चीन में भारत की एकमात्र स्वर्ण पदक विजेता मैरीकाम (48 किग्रा) को जश्न मनाने को तो छोड़ो सोने का भी बहुत कम समय मिला।
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New Delhi:
पांच बार विश्व चैंपियन एमसी मैरीकाम के लिए एशिया कप का स्वर्ण पदक जीतना बड़ी बात नहीं थी लेकिन इस भारतीय महिला मुक्केबाज ने कहा कि यह उनके लिए कड़ी मानसिक परीक्षा थी। मैरीकाम ने कहा कि वह अपने बेटे की बीमारी के कारण काफी परेशान थी जिसके दिल का बुधवार को चंडीगढ़ में ऑपरेशन किया गया। चीन में भारत की एकमात्र स्वर्ण पदक विजेता मैरीकाम (48 किग्रा) को जश्न मनाने को तो छोड़ो सोने का भी बहुत कम समय मिला। मैरीकाम ने कहा, मैं कल रात ही यहां पहुंची और अपने बेटे को देखने के लिए चंडीगढ़ आ गई। मुझे बड़ी राहत है कि ऑपरेशन अच्छा रहा और अब वह आईसीयू में है। मैं दो दिन से यात्रा कर रही हूं और काफी थक गयी हूं। उन्होंने कहा, यह मेरे लिए मानसिक तौर पर कड़ी चुनौती थी। मैं लंबे समय से इसे झेल रही थी क्योंकि मैं अपने बच्चे से दूर थी और लगातार उसके बारे में सोच रही थी। जब आप इस तरह की परिस्थितियों से जूझ रहे होते हैं तो रिंग पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल होता है। लेकिन फिर से मेरे पति ने पूरा सहयोग दिया। जब मुझे पता चला कि मेरे बेटे का दिल का आपरेशन होगा तो मैं नहीं जाना चाहती थी लेकिन उन्होंने कहा, मैं यहां हूं तुम टूर्नामेंट पर ध्यान केंद्रित करो।