एशियाड खेलों में अपना लोहा मनवाने वाले खिलाड़ी ओम प्रकाश सिंह करहाणा अब ओलिंपिक खेलों में अपना लोहा मनवाने के लिए तैयार है।
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गुड़गांव:
एशियाड खेलों में अपना लोहा मनवाने वाले खिलाड़ी ओम प्रकाश सिंह करहाणा अब ओलिंपिक खेलों में अपना लोहा मनवाने के लिए तैयार है।
ओम प्रकाश सिंह करहाणा गुड़गांव के सोहना इलाके में आने वाले लाखूवास गांव का निवासी है। ओम प्रकाश के पिता वसंत सिंह करहाणा भारतीय सेना से रिटायर्ड सिपाही हैं।
ओपी करहाणा के परिवार वालों के अनुसार ओपी ने अपनी पढाई पंजाब से की और खेल की तरफ ध्यान देना शुरू कर दिया लेकिन अपनी अच्छी कद काठी के अनुसार उसने चुना शॉट पुट खेल और उसमें कामयाबी के झंडे भी गाड़े।
ओम प्रकाश करहाणा ने 2006 से खेलों की तरफ अपनी रुचि बढ़ाई और अभ्यास करना शुरू कर दिया। अभी तक ओपी अंतरराष्ट्रीय स्तर के कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियाड गेम्स में हिस्सा ले चुके हैं और अब कुछ ही दिनों में होने वाले ओलिंपिक खेलों में उनका चुनाव हो गया है।
एशियाड गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने के बाद हरियाणा सरकार ने ओम प्रकाश के गांव को 22 लाख रुपये विकास के लिए दिए जिससे गांव में विकास कार्य किए जा रहे हैं। गांव के लोगों के अनुसार ओम प्रकाश को खेलो की प्रतिभा अपने पूर्वजों से विरासत में मिली है क्योंकि ओम प्रकाश के पिताजी भारतीय सेना में जब थे तो वह बॉक्सिंग और रेसलर भी रहे। गांव वाले भी ओम प्रकाश से उम्मीद लगाए हुए हैं कि 2012 ओलिंपिक खेलों में ओपी गोल्ड मेडल जीतकर आएगा और गांव-देश का नाम फिर से रोशन करेगा।
ओम प्रकाश सिंह करहाणा गुड़गांव के सोहना इलाके में आने वाले लाखूवास गांव का निवासी है। ओम प्रकाश के पिता वसंत सिंह करहाणा भारतीय सेना से रिटायर्ड सिपाही हैं।
ओपी करहाणा के परिवार वालों के अनुसार ओपी ने अपनी पढाई पंजाब से की और खेल की तरफ ध्यान देना शुरू कर दिया लेकिन अपनी अच्छी कद काठी के अनुसार उसने चुना शॉट पुट खेल और उसमें कामयाबी के झंडे भी गाड़े।
ओम प्रकाश करहाणा ने 2006 से खेलों की तरफ अपनी रुचि बढ़ाई और अभ्यास करना शुरू कर दिया। अभी तक ओपी अंतरराष्ट्रीय स्तर के कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियाड गेम्स में हिस्सा ले चुके हैं और अब कुछ ही दिनों में होने वाले ओलिंपिक खेलों में उनका चुनाव हो गया है।
एशियाड गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने के बाद हरियाणा सरकार ने ओम प्रकाश के गांव को 22 लाख रुपये विकास के लिए दिए जिससे गांव में विकास कार्य किए जा रहे हैं। गांव के लोगों के अनुसार ओम प्रकाश को खेलो की प्रतिभा अपने पूर्वजों से विरासत में मिली है क्योंकि ओम प्रकाश के पिताजी भारतीय सेना में जब थे तो वह बॉक्सिंग और रेसलर भी रहे। गांव वाले भी ओम प्रकाश से उम्मीद लगाए हुए हैं कि 2012 ओलिंपिक खेलों में ओपी गोल्ड मेडल जीतकर आएगा और गांव-देश का नाम फिर से रोशन करेगा।
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