श्रीलंका के महान स्पिनर मुरलीधरन ने स्वीकार किया कि 1000 टेस्ट विकेटों के लालच में उन्होंने पिछले साल संन्यास का फैसला टालने का सोचा था।
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लंदन:
श्रीलंका के महान स्पिनर मुथैया मुरलीधरन ने स्वीकार किया कि 1000 टेस्ट विकेटों के लालच में उन्होंने पिछले साल संन्यास का फैसला टालने का सोचा था, लेकिन बढ़ती उम्र और चोट की आशंका के कारण ऐसा नहीं किया। भारत के खिलाफ पिछले साल गाले में जुलाई में हुए टेस्ट में 800वां विकेट लेने के बाद टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने वाले मुरलीधरन ने कहा कि उन्होंने संन्यास के फैसले पर पुनर्विचार का सोचा था, क्योंकि वह ऐसा रिकॉर्ड बनाना चाहते थे, जिसे कोई नहीं तोड़ सके। उन्होंने कहा, मैंने 1000 टेस्ट विकेट लेने वाले पहले गेंदबाज बनने के बारे में काफी सोचा। मैंने भारत के खिलाफ टेस्ट के बाद संन्यास का ऐलान कर दिया था, लेकिन 800 विकेट लेने के बाद पुनर्विचार किया। उन्होंने विजडन क्रिकेटर मैगजीन के ताजा अंक में कहा, मैं हैरान था कि क्या 1000 विकेट ले सकूंगा या संन्यास का फैसला सही है। मैंने सोचा कि क्या खेलना जारी रखकर ऐसा रिकॉर्ड बनाना चाहिए, जो कोई नहीं तोड़ सके। मैं फिट था और अच्छा खेल रहा था। अप्रैल में भारत के खिलाफ विश्व कप फाइनल के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने वाले इस गेंदबाज ने कहा कि इस सपने को पूरा करने के लिए उनके शरीर को काफी मेहनत करनी पड़ती। उन्होंने कहा, फिर मैंने सोचा कि यह सपना पूरा करने के लिए मुझे कितने साल और खेलना होगा। यह मेरे शरीर के साथ ज्यादती होती। श्रीलंका हर साल आठ टेस्ट खेलता है और मुझे 43 बरस की उम्र तक खेलना पड़ता।
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