भारत के महान फुटबाल खिलाड़ी सैलेंद्र नाथ मन्ना का एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 87 वर्ष के थे। अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) ने सैलेन के निधन पर शोक जताया है।
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कोलकाता/नई दिल्ली:
भारत के महान फुटबाल खिलाड़ी सैलेंद्र नाथ मन्ना का एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 87 वर्ष के थे। उनके परिवार में पत्नी और बेटी हैं। अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) ने सैलेन के निधन पर शोक जताया है।
सैलेन के नाम से विख्यात मन्ना कुछ समय से बीमार थे। उन्हें साल्ट लेक स्थित एमआरआई अस्पताल में रविवार रात लगभग 11 बजे भर्ती कराया गया था। इसके दो घंटे बाद सोमवार सुबह 1.55 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। सैलेन को देश के सर्वश्रेष्ठ डिफेंडरों में से एक माना जाता था। वर्ष 2000 में अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) ने उन्हें शताब्दी का फुटबाल खिलाड़ी घोषित किया था।
सैलेन को श्रद्धांजलि देने के लिए नई दिल्ली के द्वारका स्थित एआईएफएफ के मुख्यालय पर झंडा आधा झुका रहेगा। इसके अलावा भारतीय टीम अगले अंतरराष्ट्रीय दोस्ताना फुटबाल मुकाबले में अजरबैजान के खिलाफ बाजू पर काली पट्टी बांधकर खेलेगी।
सैलेन 1954 में मनीला एशियाई खेलों में टीम की कप्तानी की थी। सैलेन की कप्तानी में भारतीय टीम चतुष्कोणीय टूर्नामेंट में चैम्पियन बनकर उभरी थी। इस टूर्नामेंट में बर्मा (जिसे अब म्यांमार के नाम से जाना जाता है) सिलोन (अब श्रीलंका के नाम से जाना जाता है) और पाकिस्तान की टीमें थीं। भारतीय टीम लगातार 1952, 53 और 54 में चैम्पियन रही थी।
राष्ट्रीय टीम के कप्तान के रूप में सैलेन का प्रदर्शन सराहनीय रहा और इंग्लैंड फुटबाल एसोसिएशन ने वर्ष 1953 में विश्व के सर्वश्रेष्ठ 10 कप्तानों में उन्हें जगह दी थी।
एआईएफएफ द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने अपने शोक संदेश में कहा, "यह सुनकर बहुत दुख हुआ कि बेहतरीन फुटबाल खिलाड़ी रहे सैलेन अब हमारे बीच नहीं रहे। भारतीय फुटबाल में उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।"
एआईएफएफ के महासचिव कुशल दास ने कहा, "सैलेन मन्ना अपनी उपलब्धियों में जीवित रहेंगे। वह एक महान फुटबाल खिलाड़ी थे। उन्होंने कई पीढ़ियों को प्रेरित किया। मैं उनकी आत्मा की शांति की दुआ करता हूं।"
सैलेन के नाम से विख्यात मन्ना कुछ समय से बीमार थे। उन्हें साल्ट लेक स्थित एमआरआई अस्पताल में रविवार रात लगभग 11 बजे भर्ती कराया गया था। इसके दो घंटे बाद सोमवार सुबह 1.55 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। सैलेन को देश के सर्वश्रेष्ठ डिफेंडरों में से एक माना जाता था। वर्ष 2000 में अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) ने उन्हें शताब्दी का फुटबाल खिलाड़ी घोषित किया था।
सैलेन को श्रद्धांजलि देने के लिए नई दिल्ली के द्वारका स्थित एआईएफएफ के मुख्यालय पर झंडा आधा झुका रहेगा। इसके अलावा भारतीय टीम अगले अंतरराष्ट्रीय दोस्ताना फुटबाल मुकाबले में अजरबैजान के खिलाफ बाजू पर काली पट्टी बांधकर खेलेगी।
सैलेन 1954 में मनीला एशियाई खेलों में टीम की कप्तानी की थी। सैलेन की कप्तानी में भारतीय टीम चतुष्कोणीय टूर्नामेंट में चैम्पियन बनकर उभरी थी। इस टूर्नामेंट में बर्मा (जिसे अब म्यांमार के नाम से जाना जाता है) सिलोन (अब श्रीलंका के नाम से जाना जाता है) और पाकिस्तान की टीमें थीं। भारतीय टीम लगातार 1952, 53 और 54 में चैम्पियन रही थी।
राष्ट्रीय टीम के कप्तान के रूप में सैलेन का प्रदर्शन सराहनीय रहा और इंग्लैंड फुटबाल एसोसिएशन ने वर्ष 1953 में विश्व के सर्वश्रेष्ठ 10 कप्तानों में उन्हें जगह दी थी।
एआईएफएफ द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने अपने शोक संदेश में कहा, "यह सुनकर बहुत दुख हुआ कि बेहतरीन फुटबाल खिलाड़ी रहे सैलेन अब हमारे बीच नहीं रहे। भारतीय फुटबाल में उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।"
एआईएफएफ के महासचिव कुशल दास ने कहा, "सैलेन मन्ना अपनी उपलब्धियों में जीवित रहेंगे। वह एक महान फुटबाल खिलाड़ी थे। उन्होंने कई पीढ़ियों को प्रेरित किया। मैं उनकी आत्मा की शांति की दुआ करता हूं।"
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