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This Article is From Jul 30, 2012

मिथक तोड़ने में नाकामयाब रहे बिंद्रा

बिंद्रा लंदन ओलिंपिक खेलों में सोमवार को दस मीटर एयर राइफल्स के फाइनल के लिये क्वालीफाई नहीं कर पाए। इस तरह से वह भी उन निशानेबाजों की सूची में शामिल हो गए जो इस स्पर्धा में अपने खिताब का बचाव नहीं कर पाए।
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नई दिल्ली: बीजिंग ओलिंपिक खेलों में दस मीटर एयर राइफल्स में स्वर्ण पदक जीतने वाले भारतीय निशानेबाज अभिनव बिंद्रा भी ओलिंपिक के इस स्पर्धा को लेकर पिछले 28 साल से चला आ रहा मिथक तोड़ने में नाकाम रहे।

बिंद्रा लंदन ओलिंपिक खेलों में सोमवार को दस मीटर एयर राइफल्स के फाइनल के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाए। इस तरह से वह भी उन निशानेबाजों की सूची में शामिल हो गए जो इस स्पर्धा में अपने खिताब का बचाव नहीं कर पाए।

ओलिंपिक निशानेबाजी में दस मीटर एयर राइफल्स की स्पर्धा 1984 में शामिल की गई थी और तब से अब तक कोई भी निशानेबाज इसमें अपने खिताब का बचाव नहीं कर पाया है। उम्मीद थी कि बिंद्रा यह मिथक तोड़ने में कामयाब रहेंगे लेकिन वह सोमवार को क्वालीफिकेशन में 600 में से 594 अंक बनाकर 47 भागीदारों में 16वें स्थान पर रहे।

ओलिंपिक में दस मीटर एयर राइफल्स का पहला स्वर्ण पदक 1984 में फ्रांस के फिलिप हेब्रेल ने जीता था लेकिन इसके चार साल बाद 1988 में सोल ओलिंपिक में उन्होंने भाग नहीं लिया। युगोस्लाविया के गोरान मोकसिमोविच ने सोल में स्वर्ण पदक जीता लेकिन बार्सिलोना 1992 में उन्हें पांचवें स्थान से संतोष करना पड़ा।

बार्सिलोना में सोवियत गणराज्य के देशों की संयुक्त टीम के निशानेबाज यूरी फेडकिन ने सोने का तमगा जीता था लेकिन इसके अगले ओलिंपिक में उन्होंने भाग नहीं लिया था। अटलांटा में 1996 में हुए ओलिंपिक में रूस के आर्तम खादजिबेकोव ने नए ओलिंपिक रिकार्ड के साथ स्वर्ण पदक हासिल किया था।

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