दुती चंद ने एशियन गेम्स 2018 में एथलेटिक्स में दो रजत पदक हासिल किए
                                                                                                                        - कहा; यह कहा गया कि दुती चंद लड़की नहीं है
 - जेंडर विवाद पर लड़ाई लड़ी और ट्रैक में वापसी की
 - शुरुआत में नदी के किनारे दौड़कर करती थीं अभ्यास
 
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                                                                                नई दिल्ली: 
                                        एशियन गेम्स 2018 में उड़ीसा की एथलीट दुती चंद ने अपने प्रदर्शन से हर किसी को हैरान किया. दुती ने इस एशियन गेम्स की 100 और 200 फर्राटा दौड़ में रजत पदक जीतते हुए साबित किया कि भारत के खिलाड़ी भी बड़े मुकाबले में पदक जीतने में सक्षम हैं. एनडीटीवी इंडिया के यूथ कॉन्क्लेव ‘NDTV युवा’में शिरकत करते हुए दुती ने अपने खेल करियर के शुरुआती दौर के संघर्ष के बारे में बताया. अफशां अंजुम के साथ बातचीत में दुती  चंद ने बताया कि उनके परिवार में छह बहनों को मिलाकर नौ सदस्य हैं.  पिता कपड़े बेचने का काम करते थे. उनके ऊपर पूरे परिवार का पेट पालने की जिम्मेदारी थी. ऐसी स्थितियों के बावजूद परिवार के प्रोत्साहन से वे एथलीट बनीं.   दुती ने बताया कि शुरुआत में वे नदी के किनारे दौड़कर अभ्यास करती थी.  लिंग विवाद को लेकर उन्होंने कई मुश्किलों का सामना किया. दुती चंद ने जेंडर विवाद से जुड़ी कड़वी यादों को ताजा करते हुए कहा, मेरे करियर में बड़ा विराम आ गया था. एक बार तो बड़े टूर्नामेंट के ठीक तीन दिन पहले मुझे बाहर कर दिया गया. यह कहा गया था कि दुती चंद लड़की नहीं है. इस बारे में लंबी लड़ाई लड़ी और जीत हासिल कर एथलेटिक्स ट्रैक में वापसी की.  उन्होंने बताया कि इस संघर्ष ने मेरे इरादे को और मजबूत किया. मैंने ठान लिया था कि देश को गौरव दिलाना है. उन्होंने बताया कि एशियन गेम्स के दौरान अपनी इवेंट के दौरान आंखे बंद करके दौड़ी आंखें खोली तो मेडल जीत चुकी थी. इस मौके पर दुती चंद ने उड़िया में गीत भी गुनगुनाया.
वीडियो: NDTV कॉन्क्लेव में एशियन गेम्स के 'खास' हीरो... गौरतलब है कि दुती को 2014 में आईएएएफ की हायपरएंड्रोजीनिज्म नीति के तहत निलंबित कर दिया था, जब उनके स्वास्थ्य जांच में यह पता चला था कि उनका शरीर निर्धारित स्तर से कहीं अधिक मात्रा में अमूमन पुरुषों में पाए जाने वाले हार्मोन का श्राव करता है. ओडिशा की रहने वाली दुती ने आईएएफ की हायपरएंड्रोजीनिज्म नीति को सीएएस में चुनौती दी थी.बाद में इस मामले में उन्होंने भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) के मदद से कानूनी लड़ाई की और एथलेटिक्स ट्रैक पर वापसी की. एशियन गेम्स 2018 में दो रजत जीतने के फलस्वरूप ओडिशा सरकार ने दुती को डेढ़-डेढ़ करोड़ रुपये की राशि पुरस्कार स्वरूप देने की घोषणा की है. दुती अब ओलिंपिक में देश के लिए पदक जीतना चाहती है और इसके लिए जमकर मेहनत कर रही हैं.
                                                                        
                                    
                                वीडियो: NDTV कॉन्क्लेव में एशियन गेम्स के 'खास' हीरो... गौरतलब है कि दुती को 2014 में आईएएएफ की हायपरएंड्रोजीनिज्म नीति के तहत निलंबित कर दिया था, जब उनके स्वास्थ्य जांच में यह पता चला था कि उनका शरीर निर्धारित स्तर से कहीं अधिक मात्रा में अमूमन पुरुषों में पाए जाने वाले हार्मोन का श्राव करता है. ओडिशा की रहने वाली दुती ने आईएएफ की हायपरएंड्रोजीनिज्म नीति को सीएएस में चुनौती दी थी.बाद में इस मामले में उन्होंने भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) के मदद से कानूनी लड़ाई की और एथलेटिक्स ट्रैक पर वापसी की. एशियन गेम्स 2018 में दो रजत जीतने के फलस्वरूप ओडिशा सरकार ने दुती को डेढ़-डेढ़ करोड़ रुपये की राशि पुरस्कार स्वरूप देने की घोषणा की है. दुती अब ओलिंपिक में देश के लिए पदक जीतना चाहती है और इसके लिए जमकर मेहनत कर रही हैं.
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