रविवार को विंबलडन में इतिहास का बनना तय है। देखने की बात यह होगी कि इतिहास बनाता कौन है। विंबलडन के फाइनल में रोजर फ़ेडरर और एंडी मरे के बीच टक्कर होगी।
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रविवार को विंबलडन में इतिहास का बनना तय है। देखने की बात यह होगी कि इतिहास बनाता कौन है। विंबलडन के फाइनल में रोजर फ़ेडरर और एंडी मरे के बीच टक्कर होगी।
इस मुकाबले में जीत चाहे जिसकी हो, इतिहास बनेगा। अगर रोजर फ़ेडरर जीते तो यह विंबलडन के मैदान पर उनका सातवां ग्रैंड स्लैम खिताब होगा। पीट संप्रास के वर्ल्ड रिकॉर्ड की बराबरी वह कर लेंगे और उनके ग्रैंड स्लैम ख़िताबों की संख्या 17 हो जाएगी। पहले से ही वह सबसे आगे चल रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर, एंडी मरे हैं जो 74 साल के लंबे इंतजार के बाद विंबलडन फ़ाइनल में पहुंचने का कारनामा दिखाने वाले ब्रिटिश खिलाड़ी हैं। लेकिन अहम सवाल यह है कि क्या मरे इतिहास बना पाएंगे...।
एक मायने में यह मुकाबला टेनिस के इन दो दिग्गज खिलाड़ियों की प्रतिबद्धता की मिसाल भी है। रोजर फ़ेडरर टेनिस की दुनिया के सर्वकालिक महान खिलाड़ियों में गिने जाते हैं। उनके नाम 16 ग्रैंड स्लैम खिताब हैं लेकिन बीते ढाई साल के दौरान वह कोई भी ग्रैंड स्लैम खिताब नहीं जीत पाए हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि फ़ेडरर का खेल खराब होने लगा था।
30 साल के फ़ेडरर को रफाल नडाल और नोवाक जोकोविच से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा था। फ़ेडरर अपना सर्वश्रेष्ठ खेल दिखाने के बावजूद इन दोनों की तेजी और कोर्ट कवरेज के सामने पिछड़ने लगे थे। लेकिन फ़ेडरर आसानी से हार मानने वालों में नहीं हैं। यह बात एक बार फिर से उन्होंने साबित कर दी।
2008 में जब नोवाक जोकोविच ने ऑस्ट्रेलियन ओपन के फ़ाइनल में उन्हें हराया तब जोकोविच की मां ने एक बयान दिया था... 'द किंग इज़ डेड...'। उनका आकलन गलत साबित हुआ और फ़ेडरर उसके बाद भी ग्रैंड स्लैम जीतने में कामयाब रहे। इस बार तो सेमीफ़ाइनल में फ़ेडरर के हाथों मिली हार के बाद जोकोविच ने भी कहा है कि फ़ेडरर फिर से नंबर वन बनने के उपयुक्त हैं। विंबलडन जीतने के बाद फ़ेडरर फिर से नंबर वन बन जाएंगे। ऐसा हुआ तो पीट संप्रास के 286 सप्ताह तक नंबर वन बनने के वर्ल्ड रिकॉर्ड की बराबरी भी फ़ेडरर कर लेंगे।
दूसरी ओर, एंडी मरे हैं। मरे की बदकिस्मती यह है कि वह उस दौर में टेनिस खेल रहे हैं जब फ़ेडरर नडाल और जोकोविच किसी चौथे के लिए जगह छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। इसलिए वह सर्वश्रेष्ठ चार खिलाड़ियों में चौथे नंबर पर ही बने हुए हैं। वह विंबलडन में इतिहास बना सकते हैं लेकिन इसके लिए उन्हें खुद को झोंक देना होगा।
लंदन में स्थानीय दर्शक भी मरे का जोरदार समर्थन करेंगे लेकिन फ़ेडरर से पार पाना उनके लिए इतना आसान भी नहीं होगा।
वैसे तो फ़ेडरर को वह कई बार हरा चुके हैं लेकिन ग्रैंड स्लैम के फ़ाइनल में वह उनके सामने कोई चुनौती पेश नहीं कर पाए हैं। 2008 के यूएस ओपन और 2010 के ऑस्ट्रेलियन ओपन के फ़ाइनल में फ़ेडरर ने मरे को सीधे सेटों में हराया है।
कहा जाता है कि हर दौर अपने आप में प्रतिस्पर्द्धी और रोमांचकता का पुट लिए होता है। हर दौर में दो लीजेंड्स के बीच बादशाहत की होड़ देखने लायक होती है लेकिन टेनिस के प्रशंसकों के लिए यह टेनिस का सबसे बेहतरीन दौर है। इस दौर के दर्शकों को एक साथ रोजर फ़ेडरर, नोवाक जोकोविच, रफायल नडाल और एंडी मरे जैसे दमदार खिलाड़ियों को देखने को मौका मिल रहा है। एक समान स्तर पर इतनी बेहतरीन टेनिस का दौर इससे पहले कभी नहीं दिखा। वैसे भी जीनियस रोज रोज पैदा नहीं होते। कम से कम रोजर फ़ेडरर जैसे जीनियस के लिए टेनिस को लंबा इंतजार करना होगा।
