नए आत्मविश्वास और करोड़ों देशवासियों की उम्मीदों के साथ भारतीय खिलाड़ी 30वें ओलिंपिक खेलों में उतरेंगे, तो उनका इरादा देश के ओलिंपिक इतिहास में नया अध्याय लिखने का होगा।
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लंदन:
नए आत्मविश्वास और एक अरब से अधिक देशवासियों की उम्मीदों के साथ भारतीय खिलाड़ी शुक्रवार से शुरू हो रहे 30वें ओलिंपिक खेलों में उतरेंगे, तो उनका इरादा देश के ओलिंपिक इतिहास में नया अध्याय लिखने का होगा।
इससे पहले कभी भी भारतीय दल से इतनी अपेक्षाएं नहीं रही। लंदन से भारतीय खेलों के एक नए युग का आगाज हो सकता है। भारत के रिकॉर्ड 81 खिलाड़ी 13 स्पर्धाओं में पदक के लिए जोर आजमाइश करेंगे। भारत को तीरंदाजी, मुक्केबाजी, निशानेबाजी, बैडमिंटन, टेनिस और कुश्ती में पदक मिल सकता है।
तीरंदाजी स्पर्धा की शुरुआत शुक्रवार को हो जाएगी, जबकि बाकी भारतीय उद्घाटन समारोह के बाद मुकाबलों में उतरेंगे। बीजिंग ओलिंपिक के कांस्य पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार भारत के ध्वजवाहक होंगे। बीजिंग ओलिंपिक ने भारतीय खिलाड़ियों के सपनों को पंख दिए और अब वे नई उड़ान भरने को तत्पर हैं। इसकी शुरुआत हालांकि एथेंस ओलिंपिक 2005 में निशानेबाज राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को मिले रजत पदक के साथ हुई।
बीजिंग में निशानेबाज अभिनव बिंद्रा के स्वर्ण, सुशील और मुक्केबाज विजेंदर सिंह के कांस्य पदक ने नई उम्मीदें जगाई और अतीत की नाकामियों की कसक कम की। तीनों एक बार फिर मैदान में हैं। उनके अलावा रंजन सोढ़ी, गगन नारंग (निशानेबाजी), साइना नेहवाल (बैडमिंटन), एमसी मेरी कॉम (महिला मुक्केबाजी) और दीपिका कुमारी (तीरंदाजी) भी पदक के दावेदारों में हैं।
अगले दो सप्ताह में 204 देशों के करीब 11,000 खिलाड़ी 39 स्पर्धाओं में मुकाबला करेंगे। एक बार फिर चीन, अमेरिका और रूस का दबदबा रहने की संभावना है। भारतीयों ने लंदन ओलिंपिक की तैयारी काफी पहले शुरू कर दी थी और अधिकांश खिलाड़ी लगातार विदेश में अभ्यास कर रहे थे। सरकार और निजी स्रोतों से मिली सहायता के कारण आधुनिक सुविधाएं और विदेशों में अभ्यास मयस्सर हो सका।
सरकार ने 'ऑपरेशन एक्सीलैंस' कार्यक्रम के तहत ओलिंपिक की तैयारी पर दो अरब 30 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जो 2000 के
सिडनी ओलिंपिक से 10 गुना अधिक है। लक्ष्मी मित्तल के मित्तल चैंपियन ट्रस्ट और पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण, बिलियर्ड्स खिलाड़ी गीत सेठी के ओलिंपिक गोल्ड क्वेस्ट ने भी खिलाड़ियों की मदद की।
आईओए के महासचिव रणधीर सिंह ने कहा, इसमें कोई शक नहीं कि भारत की नुमाइंदगी करने वाला यह सर्वश्रेष्ठ दल है। हमें उम्मीद है कि लंदन ओलिंपिक में हम अधिक पदक जीत सकेंगे। कुछ साल पहले तक ओलिंपिक से बैरंग लौटने के लिए बदनाम भारत ने सुनहरा अतीत भी देखा है, जब हॉकी टीम ने उसे आठ स्वर्ण पदक दिलाए थे।
