माउंट एवरेस्ट पर एक बार फिर से भारतीय सेना की महिला अफ़सरों ने तिरंगा लहराया है। दुनिया की इस सबसे ऊंची चोटी को जीतने निकली सात महिलाओं की पूरी टीम वहां पहुंचने में कामयाब रही।
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नई दिल्ली:
माउंट एवरेस्ट पर एक बार फिर से भारतीय सेना की महिला अफ़सरों ने तिरंगा लहराया है।
दुनिया की इस सबसे ऊंची चोटी को जीतने निकली सात महिलाओं की पूरी टीम वहां पहुंचने में कामयाब रही।
ऐसा कम होता है क्योंकि इससे पहले 2005 में तिब्बत के रास्ते सेना की 11 महिलाओं ने एवरेस्ट को जीतने की कोशिश की थी लेकिन सफलता मिली केवल तीन को...।
दिल्ली में हुए फ्लैग इन समारोह में सेना की सुप्रीम कमांडर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने कहा कि सेना की इन महिलाओं ने कठिन हालात में एक और मिसाल कायम कर दी है जिससे कई सीख ले सकते है। इस टीम में सबसे कम उम्र की 25 साल की कैप्टन स्मिता को वहां पहुंचने पर अब तक यकीन ही नही हो रहा है।
टीम लीडर कर्नल अजय कोठियाल ने बताया कि आमतौर पर महिलाओं को कमजोर समझा जाता है लेकिन इनकी हिम्मत और बहादुरी ने मुझे कुछ कहने का मौका ही नही दिया तभी इस दफा अफ़सरों ने कहीं ज़्यादा मुश्किल राह चुनी। सात महीनों की ट्रेनिंग के बाद 26 में सात अफसरों को चुना गया।
पहली बार सेना की अफसरों की इतनी बड़ी टीम एक साथ एवरेस्ट पर पहुंची है। यह वह साल है जिसमें बर्फबारी खूब दिखी है। ऐसे में इस कामयाबी का अलग मतलब है। सेना की महिला टीम ने ये कामयाबी मई महीने में हासिल की है।
दुनिया की इस सबसे ऊंची चोटी को जीतने निकली सात महिलाओं की पूरी टीम वहां पहुंचने में कामयाब रही।
ऐसा कम होता है क्योंकि इससे पहले 2005 में तिब्बत के रास्ते सेना की 11 महिलाओं ने एवरेस्ट को जीतने की कोशिश की थी लेकिन सफलता मिली केवल तीन को...।
दिल्ली में हुए फ्लैग इन समारोह में सेना की सुप्रीम कमांडर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने कहा कि सेना की इन महिलाओं ने कठिन हालात में एक और मिसाल कायम कर दी है जिससे कई सीख ले सकते है। इस टीम में सबसे कम उम्र की 25 साल की कैप्टन स्मिता को वहां पहुंचने पर अब तक यकीन ही नही हो रहा है।
टीम लीडर कर्नल अजय कोठियाल ने बताया कि आमतौर पर महिलाओं को कमजोर समझा जाता है लेकिन इनकी हिम्मत और बहादुरी ने मुझे कुछ कहने का मौका ही नही दिया तभी इस दफा अफ़सरों ने कहीं ज़्यादा मुश्किल राह चुनी। सात महीनों की ट्रेनिंग के बाद 26 में सात अफसरों को चुना गया।
पहली बार सेना की अफसरों की इतनी बड़ी टीम एक साथ एवरेस्ट पर पहुंची है। यह वह साल है जिसमें बर्फबारी खूब दिखी है। ऐसे में इस कामयाबी का अलग मतलब है। सेना की महिला टीम ने ये कामयाबी मई महीने में हासिल की है।
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