दुती चंद (फाइल फोटो)
- दुती ने रियो की 100 मीटर रेस के लिए सीट पा ली है
- लिंग परीक्षण के बाद उनके खेल पर प्रतिबंध लग गया था
- पिछले साल CAS ने उनकी अपील स्वीकार की थी
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अलमाटी:
ओडिशा के बुनकर दंपत्ति की बेटी दुती चंद के लिए शनिवार का दिन बहुत बड़ा था। तमाम विवादों के बीच अपने आलोचकों को गलत साबित करते हुए भारतीय एथलीट दुती ने 100 मीटर की दौड़ के लिए रियो ओलिंपिक में स्थान बना लिया है। इससे बड़ी बात यह है कि 1980 में पीटी उषा के बाद 100 मीटर की रेस के लिए ओलिंपिक्स में पहुंचने वाली दुती पहली भारतीय महिला एथलीट है। सिर्फ यही नहीं जब से ओलिंपिक्स में 100 मीटर रेस के लिए क्वॉलीफिकेशन प्रणाली लागू हुई है उसके बाद से दुती ही पहली भारतीय महिला हैं जो इस स्टेज तक पहुंच पाई हैं। पीटी उषा ने जब मॉस्को ओलिंपिक्स में भाग लिया था उस वक्त इस रेस के लिए क्वॉलिफिकेशन प्रणाली लागू नहीं थी।
खुद को साबित करना जरूरी हो गया था
खैर, बात सिर्फ पहली या दूसरी भारतीय महिला होने की नहीं है। बात यह भी है कि दुती ने विपरीत परिस्थितियों में यह सीट हासिल की है क्योंकि हॉर्मोन टेस्ट में फेल होने के बाद उन पर दो साल का बैन लगा दिया गया था। इसके बाद दुति ने IAAF के फैसले को चुनौती दी थी। उन्होंने अपना केस Court of Arbitration for Sport (CAS) में लड़ा और पिछले साल ही एक अहम फैसले में CAS ने दुती की अपील को आंशिक रूप से माना और उन्हें अपना करियर दोबारा शुरू करने की अनुमति दी। इसके बाद दुती के लिए करो या मरो की स्थिति हो गई थी। खुद को साबित करने के लिए रियो में सीट हासिल करना उनके लिए बहुत जरूरी हो गया था। फिर इस साल दिल्ली में हुए फेडरेशन कप में दुती ने 16 साल पुराना नेशनल रिकॉर्ड तोड़कर एक नया कीर्तिमान (11.33) कायम किया था लेकिन रियो के टिकट से चूक गई थी। शनिवार का मौका उनके लिए आखिरी था जिसका उन्होंने पूरा पूरा इस्तेमाल किया।
जिंदगी का सबसे अच्छा पल
कज़ाकिस्तान के अलमाटी में रियो सीट हासिल करने के बाद एनडीटीवी से बातचीत में दुती ने कहा यह मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा पल है। मैं खुश हूं। CAS में केस जीतने से भी ज्यादा खुश।' दरअसल दुती हायपरएंड्रोजेनिज़्म नाम की समस्या से जूझ रही थीं, आसान शब्दों में कहें तो उनके शरीर में काफी ज्यादा स्तर पर टेस्टोस्टेरोन (पुरुष हार्मोन) का निर्माण हो रहा था। उनके लिंग परीक्षण की रिपोर्ट को काफी असंवेदनशील तरीके से सार्वजनिक किया गया था जिसके बाद कहा जाने लगा कि वह एक पुरुष हैं जो महिलाओं की प्रतियोगिता में हिस्सा ले रही हैं। दुती बताती हैं 'मैं अपने घर ओडिशा में जगन्नाथ मंदिर गई और मैंने भगवान से पूछा, मैंने क्या गलत किया है? मैं सिर्फ दौड़ना चाहती हूं।' CAS द्वारा लिंग परीक्षण को लेकर खेल के इस नियम के खिलाफ उनकी अपील को स्वीकार किए जाने का बाद दुती को उम्मीद की नई किरण दिखाई दी जिसकी राह पकड़ते हुए दुती ओलिंपियन कहलाए जाने के अपने सपने को पूरा करने के लिए निकल पड़ी हैं या कहें दौड़ पड़ी हैं।
खुद को साबित करना जरूरी हो गया था
खैर, बात सिर्फ पहली या दूसरी भारतीय महिला होने की नहीं है। बात यह भी है कि दुती ने विपरीत परिस्थितियों में यह सीट हासिल की है क्योंकि हॉर्मोन टेस्ट में फेल होने के बाद उन पर दो साल का बैन लगा दिया गया था। इसके बाद दुति ने IAAF के फैसले को चुनौती दी थी। उन्होंने अपना केस Court of Arbitration for Sport (CAS) में लड़ा और पिछले साल ही एक अहम फैसले में CAS ने दुती की अपील को आंशिक रूप से माना और उन्हें अपना करियर दोबारा शुरू करने की अनुमति दी। इसके बाद दुती के लिए करो या मरो की स्थिति हो गई थी। खुद को साबित करने के लिए रियो में सीट हासिल करना उनके लिए बहुत जरूरी हो गया था। फिर इस साल दिल्ली में हुए फेडरेशन कप में दुती ने 16 साल पुराना नेशनल रिकॉर्ड तोड़कर एक नया कीर्तिमान (11.33) कायम किया था लेकिन रियो के टिकट से चूक गई थी। शनिवार का मौका उनके लिए आखिरी था जिसका उन्होंने पूरा पूरा इस्तेमाल किया।
जिंदगी का सबसे अच्छा पल
कज़ाकिस्तान के अलमाटी में रियो सीट हासिल करने के बाद एनडीटीवी से बातचीत में दुती ने कहा यह मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा पल है। मैं खुश हूं। CAS में केस जीतने से भी ज्यादा खुश।' दरअसल दुती हायपरएंड्रोजेनिज़्म नाम की समस्या से जूझ रही थीं, आसान शब्दों में कहें तो उनके शरीर में काफी ज्यादा स्तर पर टेस्टोस्टेरोन (पुरुष हार्मोन) का निर्माण हो रहा था। उनके लिंग परीक्षण की रिपोर्ट को काफी असंवेदनशील तरीके से सार्वजनिक किया गया था जिसके बाद कहा जाने लगा कि वह एक पुरुष हैं जो महिलाओं की प्रतियोगिता में हिस्सा ले रही हैं। दुती बताती हैं 'मैं अपने घर ओडिशा में जगन्नाथ मंदिर गई और मैंने भगवान से पूछा, मैंने क्या गलत किया है? मैं सिर्फ दौड़ना चाहती हूं।' CAS द्वारा लिंग परीक्षण को लेकर खेल के इस नियम के खिलाफ उनकी अपील को स्वीकार किए जाने का बाद दुती को उम्मीद की नई किरण दिखाई दी जिसकी राह पकड़ते हुए दुती ओलिंपियन कहलाए जाने के अपने सपने को पूरा करने के लिए निकल पड़ी हैं या कहें दौड़ पड़ी हैं।
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