रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि भारत को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए सरकार, समाज के सभी धड़ों और सामाजिक संगठनों को मिलकर काम करना होगा. राजनाथ सिंह दिव्य ज्योति जागृति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा पंजाब के जालंधर में आयोजित ‘गुरु पूर्णिमा महोत्सव' में शामिल होने आए थे. इस मौके पर केंद्रीय मंत्री ने जालंधर के नूरमहल स्थित संस्थान और इसके कार्यों की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि वह खुश हैं कि डीजेजेएस मानव सेवा को ध्यान में रखकर हर क्षेत्र में काम कर रहा है.
राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘श्री आशुतोष महाराज ने सर्वोच्च परमार्थ के लक्ष्य के साथ लोगों को एकजुट किया. ‘परमार्थ'का अभिप्राय बिना किसी लाभ के दूसरों की सेवा से है और यह महान व्यक्ति ही कर सकता है. स्वामी जी ने अपने कार्यों से लोगों को प्रेरित किया.''रक्षामंत्री ने कहा कि देश ‘अमृत काल' में प्रवेश कर गया है. सरकार देश की आजादी की 75वीं से 100वीं सालगिरह के कालखंड को अमृतकाल के तौर पर मना रही है.
रक्षामंत्री ने कहा, ‘‘अमृत काल के अंत में या 2047 तक हम इस संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है. सरकार और समाज के प्रत्येक धड़े और दिव्य ज्योति जागृति संस्थान जैसे संस्थाओं को इसके लिए मिलकर काम करना होगा.'' उन्होंने कहा, ‘‘हमारे जीवन के प्रत्येक चरण में धर्म आवश्यक है. हमें अपने निजी और सार्वजनिक जीवन में धर्म का अनुपालन करना चाहिए. मेरे विचार से धर्म का अभिप्राय कर्तव्य है.''
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षामंत्री के नाते यह उनका कर्तव्य है कि बहादुर सैनिकों के जरिये वह भारत की रक्षा करें. उन्होंने कहा, ‘‘आप जिस पद पर भी हों आपके लिए ‘धर्म' होता है और आपको उस धर्म का अनुपालन करना होता है. ‘धर्म' जीवन के प्रत्येक हिस्से में आवश्यक है और यहां तक राजनीति में भी.''सिंह ने कहा, ‘‘एक बार महात्मा गांधी ने कहा था कि जो लोग कहते हैं कि राजनीति में धर्म का कोई लेनादेना है वे नहीं जानते कि आखिर धर्म क्या है.'' उन्होंने कहा कि हमारे देश में जिस राजनीति की चर्चा होती है वह स्वयं धर्म से प्रेरित है.
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