NDTV Indian of The Year: पेरिस में हुए पैरालंपिक खेले में भारत ने इस बार शानदार प्रदर्शन किया था. भारतीय दल ने पेरिस 2024 खेलों में पैरालंपिक इतिहास में अपना सबसे बेहतर प्रदर्शन किया था और 29 पदक जीते थे. भारत ने सात स्वर्ण, नौ रजत और 13 कांस्य पदक जीते थे. भारत ने इससे पहले कभी भी पैरालंपिक खेलों में इतने पदक नहीं जीते थे. भारतीय पैरालंपिक दल को उनके शानदार प्रदर्शन के लिए शुक्रवार को एनडीटीवी इंडियन ऑफ द ईयर में स्पोर्ट्स परफॉर्मेंस ऑफ द ईयर का अवॉर्ड जीता है. इस दौरान भारतीय पैरालंपिक कमेटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष देवेंद्र झाझड़िया ने कहा कि उन्हें यह अवॉर्ड जिंदगी भर याद रहेगा क्योंकि यह बतौर प्रशासक उनके करियर का पहला सम्मान है.
एनडीटीवी इंडियन ऑफ द ईयर में कार्यक्रम के दौरान देवेंद्र झाझड़िया ने कहा,"एनडीटीवी ने शानदार कार्यक्रम से हमारे पैरा चैंपियन और फेडरेशन को मान-सम्मान दिया है, उसके लिए धन्यवाद. खिलाड़ी के तौर पर मुझे पांच राष्ट्रपति अवॉर्ड मिले हैं और पहला जब मुझे पहला राष्ट्रपति अवॉर्ड मिला था, जब बहुत खुशी हुई थी. जब मैंने एथेंस पैरालंपिक में मेडल जीता था, वो मेडल मुझे सबसे ज्यादा याद है. लेकिन एडमिनिस्ट्रेटर के तौर पर पहली बार अवॉर्ड मुझे एनडीटीवी ने दिया है. यह अवॉर्ड मुझे लाइफ में याद रहेगा."
देवेंद्र झाझड़िया ने आगे कहा,"खिलाड़ी के तौर पर देश के लिए भूमिका निभाई, तीन-तीन मेडल जीते, अब एक एडमिनिस्ट्रेटर के तौर पर काम कर रहा हूं. और हमारी टीम ने जो पेरिस पैरालंपिक में प्रदर्शन किया, ये हमारे खिलाड़ियों की बहुत मेहनत थी. लेकिन इसके पीछे बहुत से लोगों का हाथ रहा."
देवेंद्र झाझड़िया ने आगे कहा,"मुझे याद है कि खेल गांव के बाहर एक प्वाइंट बना हुआ था, वहां एनडीटीवी की टीम रहती थी. और उस टीम को मैं बार बार इंटरव्यू देता था. कहीं ना कहीं देश तक इस पेरालंपिक के मोमेंट को देश तक पहुंचाने का काम एनडीटीवी ने किया. यह बहुत बड़ी बात है."
प्रणव सूरमा से जब पूछा गया कि पेरिस पैरालंपिक के दौरान उन्हें क्या मोटिवेट कर रहा था, इसके जवाब में उन्होंने कहा कि उन्हें पता था कि अगर वो इस मौके पर चूके तो अगला मौकै उन्हें चार साल बाद ही मिलेगा. प्रणव ने कहा,"यह मेरा पैरालंपिक में डेब्यू था. किसी अन्य एथलीट की तरह, जो इतने बड़े इवेंट में हिस्सा ले रहा हो, मैं बहुत नर्वस था. लेकिन मेरा गोल था कि मुझे अपना बेस्ट देना है क्योंकि जो मौका मुझे अभी मिला है, वो मुझे फिर चार साल बाद मिलेगा. तो इसीलिए मुझे बेहतर करना था. मेरा 2011 में एक्सिडेंट हुआ था. मेरे लिए जब चीजों की शुरुआत हुई, उससे पहले ही मैं छोड़ना चाहता था."
पेरिस पैरालंपिक के रजत पदक विजेता ने आगे कहा,"लेकिन इतने सालों में मैंने जाना है कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता है. आपको सफलता के लिए कठिन परिश्रम करना होगा, आपको त्याग करना होगा. यह बहुत जरुरी है कि आप अपनी सीमाओं को समझें और अपनी ताकत को पहचानें, तो आप अपनी ताकत से अपनी कमोजरियों से बाहर निकल सके." उन्होंने आगे कहा,"अगर आपका प्लान काम नहीं करता है तो आप अपना प्लान बदलें, गोल नहीं. मैं अपने आपको बहुत भाग्यशाली समझता हूं."
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