसले से नाराज NGO ने पीड़ितों के लिए की मुआवजे की मांग
भोपाल में दिसंबर 1984 में हुए गैस कांड में तीन हजार लोगों की मौत हो गयी थी और हजारों लोग इससे बीमार हो गए. गैस पीड़ितों के लिए अतिरिक्त मुआवजे की मांग करने वाली याचिका को शीर्ष अदालत द्वारा 14 मार्च को खारिज कर दिया गया था.
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'1984 जैसा मंजर था...' : भोपाल में Chlorine Gas Leak होने पर कैसे बस्ती खाली करके भागे लोग
Chlorine Gas Leak : हादसे ने बस्ती में रह रहे लोगों को साल 1984 में हुए भोपाल गैसकांड की याद दिला दी. जब एक जहरीली गैस लीक होने की वजह से हजारों लोगों की जान चली गई थी.
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12 साल बाद भी भोपाल गैस त्रासदी से जुड़ी याचिका पर केंद्र सरकार की तैयारी अधूरी, पीड़ितों में भारी रोष
2 और 3 दिसंबर, 1984 की दरमियानी रात को भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने से जहरीली 'मिथाइल आइसोसाइनेट' गैस रिसने के बाद सरकारी आंकड़ों में 5,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी, लाखों लोग प्रभावित हुए थे. केंद्र ने मुआवजा राशि बढ़ाने के लिए दिसंबर 2010 में सुप्रीम कोर्ट में सुधार याचिका दायर कर 7400 करोड़ की अतिरिक्त राशि की मांग की थी.
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The Railway Men Teaser: भोपाल गैस त्रासदी पर आधारित है नेटफ्लिक्स वेब सीरीज द रेलवे मैन, बाबिल खान आएंगे नजर
The Railway Men Teaser: 'द रेलवे मैन' 2 दिसंबर, 2022 को स्ट्रीम करेगी. बता दें कि 2 दिसंबर, 1984 की आधी रात के बाद, अमेरिकन यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन की एक कीटनाशक फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हो गया.
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रॉनी स्क्रूवाला ने खरीदे 'फाइव पास्ट मिडनाइट इन भोपाल' के अधिकार
भोपाल के प्राचीन शहर में 1984 में स्थापित, एक अमेरिकी कीटनाशक संयंत्र से निकले जहरीले गैस के बादल से हजारों लोग मारे गए और घायल हो गए - भोपाल गैस त्रासदी. "फाइव पास्ट मिडनाइट इन भोपाल" में लैपिएरे और मोरो ने सैकड़ों पात्रों, गवाहों और एक रोमांचकारी मानव त्रासदी का किताब में उल्लेख किया है
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भोपाल गैस त्रासदी : पीढ़ियों को निगल रहा जहर, सरकारें यूनियन कार्बाइड के हितों की रक्षक
सन 1984 में गैस रिसी और एक शहर तबाह हो गया...तीन दशक से ज्यादा वक्त बीत गया.. लेकिन लाखों लोगों के लिए वक्त 84 में ही ठहर गया. हजारों लोगों को मौत के मुंह में धकेलने वाली भोपाल गैस त्रासदी दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक है, लेकिन अब इस पर कोई बहस नहीं होती. आरोप लगते रहे हैं कि केन्द्र और राज्य सरकारें आज भी पीड़ितों के बजाए यूनियन कार्बाइड और उसके वर्तमान मालिक डाव केमिकल के हितों की रक्षा कर रही हैं. इन सबके बीच इन पीड़ितों की दमदार आवाज़ अब्दुल जब्बार कुछ दिनों पहले गुजर गए. इस बीच गैस पीड़ितों के लिए काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एक और बड़ा आरोप लगाया है कि शोध के ऐसे नतीजे को दबा दिया, जिससे कंपनियों से पीड़ितों को अतिरिक्त मुआवजा देने के लिए दायर सुधार याचिका को मजबूती मिल सकती थी.
