- राजस्थान के बीकानेर के डॉक्टर सुमित कूकना और नागौर की डॉक्टर जसोदा काला ने सादगी से शादी की
- दूल्हे ने हाथी पर सवार होकर तोरण मारा और वैदिक रीति-रिवाजों के अनुसार सात फेरे लिए गए
- दहेज में केवल एक रुपये और एक नारियल स्वीकार कर समाज को दहेज प्रथा के खिलाफ संदेश दिया गया
एक ऐसे दौर में जब शादी-विवाह में दिखावा और भारी-भरकम खर्च आम आदमी की कमर तोड़ देता है, राजस्थान के एक युवा डॉक्टर्स कपल ने सादगी और प्रेरणा की एक नई मिसाल पेश की है. बीकानेर के नोखा कस्बे से आए दूल्हे ने न केवल हाथी पर चढ़कर तोरण मारा, बल्कि दहेज में मात्र ₹1 और एक नारियल स्वीकार कर समाज को एक बड़ा संदेश दिया है.
पेशे से डॉक्टर, विचार से क्रांतिकारी
यह अनूठी शादी बीकानेर निवासी डॉक्टर सुमित पुत्र हुकमाराम कूकना और नागौर की डॉक्टर जसोदा काला के बीच वैदिक रीति-रिवाजों के अनुसार संपन्न हुई. शादी की रस्मों में, दूल्हे डॉक्टर सुमित कूकना ने एक शाही अंदाज दिखाया, जब वह तोरण की रस्म पूरी करने के लिए हाथी पर सवार होकर पहुंचे. इसके बाद शुभ मुहूर्त में वर-वधू के सात फेरे हुए.
दहेज को किया न, लिया सिर्फ शगुन
शादी का सबसे महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक पल विदाई के समय आया. बुधवार सुबह जब विदाई की रस्म पूरी होनी थी, तब दूल्हे डॉक्टर सुमित कूकना ने अपने ससुराल पक्ष और परिजनों को स्पष्ट किया कि वह दहेज में कोई वस्तु या राशि नहीं लेंगे. उन्होंने समाज के सामने एक नई मिसाल पेश करते हुए शगुन के तौर पर मात्र ₹1 और एक नारियल लेकर ही शादी की रस्म पूरी करने की घोषणा की.

दूल्हे के जीजा डॉक्टर हिम्मत केड़ली ने बताया, "नव दंपति दोनों ही पेशे से चिकित्सा सेवा में सेवारत हैं. उन्होंने समाज के लिए एक नया उदाहरण पेश करते हुए नया जीवन शुरू किया है, जिसका अन्य लोग भी अनुसरण करेंगे और इससे प्रेरित होंगे."

पूरे समाज ने की पहल की प्रशंसा
दूल्हे के इस साहसिक और प्रेरणादायक निर्णय की शादी में शामिल हुए सभी लोगों ने दिल खोलकर प्रशंसा की.दुल्हन के पिता अणदाराम काला ने विधि विधान से बिना दहेज की यह शादी संपन्न करवाई, जिससे समाज में एक नई और अच्छी प्रथा का दौर शुरू होने की उम्मीद जगी है.
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