व्यक्तिगत स्तर पर बीजिंग से पहले भारत को कशाभा जाधव (हेलसिंकी 1952, कुश्ती), लिएंडर पेस (अटलांटा 1996, टेनिस), कर्णम मल्लेश्वरी (सिडनी 2000, भारोत्तोलन) ने कांस्य दिलवाए, जबकि निशानेबाज राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने एथेंस ओलिंपिक 2004 में रजत पदक जीता।
पेरिस ओलिंपिक (1900) में भारत की नुमाइंदगी करने वाले ब्रिटिश नार्मन प्रिचार्ड ने 200 मीटर दौड़ और 200 मीटर बाधा दौड़ में रजत पदक जीता था। भारतीय ओलिंपिक संघ ने इस बार के दल को अब तक का सर्वश्रेष्ठ बताया है, लेकिन देखना यह है कि तमाम हाइप के बीच वे संभावनाओं को पदक में बदल पाते हैं या नहीं।
लिएंडर पेस का यह रिकॉर्ड छठा ओलिंपिक है और वह अपने आखिरी ओलिंपिक में एक और पदक जीतने को बेकरार होंगे। ओलिंपिक से ठीक पहले हालांकि चयन विवाद ने भारतीय टेनिस को झकझोर दिया था। अच्छी बात यह है कि सभी अनुभवी हैं और इसे भुलाकर कोर्ट पर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने पर ध्यान देंगे।
टेनिस विवाद को छोड़कर भारतीयों को इस बार तैयारियों के लिए मिली सुविधाओं से कोई शिकायत नहीं होगी। भारत के 11 निशानेबाज पदक पर निशाना साधेंगे। उनके मौजूदा फॉर्म को देखते हुए उनसे पदक की वास्तविक उम्मीद है। पिछले साल खराब फॉर्म में रहे अभिनव बिंद्रा ने दोहा में 12वीं एशियाई निशानेबाजी चैंपियनशिप में 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर फिर से फॉर्म हासिल कर लिया है।
गगन नारंग भी इसी वर्ग में पदक के प्रबल दावेदार हैं। दुनिया के नंबर एक ट्रैप निशानेबाज रंजन सोढ़ी भी पूरी तैयारी से उतरे हैं। पहली बार भारत के आठ मुक्केबाज ओलंपिक में रिंग में उतरेंगे, जिनमें महिला मुक्केबाज मेरी कॉम शामिल है।
इससे पहले कभी भी भारतीय दल से इतनी अपेक्षाएं नहीं रही। लंदन से भारतीय खेलों के एक नए युग का आगाज हो सकता है। भारत के रिकॉर्ड 81 खिलाड़ी 13 स्पर्धाओं में पदक के लिए जोर आजमाइश करेंगे। भारत को तीरंदाजी, मुक्केबाजी, निशानेबाजी, बैडमिंटन, टेनिस और कुश्ती में पदक मिल सकता है।
तीरंदाजी स्पर्धा की शुरुआत शुक्रवार को हो जाएगी, जबकि बाकी भारतीय उद्घाटन समारोह के बाद मुकाबलों में उतरेंगे। बीजिंग ओलिंपिक के कांस्य पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार भारत के ध्वजवाहक होंगे। बीजिंग ओलिंपिक ने भारतीय खिलाड़ियों के सपनों को पंख दिए और अब वे नई उड़ान भरने को तत्पर हैं। इसकी शुरुआत हालांकि एथेंस ओलिंपिक 2005 में निशानेबाज राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को मिले रजत पदक के साथ हुई।
बीजिंग में निशानेबाज अभिनव बिंद्रा के स्वर्ण, सुशील और मुक्केबाज विजेंदर सिंह के कांस्य पदक ने नई उम्मीदें जगाई और अतीत की नाकामियों की कसक कम की। तीनों एक बार फिर मैदान में हैं। उनके अलावा रंजन सोढ़ी, गगन नारंग (निशानेबाजी), साइना नेहवाल (बैडमिंटन), एमसी मेरी कॉम (महिला मुक्केबाजी) और दीपिका कुमारी (तीरंदाजी) भी पदक के दावेदारों में हैं।