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Bhopal Gas tragedy: 35 साल पहले की वो त्रासदी जिसने खत्म कर दी हजारों जिंदगियां
Bhopal Gas Tragedy: 3 दिसंबर 1984 को भोपाल में कई लोगों को खांसी, आंखों में जलन, सांस लेने में परेशानी आदि समस्याएं आने लगी.
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भोपाल गैसकांड की बरसी : देश के दूसरे सबसे स्वच्छ शहर में आज भी मौजूद है सैकड़ों टन ज़हरीला कचरा
आइए, बरसी आ गई है, जो लोग इसे भूल गए हैं, या जिन्हें इस बारे में कुछ पता नहीं है, उन्हें बता दें कि 1984 में 2 और 3 दिसंबर के बीच की रात भोपाल शहर पर कहर बनकर टूटी थी. यह हादसा दुनिया की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक था, जब यूनियन कार्बाइड कारखाने से एक खतरनाक ज़हरीली गैस रिसी थी, और पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लिया था. इस मामले में सरकार ने 22,121 मामलों को मृत्यु की श्रेणी में दर्ज किया था, जबकि 5,74,386 मामलों में तकरीबन 1,548.59 करोड़ रुपये की मुआवज़ा राशि बांटी गई, लेकिन क्या मुआवज़ा राशि बांट दिया जाना पर्याप्त था.
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National Pollution Control Day 2025 : भोपाल गैस त्रासदी से जुड़ा है दिन, जानें- किन गैसों से पड़ सकता है दिल का दौरा
National Pollution Control Day 2025: हर साल 2 दिसंबर को नेशनल पॉल्यूशन कंट्रोल डे मनाया जाता है. इस दिन की शुरुआत 1984 में भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों की याद में की गई थी. आइए ऐसे में जानते हैं कौन सी गैस सबसे खतरनाक है, जिससे दिल का दौरा भी पड़ सकता है.
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पीथमपुरा में यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाने पर रोक लगाने की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया
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भोपाल गैस त्रासदी के कचरे को पीथमपुर भेजकर नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू किए जाने की कोई तारीख नहीं बताई गई है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि हाइकोर्ट के निर्देश के मद्देनजर ये प्रक्रिया जल्द शुरू हो सकती है.
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National Pollution Control Day: क्यों मनाया जाता है प्रदूषण नियंत्रण दिवस? जानें इतिहास, महत्व और मनाने का उद्देश्य
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भोपाल गैस त्रासदी : 39 साल बाद भी भीषण औद्योगिक हादसे की पीड़ा से उबर नहीं पा रहा शहर
Bhopal Gas Tragedy: दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक की त्रासदी भोपाल शहर ने सन 1984 में 2-3 दिसंबर की दरमियानी रात में झेली थी. भोपाल गैस कांड एक ऐसा औद्योगिक हादसा था जिसकी पीड़ा लाखों लोगों ने झेली. मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 2 और 3 दिसंबर की रात में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (UCIL) के कीटनाशक संयंत्र में मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस लीक हो गई थी. इस जहरीली गैस के संपर्क में आने से लाखों व्यक्ति प्रभावित हुए थे और करीब 3800 लोगों की तत्काल मौत हो गई थी.
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बंबई हाईकोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी पर बनी वेब सीरीज के प्रदर्शन पर रोक लगाने से किया इनकार
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भोपाल गैस त्रासदी: कोर्ट के फैसले से नाराज NGO ने पीड़ितों के लिए की मुआवजे की मांग
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'1984 जैसा मंजर था...' : भोपाल में Chlorine Gas Leak होने पर कैसे बस्ती खाली करके भागे लोग
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12 साल बाद भी भोपाल गैस त्रासदी से जुड़ी याचिका पर केंद्र सरकार की तैयारी अधूरी, पीड़ितों में भारी रोष
2 और 3 दिसंबर, 1984 की दरमियानी रात को भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने से जहरीली 'मिथाइल आइसोसाइनेट' गैस रिसने के बाद सरकारी आंकड़ों में 5,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी, लाखों लोग प्रभावित हुए थे. केंद्र ने मुआवजा राशि बढ़ाने के लिए दिसंबर 2010 में सुप्रीम कोर्ट में सुधार याचिका दायर कर 7400 करोड़ की अतिरिक्त राशि की मांग की थी.
