
- जोरावर सिंह संधू ने 48 वर्ष की उम्र में एथेंस में ट्रैप शूटिंग में वर्ल्ड चैंपियनशिप का कांस्य पदक जीता.
- उन्होंने 31 में से 31 शॉट्स पर सटीक निशाना लगाकर कठिन मौसम में शानदार प्रदर्शन किया.
- यह पदक भारतीय निशानेबाजी के लिए दूसरा निजी विश्व चैंपियनशिप मेडल होने का गौरवशाली क्षण है.
ग्रीस या यूनान की राजधानी एथेंस, भारतीय निशानेबाजी के लिए एक पवित्र-भाग्यशाली शहर है. राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने 2004 में एथेंस ओलंपिक में डबल ट्रैप का रजत पदक जीतकर इतिहास रचा था. और अब, 48 साल की उम्र में जोरावर सिंह संधू ने वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप में ट्रैप शूटिंग में कांस्य पदक जीतकर एक और इतिहास रच दिया है.
NDTV से EXCLUSIVE बातचीत में जोरावर सिंह संधू ने कहा,"मेरी मेहनत का फल आखिरकार मिल ही गया. मैं इस पदक को अपने देश को समर्पित करता हूं और युवाओं से कहूंगा कि वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करते रहें. कुछ भी असंभव नहीं है. Nothing is Impossible."
31 साल पहले अपने पहले जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप और 27 साल पहले अपने पहले सीनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप के बाद, जोरावर सिंह संधू ने 48 साल की उम्र में ISSF वर्ल्ड शॉटगन शूटिंग चैंपियनशिप 2025 में पुरुषों की ट्रैप प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता लिया.
एथेंस में मालाकासा शूटिंग रेंज में शुक्रवार (17 अक्टूबर) को हुए फाइनल में संधू ने बारिश, बादल और बदली के बावजूद 50 शॉट के फाइनल में पहले 40 टारगेट में से 31 पर सटीक निशाना लगाया. वह पूर्व ओलंपिक चैंपियन और मौजूदा वर्ल्ड चैंपियन जोसिप ग्लासनोविक (क्रोएशिया) और जूनियर वर्ल्ड चैंपियन एंड्रेस गार्सिया (स्पेन) के पीछे तीसरे नंबर पर रहे. "यह एक शानदार अनुभव था," फाइनल के बाद जोरावर सिंह संधू ने कहा. "यह एक कठिन रेंज थी, शूट करने के लिए कठिन परिस्थितियां थीं, लेकिन यही जीवन है. मैं अपने परिवार, कोच और साथियों को उनके सपोर्ट के लिए शुक्रिया कहना चाहता हूं."
राष्ट्रीय राइफल संघ NRAI के अध्यक्ष श्री कलिकेश नारायण सिंह देव ने कहा,"यह भारतीय निशानेबाजी के लिए एक और ऐतिहासिक क्षण है, जिसमें जोरावर ने हमें ट्रैप में केवल तीसरा निजी वर्ल्ड चैंपियनशिप मेडल जीतने में मदद की. यह हमारे निशानेबाजी स्क्वाड में आत्मविश्वास के स्तर को दर्शाता है कि हर अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में नई बाधाएं पार की जा रही हैं. जोरावर को उनकी कमिटमेंट (प्रतिबद्धता) और समर्पण के लिए पूरी तरह से अंक दिए जाने चाहिए. इसके साथ पीटर विल्सन और पूरा कोचिंग स्टाफ भी लाजवाब साबित हुआ को जिन्होंने हमारे ट्रैप टीम को काफी बेहतर बनाने में मदद की है."
सुबह से ही ज़ोरावर की चुनौती कठिन थी, क्योंकि उन्हें फाइनल में जगह पक्की करनी थी. पिछले दो दिनों में हुए चार राउंड्स में उन्होंने केवल एक निशाना चूका थां पांचवें राउंड में उन्होंने 23 स्कोर किया (24, 25, 25, 25, 23), जिससे उनका कुल स्कोर 122 हुआ, जो क्वालिफिकेशन के लिए पर्याप्त रहा.
ओवरनाइट लीडर और पूर्व विश्व चैम्पियनशिप रजत पदक विजेता एंटन ग्लासनोविक ने 125 के परफेक्ट स्कोर के साथ विश्व रिकॉर्ड की बराबरी करते हुए शीर्ष स्थान हासिल किया. उनके भाई योसिप 124 के साथ दूसरे और अमेरिकी विश्व नंबर 2 विलियम हिंटन 123 के साथ तीसरे स्थान पर रहे.
ज़ोरावर, गार्सिया और फ्रांस के एंटोनिन डेजर्ट के बीच शूट-ऑफ हुआ, जिसमें ज़ोरावर पहले निशाने पर चूक गए और उन्हें फाइनल में बिब नंबर 6 मिला — जो सबसे बड़ा नुकसान था, क्योंकि किसी भी बराबरी की स्थिति में उन्हें पहले बाहर होना पड़ता. फाइनल की शुरुआत में ही ज़ोरावर ने दूसरा निशाना छोड़ा, लेकिन अगले नौ लगातार सही लगाकर शुरुआती चरण में पांचवें स्थान पर पहुंचे. योसिप ने 12वें शॉट पर पहली बार निशाना छोड़ा, जबकि एंटन, जिन्होंने तीन दिनों में कोई शॉट नहीं चूका था, पहले 15 में ही चार निशाने खो बैठे.
जब ज़ोरावर 13 हिट्स के साथ दूसरे स्थान पर पहुंचे, तभी बारिश शुरू हुई, जिससे सभी निशानेबाज़ों के लिए परिस्थितियां कठिन हो गईं. अगले दस में उन्होंने लगातार तीन निशाने छोड़े, लेकिन हिंटन के 25 शॉट्स के बाद बाहर होने से वे बने रहे. इसके बाद डेजर्ट भी बाहर हो गए और जैसे ही सूरज और साये मैदान पर लौटे, एंटन का ध्यान भंग हुआ और उन्होंने अपने अंतिम 10 में से चार चूके, चौथे स्थान पर समाप्त किया. इसी के साथ ज़ोरावर ने एक बहुमूल्य विश्व चैम्पियनशिप पदक सुनिश्चित किया.
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