यह जरूर है कि आने वाले दिनों में टेनिस का स्तर और बढ़ेगा। आने वाले युवाओं की क्षमता भी बढ़ेगी। लेकिन टेनिस में फ़ेडरर तो एक ही होगा।
इस मुकाबले में जीत चाहे जिसकी हो, इतिहास बनेगा। अगर रोजर फ़ेडरर जीते तो यह विंबलडन के मैदान पर उनका सातवां ग्रैंड स्लैम खिताब होगा। पीट संप्रास के वर्ल्ड रिकॉर्ड की बराबरी वह कर लेंगे और उनके ग्रैंड स्लैम ख़िताबों की संख्या 17 हो जाएगी। पहले से ही वह सबसे आगे चल रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर, एंडी मरे हैं जो 74 साल के लंबे इंतजार के बाद विंबलडन फ़ाइनल में पहुंचने का कारनामा दिखाने वाले ब्रिटिश खिलाड़ी हैं। लेकिन अहम सवाल यह है कि क्या मरे इतिहास बना पाएंगे...।
एक मायने में यह मुकाबला टेनिस के इन दो दिग्गज खिलाड़ियों की प्रतिबद्धता की मिसाल भी है। रोजर फ़ेडरर टेनिस की दुनिया के सर्वकालिक महान खिलाड़ियों में गिने जाते हैं। उनके नाम 16 ग्रैंड स्लैम खिताब हैं लेकिन बीते ढाई साल के दौरान वह कोई भी ग्रैंड स्लैम खिताब नहीं जीत पाए हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि फ़ेडरर का खेल खराब होने लगा था।
30 साल के फ़ेडरर को रफाल नडाल और नोवाक जोकोविच से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा था। फ़ेडरर अपना सर्वश्रेष्ठ खेल दिखाने के बावजूद इन दोनों की तेजी और कोर्ट कवरेज के सामने पिछड़ने लगे थे। लेकिन फ़ेडरर आसानी से हार मानने वालों में नहीं हैं। यह बात एक बार फिर से उन्होंने साबित कर दी।
2008 में जब नोवाक जोकोविच ने ऑस्ट्रेलियन ओपन के फ़ाइनल में उन्हें हराया तब जोकोविच की मां ने एक बयान दिया था... 'द किंग इज़ डेड...'। उनका आकलन गलत साबित हुआ और फ़ेडरर उसके बाद भी ग्रैंड स्लैम जीतने में कामयाब रहे। इस बार तो सेमीफ़ाइनल में फ़ेडरर के हाथों मिली हार के बाद जोकोविच ने भी कहा है कि फ़ेडरर फिर से नंबर वन बनने के उपयुक्त हैं। विंबलडन जीतने के बाद फ़ेडरर फिर से नंबर वन बन जाएंगे। ऐसा हुआ तो पीट संप्रास के 286 सप्ताह तक नंबर वन बनने के वर्ल्ड रिकॉर्ड की बराबरी भी फ़ेडरर कर लेंगे।
दूसरी ओर, एंडी मरे हैं। मरे की बदकिस्मती यह है कि वह उस दौर में टेनिस खेल रहे हैं जब फ़ेडरर नडाल और जोकोविच किसी चौथे के लिए जगह छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। इसलिए वह सर्वश्रेष्ठ चार खिलाड़ियों में चौथे नंबर पर ही बने हुए हैं। वह विंबलडन में इतिहास बना सकते हैं लेकिन इसके लिए उन्हें खुद को झोंक देना होगा।
लंदन में स्थानीय दर्शक भी मरे का जोरदार समर्थन करेंगे लेकिन फ़ेडरर से पार पाना उनके लिए इतना आसान भी नहीं होगा।
वैसे तो फ़ेडरर को वह कई बार हरा चुके हैं लेकिन ग्रैंड स्लैम के फ़ाइनल में वह उनके सामने कोई चुनौती पेश नहीं कर पाए हैं। 2008 के यूएस ओपन और 2010 के ऑस्ट्रेलियन ओपन के फ़ाइनल में फ़ेडरर ने मरे को सीधे सेटों में हराया है।
कहा जाता है कि हर दौर अपने आप में प्रतिस्पर्द्धी और रोमांचकता का पुट लिए होता है। हर दौर में दो लीजेंड्स के बीच बादशाहत की होड़ देखने लायक होती है लेकिन टेनिस के प्रशंसकों के लिए यह टेनिस का सबसे बेहतरीन दौर है। इस दौर के दर्शकों को एक साथ रोजर फ़ेडरर, नोवाक जोकोविच, रफायल नडाल और एंडी मरे जैसे दमदार खिलाड़ियों को देखने को मौका मिल रहा है। एक समान स्तर पर इतनी बेहतरीन टेनिस का दौर इससे पहले कभी नहीं दिखा। वैसे भी जीनियस रोज रोज पैदा नहीं होते। कम से कम रोजर फ़ेडरर जैसे जीनियस के लिए टेनिस को लंबा इंतजार करना होगा।
यह जरूर है कि आने वाले दिनों में टेनिस का स्तर और बढ़ेगा। आने वाले युवाओं की क्षमता भी बढ़ेगी। लेकिन टेनिस में फ़ेडरर तो एक ही होगा।