- 2004 में भी एथेंस खेलों में जीत चुके हैं गोल्ड मेडल
- पदम श्री से सम्मानित होने वाले देश के पहले पैरालिंपिक खिलाड़ी
- राजस्थान के चुरू जिले से ताल्लुक रखते हैं
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नई दिल्ली:
रियो पैरालिंपिक में विश्व रिकॉर्ड बनाते हुए गोल्ड मेडल जीतने वाले देवेंद्र झझाडि़या (36) जेवलिन थ्रो की एफ46 स्पर्द्धा में हिस्सा लेते हैं. वह 2004 में एथेंस में भी इस स्पर्द्धा में गोल्ड जीत चुके हैं. इस तरह पैरालिंपिक खेलों में दो स्वर्ण जीतने वाले वह पहले भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं. जेवलिन थ्रो में इस वक्त विश्व रैंकिंग में वह तीसरे नंबर के खिलाड़ी हैं.
राजस्थान के चुरू जिले से ताल्लुक रखने वाले देवेंद्र जब आठ साल के थे तो पेड़ पर चढ़ने के दौरान एक इलेक्ट्रिक केबिल की चपेट में आ गए. उनका मेडिकल उपचार किया गया लेकिन उनको बचाने के लिए डॉक्टरों को उनका बायां हाथ काटने के लिए मजबूर होना पड़ा. 1997 में स्कूल में खेलने के दौरान द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता आरडी सिंह की नजर देवेंद्र पर पड़ी. उनको देवेंद्र में संभावनाएं लगीं और तब से वह उनके कोच बन गए.
विश्व रिकॉर्ड
2002 में देवेंद्र ने कोरिया में आयोजित आठवीं एफईएसपीआईसी खेलों में गोल्ड मेडल जीता. 2004 में पहली बार एथेंस पैरालिंपिक खेलों के लिए क्वालीफाई किया. उस खेल में उन्होंने पुराने 59.77 मी के विश्व रिकॉर्ड को तोड़कर 62.15 मी जेवलिन थ्रो करके नया कीर्तिमान बनाया.
इसके साथ ही मुरलीकांत पेटकर के बाद पैरालिंपिक में गोल्ड जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बने. मुरलीकांत ने 1972 में जर्मनी के हीडलबर्ग पैरालिंपिक में 50 मी फ्रीस्टाइल तैराकी में गोल्ड जीता था. इस उपलब्धि के लिए उसी साल देवेंद्र को अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया.
उपलब्धियां
2012 में पदम श्री से सम्मानित होने वाले देश के पहले पैरालिंपिक खिलाड़ी बने. देवेंद्र ने 2013 में फ्रांस के लियोन में आयोजित आईपीसी एथलेटिक्स विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता. 2014 में दक्षिण कोरिया में आयोजित एशियन पैरा गेम्स और 2015 की वर्ल्ड चैंपियनशिप में उन्होंने सिल्वर मेडल हासिल किया. 2014 में फिक्की पैरा-स्पोर्ट्सपर्सन ऑफ द ईयर चुने गए.
राजस्थान के चुरू जिले से ताल्लुक रखने वाले देवेंद्र जब आठ साल के थे तो पेड़ पर चढ़ने के दौरान एक इलेक्ट्रिक केबिल की चपेट में आ गए. उनका मेडिकल उपचार किया गया लेकिन उनको बचाने के लिए डॉक्टरों को उनका बायां हाथ काटने के लिए मजबूर होना पड़ा. 1997 में स्कूल में खेलने के दौरान द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता आरडी सिंह की नजर देवेंद्र पर पड़ी. उनको देवेंद्र में संभावनाएं लगीं और तब से वह उनके कोच बन गए.
विश्व रिकॉर्ड
2002 में देवेंद्र ने कोरिया में आयोजित आठवीं एफईएसपीआईसी खेलों में गोल्ड मेडल जीता. 2004 में पहली बार एथेंस पैरालिंपिक खेलों के लिए क्वालीफाई किया. उस खेल में उन्होंने पुराने 59.77 मी के विश्व रिकॉर्ड को तोड़कर 62.15 मी जेवलिन थ्रो करके नया कीर्तिमान बनाया.
इसके साथ ही मुरलीकांत पेटकर के बाद पैरालिंपिक में गोल्ड जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बने. मुरलीकांत ने 1972 में जर्मनी के हीडलबर्ग पैरालिंपिक में 50 मी फ्रीस्टाइल तैराकी में गोल्ड जीता था. इस उपलब्धि के लिए उसी साल देवेंद्र को अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया.
उपलब्धियां
2012 में पदम श्री से सम्मानित होने वाले देश के पहले पैरालिंपिक खिलाड़ी बने. देवेंद्र ने 2013 में फ्रांस के लियोन में आयोजित आईपीसी एथलेटिक्स विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता. 2014 में दक्षिण कोरिया में आयोजित एशियन पैरा गेम्स और 2015 की वर्ल्ड चैंपियनशिप में उन्होंने सिल्वर मेडल हासिल किया. 2014 में फिक्की पैरा-स्पोर्ट्सपर्सन ऑफ द ईयर चुने गए.
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