विश्व चैंपियन लवलीना बोरगोहेन (75 किग्रा ) ने मंगलवार को यहां एशियाई खेलों की मुक्केबाजी प्रतियोगिता के फाइनल में पहुंचकर ओलिंपिक कोटा हासिल किया, जबकि प्रीति पवार (54 किग्रा) और नरेंद्र बेरवाल (92 किग्रा से अधिक) को सेमीफाइनल मुकाबले में हारने के बाद कांस्य से संतोष करना पड़ा. तोक्यो ओलंपिक कांस्य पदक विजेता लवलीना ने सेमीफाइनल में एशियाई चैम्पियनशिप रजत पदक विजेता थाईलैंड की बेसन मानिकोन को सर्वसम्मति से लिये गए फैसले में हराया. लंबे कद का पूरा फायदा उठाते हुए लवलीना ने शानदार मुक्के लगाए. पहले दौर में पिछड़ने के बाद उनकी प्रतिद्वंद्वी ने आखिरी तीन मिनट में वापसी की कोशिश की लेकिन कामयाबी नहीं मिली.
दूसरी ओर ओलिंपिक कोटा हासिल कर चुकी प्रीति को मौजूदा फ्लायवेट चैम्पियन चीन की चांग युआन ने 5-0 से हराया. पहले तीन मिनट में प्रीति ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए घूंसे बरसाये लेकिन बाद में लय कायम नहीं रख सकीं. चीनी खिलाड़ी ने जबर्दस्त आक्रामकता दिखाते हुए उसे कोई मौका नहीं दिया. पहले दौर में पांच में से चार जज ने चीनी खिलाड़ी के पक्ष में फैसला दिया. दूसरे दौर में प्रीति ने उसका डिफेंस तोड़ने की कोशिश की. प्रीति को सिर के पीछे से मारने पर युआन को चेतावनी भी मिली. उसने आखिरी तीन मिनट में रक्षात्मक खेल दिखाते हुए जीत दर्ज की.
नरेंद्र सेमीफाइनल में कजाखिस्तान के ओलिंपिक और विश्व चैंपियनशिप पदक विजेता कामशीबेक कुंकाबायेव से 0-5 से हार गए और इस तरह से ओलंपिक कोटा हासिल करने से चूक गए. एक अजीबोगरीब घटनाक्रम में सचिन सिवाच अपना 57 किग्रा का क्वार्टर फाइनल मुकाबला ल्यू पिंग से तीन मिनट और सात सेकंड में 1-4 से हार गए. दोनों मुक्केबाजों के सिर टकराने के कारण चीन के खिलाड़ी के माथे पर घाव हो गया. पिंग ने पहला राउंड 4-1 से जीता था और जब यह स्पष्ट हो गया कि खून बहने के कारण वह मुकाबला आगे जारी नहीं रख सकते हैं तो जजों ने चीन के खिलाड़ी के पक्ष में फैसला सुना दिया।
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