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The Railway Men Teaser: भोपाल गैस त्रासदी पर आधारित है नेटफ्लिक्स वेब सीरीज द रेलवे मैन, बाबिल खान आएंगे नजर
The Railway Men Teaser: 'द रेलवे मैन' 2 दिसंबर, 2022 को स्ट्रीम करेगी. बता दें कि 2 दिसंबर, 1984 की आधी रात के बाद, अमेरिकन यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन की एक कीटनाशक फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हो गया.
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रॉनी स्क्रूवाला ने खरीदे 'फाइव पास्ट मिडनाइट इन भोपाल' के अधिकार
भोपाल के प्राचीन शहर में 1984 में स्थापित, एक अमेरिकी कीटनाशक संयंत्र से निकले जहरीले गैस के बादल से हजारों लोग मारे गए और घायल हो गए - भोपाल गैस त्रासदी. "फाइव पास्ट मिडनाइट इन भोपाल" में लैपिएरे और मोरो ने सैकड़ों पात्रों, गवाहों और एक रोमांचकारी मानव त्रासदी का किताब में उल्लेख किया है
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भोपाल गैस त्रासदी : पीढ़ियों को निगल रहा जहर, सरकारें यूनियन कार्बाइड के हितों की रक्षक
सन 1984 में गैस रिसी और एक शहर तबाह हो गया...तीन दशक से ज्यादा वक्त बीत गया.. लेकिन लाखों लोगों के लिए वक्त 84 में ही ठहर गया. हजारों लोगों को मौत के मुंह में धकेलने वाली भोपाल गैस त्रासदी दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक है, लेकिन अब इस पर कोई बहस नहीं होती. आरोप लगते रहे हैं कि केन्द्र और राज्य सरकारें आज भी पीड़ितों के बजाए यूनियन कार्बाइड और उसके वर्तमान मालिक डाव केमिकल के हितों की रक्षा कर रही हैं. इन सबके बीच इन पीड़ितों की दमदार आवाज़ अब्दुल जब्बार कुछ दिनों पहले गुजर गए. इस बीच गैस पीड़ितों के लिए काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एक और बड़ा आरोप लगाया है कि शोध के ऐसे नतीजे को दबा दिया, जिससे कंपनियों से पीड़ितों को अतिरिक्त मुआवजा देने के लिए दायर सुधार याचिका को मजबूती मिल सकती थी.
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Bhopal Gas tragedy: 35 साल पहले की वो त्रासदी जिसने खत्म कर दी हजारों जिंदगियां
Bhopal Gas Tragedy: 3 दिसंबर 1984 को भोपाल में कई लोगों को खांसी, आंखों में जलन, सांस लेने में परेशानी आदि समस्याएं आने लगी.
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भोपाल गैसकांड की बरसी : देश के दूसरे सबसे स्वच्छ शहर में आज भी मौजूद है सैकड़ों टन ज़हरीला कचरा
आइए, बरसी आ गई है, जो लोग इसे भूल गए हैं, या जिन्हें इस बारे में कुछ पता नहीं है, उन्हें बता दें कि 1984 में 2 और 3 दिसंबर के बीच की रात भोपाल शहर पर कहर बनकर टूटी थी. यह हादसा दुनिया की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक था, जब यूनियन कार्बाइड कारखाने से एक खतरनाक ज़हरीली गैस रिसी थी, और पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लिया था. इस मामले में सरकार ने 22,121 मामलों को मृत्यु की श्रेणी में दर्ज किया था, जबकि 5,74,386 मामलों में तकरीबन 1,548.59 करोड़ रुपये की मुआवज़ा राशि बांटी गई, लेकिन क्या मुआवज़ा राशि बांट दिया जाना पर्याप्त था.