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This Article is From Aug 07, 2021

नीरज को वॉलीबाल और कबड्डी थी पसंद, मोटापे से थे परेशान फिर जेवेलियन थ्रो में ऐसे बने चैंपियन

नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में शनिवार को यहां भाला फेंक में स्वर्ण पदक (Gold Medal) जीतकर भारतीय खेलों में नया इतिहास रच दिया है. नीरज ने अपने दूसरे प्रयास में 87.58 मीटर भाला फेंका जो कि सोने का तमगा हासिल करने के लिये पर्याप्त था.

नीरज को वॉलीबाल और कबड्डी थी पसंद, मोटापे से थे परेशान फिर जेवेलियन थ्रो में ऐसे बने चैंपियन
नीरज चोपड़ा रच सकते हैं इतिहास

नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में शनिवार को यहां भाला फेंक में स्वर्ण पदक (Gold Medal) जीतकर भारतीय खेलों में नया इतिहास रच दिया है. नीरज ने अपने दूसरे प्रयास में 87.58 मीटर भाला फेंका जो कि सोने का तमगा हासिल करने के लिये पर्याप्त था.  यह ओलंपिक एथलेटिक्स में भारत का पहला पदक है. इससे उन्होंने भारत का एथलेटिक्स में ओलंपिक पदक जीतने का पिछले 100 साल से भी अधिक का इंतजार समाप्त कर दिया है.  नीरज ने स्वर्ण पदक जीतने के बाद तिरंगा लेकर मैदान का चक्कर लगाया और इसका जश्न मनाया. नीरज को ओलंपिक से पहले ही पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा है और इस 23 वर्षीय एथलीट ने अपेक्षानुरूप प्रदर्शन करते हुए क्वालीफिकेशन में अपने पहले प्रयास में 86.59 मीटर भाला फेंककर शीर्ष पर रहकर फाइनल में जगह बनायी थी.

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भारतीय सेना के चोपड़ा की ओलंपिक की तैयारियां 2019 में कोहनी की चोट और फिर कोविड-19 महामारी (COVID-19) के कारण प्रभावित हुई थी लेकिन उन्होंने अपने प्रशंसकों को बिलकुल निराश नहीं किया और ओलंपिक में अपनी पहले ही थ्रो पर फाइनल में जगह बना ली. 

नीरज को वॉलीबाल और कबड्डी थी पसंद, मोटापे से थे परेशान, फिर ऐसे आए जेवेलियन थ्रो में
बचपन में नीरज को वॉलीबाल और कबड्डी खेलना काफी पसंद था. लेकिन 14 साल की उम्र में जेवेलिन थ्रो से उनका लगाव पहली बार हुआ. दरअसल अपने शुरूआती समय में नीरज का वजन काफी था. ऐसे में उनके घर वालों ने उन्हें जिम भेजना शुरू कर दिया था. लेकिम जिम में नीरज को वो खुशी नहीं मिली जिसकी वो तालाश कर रहे थे. ऐसे में नीरज के घर वालों ने उन्हें स्टेडमय में भेजना शुरू कर दिया. स्टेडियम में दूसरे एथलीट को देखकर नीरज के अंदर भी एथलीट बनने की इच्छा हिलोरे मारने लगी. 

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भाला फेंकने के लिए की कड़ी मेहनत
स्टेडियम में सारे एथलीट को देखने के बाद नीरज कन्फ्यूज्ड हो गए कि आखिर में वो किस खेल को चुने, लेकिन तमाम कोशिश करने के बाद उन्होंने भाला फेंकने में अपना करियर बनाया. दरअसल बचपन में नीरज पत्थर और डंडे खूब फेंकते थे. यही सोचकर उन्होंने भाला फेंकने में अपना करियर बनाना उचित समझा.

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Photo Credit: AFP

भाला फेंकने में बन चुके हैं भारतीय चैंपियन
2012 में लखनऊ में अंडर 16 नेशनल जूनियर चैंपियनशिप में 68.46 मीटर भाला फेंक नीरज की उपलब्धियों की शुरूआत हो गई. इसके बाद नीरज ने पीछए मुड़कर नहीं देखा. 2016 में जूनियर विश्व चैंपियनशिप में 86.48 मीटर भाला फेंकने का रिकॉर्ड हो या फिर 2018 में कॉमनवेल्थ गेम्स में 86.47 मीटर भाला फेंकने का रिकॉ़र्ड, नीरज ने अपने परफॉ़र्मेंस से खुद को जेवेलियन थ्रो में सुपरस्टार बना दिया है. नीरज चोपड़ा को 2018 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. 

भारतीय सेना में कार्यरत, ऐसे बदल डाली अपने गांव की तस्वीर
नीरज चोपड़ा भारतीय सेना में नायब सूबेदार के पद पर हैं. नीरज चोपड़ा का जन्म हरियाणा के पानीपत जिसे के खंद्रा गांव में हुआ है. खंद्रा गांव का हर एक बच्चा अब भाला फेंक में अपना करियर बनाना चाह रहा है. 

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