मां तुझे सलाम! पिता के देहांत के बाद मां ने मजदूरी कर अमजद को पढ़ाया, बेटे ने CA बन किया सपना पूरा

जोधपुर के 25 वर्षीय अमजद खान ने तमाम कठिनाइयों और परेशानियों को झेलकर अपना सपना पूरा कर लिया है. दरअसल, बुधवार को इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने CA इंटर और CA फाइनल का रिजल्ट जारी किया.

मां तुझे सलाम! पिता के देहांत के बाद मां ने मजदूरी कर अमजद को पढ़ाया, बेटे ने CA बन किया सपना पूरा

जोधपुर। कुछ संघर्ष की कहानियां बहुत ही प्यारी होती हैं. इन कहानियों को पढ़ने के बाद दिल गदगद हो जाता है. आज हम आपको जोधपुर के रहने वाले अमजद की कहानी बताने जा रहा हूं. अमजद की ज़िंदगी बिल्कुल आसान नहीं थी. पिता बीमार थे, इसलिए ज्यादा समय तक साथ नहीं दे पाएं. मां ने मजदूरी कर के अमजद को पढ़ाया. आज अमजद CA बन चुके हैं. आइए, इनकी कहानी विस्तार से समझते हैं.

जोधपुर के 25 वर्षीय अमजद खान ने तमाम कठिनाइयों और परेशानियों को झेलकर अपना सपना पूरा कर लिया है. दरअसल, बुधवार को इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने CA इंटर और CA फाइनल का रिजल्ट जारी किया. देश भर में जोधपुर को CA की फैक्ट्री के रूप में जाना जाता है. जिसका कारण के हर वर्ष जारी होने वाले CA के परीक्षा परिणामों में सर्वाधिक जोधपुर के विद्यार्थी उतीर्ण होते है. वही बुधवार को जारी रिजल्ट में जोधपुर के कमला नेहरू नगर निवासी 25 वर्षीय अमजद खान का परीक्षा परिणाम उन लोगों के लिए एक सीख है जो अपने संघर्ष भरे जीवन से हताश होकर अपने उद्देश्यो को ही बदल देते हैं. जोधपुर के अमजद खान के संघर्ष की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. अमजद के परिवार में सीए परीक्षा उत्तीर्ण करने की खुशी ऐसी थी कि अमजद की मां रुखसाना और दादी सुरिया के आंखों में खुशी के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. अमजद खान बताते है की उनकी मां ने मजदूरी कर उन्हें पढ़ाया. कोरोना काल के बाद अपने पिता को खोने के बाद से ही परिवार की पूरी जिम्मेदारी मां के जिम्मे आ गई थी. मां ने तमाम कष्ट झेलकर पढ़ाया.

बेटे ने पूरी की पिता की इच्छा पर पिता नही देख पाए यह खुशी का पल

अमजद की मां रुखसाना बताती है कि जब उसके बीमारी के समय उनके पिता अस्पताल में भर्ती थे तब भी  पिता की इच्छा थी कि उसका बेटा सीए बने. बीमारी के बावजूद वह अपने बच्चे को अस्पताल में रहने की बजाए घर जाकर पढ़ने का कहा करते थे. लेकिन पुत्र का पिता के प्रति प्रेम ऐसा था कि पिता की देखभाल करने के साथ ही पढ़ाई को कुछ समय ही दे पाते थे.

मेहनत और दुआ का ही परिणाम है

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अमजद की दादी सुरिया रोते हुए कहती हैं कि मेरे बेटे का सपना था कि अमजद सीए बने. आज पोता सफल हो गया.