नई दिल्ली:
कभी न कभी आपको भी अपना ब्लड ग्रुप जांचने की नौबत आई ही होगी, और आप जानते होंगे कि आपका ब्लड ग्रुप 'ए' है, या 'बी' है, या 'एबी' है या 'ओ' है... लेकिन क्या कभी आपने सोचा, आप ब्लड ग्रुप जांचने में किसलिए और किसकी वजह से सक्षम हैं...? दरअसल, ऑस्ट्रियन-अमेरिकन बायोलॉजिस्ट और फिज़ीशियन कार्ल लैंडस्टेनर (Karl Landsteiner) ने वर्ष 1900 में खून के अलग-अलग ग्रुप की खोज की थी, और आज इसी महान साइंसदान की 148वीं जयंती है, जिसे गूगल भी अपने ही अंदाज़ में डूडल बनाकर मना रहा है।
कार्ल की इस महान खोज की बदौलत खून का आदान-प्रदान संभव हो पाया था, और पिछली एक सदी में इसकी मदद से करोड़ों जानें बचाई गईं... 'ट्रांसफ्यूज़न मेडिसिन' के जनक कहे जाने वाले कार्ल लैंडस्टेनर का जन्म 1868 में ऑस्ट्रियाई शहर विएना में हुआ था, और उन्हें वर्ष 1930 में मेडिसिन के नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। वर्ष 1909 में कार्ल ने ही अपने साथी वैज्ञानिकों कॉन्सटैटिन लेवाडिटी और एरविन पॉपर के साथ मिलकर पोलियो वायरस की भी खोज की थी।
गूगल ने कार्ल लैंडस्टेनर का जन्मदिन मनाने के लिए जो डूडल बनाया है, उसमें कार्ल सफेद कोट पहने और नोटपैड हाथ में थामे अपनी लैब में खड़े हैं, और उनकी बगल में रखी मेज पर टेस्ट ट्यूब में अलग-अलग ग्रुप के खून के नमूने दिखाई दे रहे हैं।
कार्ल की इस महान खोज की बदौलत खून का आदान-प्रदान संभव हो पाया था, और पिछली एक सदी में इसकी मदद से करोड़ों जानें बचाई गईं... 'ट्रांसफ्यूज़न मेडिसिन' के जनक कहे जाने वाले कार्ल लैंडस्टेनर का जन्म 1868 में ऑस्ट्रियाई शहर विएना में हुआ था, और उन्हें वर्ष 1930 में मेडिसिन के नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। वर्ष 1909 में कार्ल ने ही अपने साथी वैज्ञानिकों कॉन्सटैटिन लेवाडिटी और एरविन पॉपर के साथ मिलकर पोलियो वायरस की भी खोज की थी।
गूगल ने कार्ल लैंडस्टेनर का जन्मदिन मनाने के लिए जो डूडल बनाया है, उसमें कार्ल सफेद कोट पहने और नोटपैड हाथ में थामे अपनी लैब में खड़े हैं, और उनकी बगल में रखी मेज पर टेस्ट ट्यूब में अलग-अलग ग्रुप के खून के नमूने दिखाई दे रहे हैं।
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