अगले दो सप्ताह में 204 देशों के करीब 11,000 खिलाड़ी 39 स्पर्धाओं में मुकाबला करेंगे। एक बार फिर चीन, अमेरिका और रूस का दबदबा रहने की संभावना है। भारतीयों ने लंदन ओलिंपिक की तैयारी काफी पहले शुरू कर दी थी और अधिकांश खिलाड़ी लगातार विदेश में अभ्यास कर रहे थे। सरकार और निजी स्रोतों से मिली सहायता के कारण आधुनिक सुविधाएं और विदेशों में अभ्यास मयस्सर हो सका।
सरकार ने 'ऑपरेशन एक्सीलैंस' कार्यक्रम के तहत ओलिंपिक की तैयारी पर दो अरब 30 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जो 2000 के
सिडनी ओलिंपिक से 10 गुना अधिक है। लक्ष्मी मित्तल के मित्तल चैंपियन ट्रस्ट और पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण, बिलियर्ड्स खिलाड़ी गीत सेठी के ओलिंपिक गोल्ड क्वेस्ट ने भी खिलाड़ियों की मदद की।
आईओए के महासचिव रणधीर सिंह ने कहा, इसमें कोई शक नहीं कि भारत की नुमाइंदगी करने वाला यह सर्वश्रेष्ठ दल है। हमें उम्मीद है कि लंदन ओलिंपिक में हम अधिक पदक जीत सकेंगे। कुछ साल पहले तक ओलिंपिक से बैरंग लौटने के लिए बदनाम भारत ने सुनहरा अतीत भी देखा है, जब हॉकी टीम ने उसे आठ स्वर्ण पदक दिलाए थे।
व्यक्तिगत स्तर पर बीजिंग से पहले भारत को कशाभा जाधव (हेलसिंकी 1952, कुश्ती), लिएंडर पेस (अटलांटा 1996, टेनिस), कर्णम मल्लेश्वरी (सिडनी 2000, भारोत्तोलन) ने कांस्य दिलवाए, जबकि निशानेबाज राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने एथेंस ओलिंपिक 2004 में रजत पदक जीता।
पेरिस ओलिंपिक (1900) में भारत की नुमाइंदगी करने वाले ब्रिटिश नार्मन प्रिचार्ड ने 200 मीटर दौड़ और 200 मीटर बाधा दौड़ में रजत पदक जीता था। भारतीय ओलिंपिक संघ ने इस बार के दल को अब तक का सर्वश्रेष्ठ बताया है, लेकिन देखना यह है कि तमाम हाइप के बीच वे संभावनाओं को पदक में बदल पाते हैं या नहीं।
लिएंडर पेस का यह रिकॉर्ड छठा ओलिंपिक है और वह अपने आखिरी ओलिंपिक में एक और पदक जीतने को बेकरार होंगे। ओलिंपिक से ठीक पहले हालांकि चयन विवाद ने भारतीय टेनिस को झकझोर दिया था। अच्छी बात यह है कि सभी अनुभवी हैं और इसे भुलाकर कोर्ट पर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने पर ध्यान देंगे।
टेनिस विवाद को छोड़कर भारतीयों को इस बार तैयारियों के लिए मिली सुविधाओं से कोई शिकायत नहीं होगी। भारत के 11 निशानेबाज पदक पर निशाना साधेंगे। उनके मौजूदा फॉर्म को देखते हुए उनसे पदक की वास्तविक उम्मीद है। पिछले साल खराब फॉर्म में रहे अभिनव बिंद्रा ने दोहा में 12वीं एशियाई निशानेबाजी चैंपियनशिप में 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर फिर से फॉर्म हासिल कर लिया है।
गगन नारंग भी इसी वर्ग में पदक के प्रबल दावेदार हैं। दुनिया के नंबर एक ट्रैप निशानेबाज रंजन सोढ़ी भी पूरी तैयारी से उतरे हैं। पहली बार भारत के आठ मुक्केबाज ओलंपिक में रिंग में उतरेंगे, जिनमें महिला मुक्केबाज मेरी कॉम शामिल है।
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