अब जबकि पूरा हिंदुस्तान आगामी 15 अगस्त को 72वां जोर-शोर से 72वां स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारी कर रहा है, तो इस मौके पर हम आपके लिए भारतीय खेल उपलब्धियों के लिहाज से खास पहलुओं को लेकर आए हैं. आजादी के बाद से आजाद हिंदुस्तान की वो सबसे बड़ी दस खेल उपलब्धियां, जिनका जिक्र जब-जब होता है, तो करोड़ों देशवासियों का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. चलिए आपको बारी-बारी से बताते हैं इन दस शीर्ष खेल गौरव गाथाओं के बारे में.
1. लंदन ओलंपिक (1948) में हॉकी में गोल्ड
यूं तो भारत 1928-36 तक तीन स्वर्ण पदक जीत चुका था, लेकिन आजादी के बाद यह पहला स्वर्ण था. और हमने पहली बार बिना पाकिस्तान के इस ओलंपिक में हिस्सा लिया. संयोग से यह आयोजन लंदन में था. ग्रुप मुकाबलों में भारत ने आसानी से जीत दर्ज की और सेमीफाइनल में नीदरलैंड को 2-1 से हराया. फाइनल में ग्रेट ब्रिटेन को 4-0 से हराकर भारत ने गोल्ड पर कब्जा किया.
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2. 1951 में एशियाड में फुटबॉल में पहला स्वर्ण
साल 1951 में नई दिल्ली में आयोजित एशियाई खेलों में फुटबॉल सबसे लोकप्रिय खेल था. साल 1950 में हमने फीफा विश्व कप के लिए क्वालीफाई किया, लेकिन जूतों के अभाव के कारण नाम वापस ले लिया!! हमने 1951 में स्वर्ण पदक जीता और 1956 में सेमीफाइनल में पहुंचे. लेकिन सोचिए अगर भारत 1950 फीफा विश्व कप में खेलता, तो तस्वीर कैसी होती
3. 1952 ओलिंपिक में पहला व्यक्तिगत पदक
हेलिंस्की ओलंपिक में कुश्ती में खसाबा दादासाहेब जाधव ने कुश्ती में कांस्य पदक जीता. और साल 1948-92 तक लगातार 12 ओलिंपिक में यह भारत का इकलौता पदक बना रहा. इस उपलब्धि के बावजूद खसाबा दादासाहेब एक गुमनाम मौत मर गए. मौत के बाद 1984 में उन्हें सम्मान मिला. साल 2000 में मरणोपरांत उन्हें अर्जुन पुरस्कार दिया गया और उनके नाम पर कई सेंटर खोले गए.
4. 1958 में कॉर्डिफ राष्ट्रकुल खेलों में मिल्खा सिंह को कांस्य
मिल्खा सिंह एथलेटिक्स में पहले भारतीय सुपरस्टार थे. उन्होंने 440 मी. दौड़ में पहला स्वर्ण पदक जीता. मिल्खा सिंह ने एशियाई खेलों में कई स्वर्ण पदक जीते. मिल्खा सिंह ने लगातार विश्व रिकॉर्ड बनाए, लेकिन ओलिंपिक में वह ऐसा नहीं कर सके. ओलंपिक खेलों में उनकी सर्वश्रेष्ठ पायदान नबंर चार रही.
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5. 1960 विंबलडन में रामानाथन कृष्णन की धूम
लॉनटेनिस में हमने अच्छी प्रगति की है, लेकिन सिंगल्स ग्रैंडस्लैम खिताब अभी भी हमारे से मीलों दूर है. लेकिन इसके नजदीक भारत 1960 और 61 में पहुंचा, जब रामानाथन कृष्णन लगातार दो साल विंबलडन के सेमीफाइनल में पहुंचे.गैरेपेशेवर दौर मे राय इमरसन 12 सिंगल ग्रैंडस्लैम खिताब जीत चुके थे, लेकिन रामानाथन कृष्णन ने उन्हें विंबलडन में मात दी.
6. 1975 में हॉकी विश्व कप खिताब
मलेशिया में विश्व कप की यह जीत अपने आप में रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस है. जहां हमने कई ओलिंपिक स्वर्ण पदक जीते हैं, वहीं साल 1975 का विश्व कप खिताब हमारी इकलौती ट्रॉफी बनी हुई है. यह खिताब भारत ने सेमीफाइनल में मलेशिया को 3-2 और फाइनल में पाकिस्तान को 2-1 से हराकर जीता. भारत के लिए विजयी गोल महानतम ध्यानचंद के बेटे अशोक कुमार ने दागा.
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6. 1980 में बैडमिंटन में आया प्रकाश
भारतीय बैडमिंटन की ताकत को साल 1980 में दुनिया भर ने देखा, जब प्रकाश पादुकोण ने विश्व चैंपियनशिप के समकक्ष आंके जाने वाली ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप का खिताब जीता. उस दौर में यह भारत के लिहाज से बहुत ही बड़ी बात थी. प्रतियोगिता के सौ साल से भी ज्यादा के इतिहास में सिर्फ दो ही भारती ऐसा कर सकते हैं. साल 2001 में पुलेला गोपीचंद ने प्रकाश की उपलब्धि को दोहराया.
7. साल 1992 में एशियाई तीरंदाजी में बना वर्ल्ड रिकॉर्ड
बीजिंग में आयोजित इस एशियाई चैंपियनशिप में लिंबा राम ने 30 मी. वर्ग में 360 में से 357 का स्कोर किया. लिंबा राम ने इस दौरान वर्ल्ड रिकॉर्ड बराबर किया भारत का विश्व चैंपियनशिप जीतना खास है, लेकिन वर्ल्ड रिकॉर्ड की बराबरी इससे भी खास रही.
8. 2002 में मेरीकॉम के मुक्के की गूंज
भारत की मेरीकॉम ने साल 2002 में महिलाओं की वर्ल्ड अमेच्योर बॉक्सिंग चैंपियनशिप के
45 किग्रा भार वर्ग में अंटाल्या में विश्व कप सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाज बनकर इतिहास रच दिया. मेरीकॉम ने साल 2005, 2006, 2008 और 2018 में इस कारनामे को फिर से दोहराया.
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9. अभिनव बिंद्रा ने ओलिंपिक में रचा इतिहास
आखिरकार आजादी के साठ साल बाद ओलंपिक में व्यक्तिगत स्पर्धा में पदक जीतने का भारत का सूखा खत्म हो ही गया. और वह भी स्वर्ण पदक के साथ. अभिनव ने यह कारनामा 10 मी. एयर रायफल में किया.
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10. कई उपलब्धियां और भी...
वास्तव में दसवें नंबर की उपलब्धियों में अनगिनत बातों को शामिल किया जा सकता है. मसलन शतरंज में विश्वनाथन आनंद का पांच बार और साल 2007 से लगातार चार बार विश्व चैंपियन बनना, बैडमिंटन में साइना नेहवाल का लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक और दस सुपर सीरीज खिताब जीतना, पीवी सिंधु का 2016 ओलंपिक में रजत पदक जीतना, जिम्नास्टिक में दीपा करमाकर का उभरना, कुश्ती में ओलंपिक में सुशील कुमार के दो पदक, मुक्केबाजी में कई खिलाड़ियों का आगे आना वो तमाम बातें हैं, जिन्हें दसवें नंबर की सूची में शामिल किया जा सकता है.
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