फाइल फोटो
मथुरा:
तीन दिन पहले जबरदस्त हिंसा का गवाह बने मथुरा के जवाहर बाग इलाके को मीडिया के लिए खोल दिया गया है। अंदर घुसने पर जो मंजर दिखा, वो काफी हैरान करने वाला है। कैंप के अंदर कई गाड़ियां शुक्रवार को हुई हिंसा में जला दी गईं। कैंप के अंदर हज़ारों लोगों के खाने का इंतज़ाम था और पुलिस के साथ संघर्ष के दौरान यहां रखे रसोई गैस के सैकड़ों सिलिंडरों में आग लग गई और कई सिलिंडर फट गए। जवाहर बाग़ के अंदर चारों ओर सब कुछ जला हुआ या बिखरा पड़ा है।
पुलिस का कहना है कि गैस सिलिंडरों में आग लगाकर अंदर सब कुछ जला दिया गया ताकि मुख्य आरोपी रामवृक्ष यादव और दूसरे आरोपियों के ख़िलाफ़ कोई सबूत बचा ना रहे।
मथुरा हिंसा के बाद जब एक से एक चौंकाने वाली जानकारियां आ रही हैं कि जवाहर बाग़ के भीतर क्या कुछ चल रहा था। वहां एक समानांतर सरकार सी चल रही थी और रामवृक्ष ख़ुद को वहां का सम्राट बताता था। अब असल सवाल ये है कि आख़िर किस राजनैतिक संरक्षण के तहत ये सब दो साल तक चलता रहा?
सरकार की नाक के नीचे चल रही थी अवैध सरकार
जो तस्वीरें सामने आई हैं उनमें साफ दिखता है कि कैसे मथुरा के जवाहर बाग़ में सरकार की नाक के नीचे एक अवैध सरकार सी चल रही थी। रामवृक्ष यादव यहां का सरगना था जिसने अपनी ऊटपटांग बातें सुनाने के लिए एक भीड़ भी तैयार की हुई थी। रामवृक्ष ख़ुद को सम्राट मानता था। बच्चे उसके लिए झंडे लहराते थे तो पुरुष सलामी ठोकते थे। मंच पर उसके साथ उसके ख़ास गुर्गे ही बैठते थे। हथियारबंद गुर्गे उसकी सुरक्षा के लिए उसे घेरे रहते थे। खाना बनाने की ज़िम्मेदारी महिलाओं की थी।
परेशान से बाग के आसपास रहने वाले लोग
इस अराजक माहौल से क़रीब की ही जवाहर कॉलोनी के लोग भी काफ़ी परेशान थे। इसके बावजूद शासन-प्रशासन ने उसे हटाने की कोई कार्रवाई नहीं की। रामवृक्ष यादव की अराजकता के ख़िलाफ़ क़ानूनी लड़ाई लड़ रहे विजयपाल तोमर ने जब हाइकोर्ट में अवमानना की याचिका लगाकर पूछा कि आख़िर प्रशासन रामवृक्ष से कब्ज़ा खाली क्यों नहीं करा पा रहा है तो मथुरा के मजिस्ट्रेट ने लिखकर दे दिया कि कई बार पत्र लिखने के बाद भी उन्हें शासन की तरफ से पर्याप्त पुलिस बल नहीं मिल रहा। विजयपाल का तो आरोप है कि रामवृक्ष के ऊपर यूपी के एक कद्दावर मंत्री का हाथ था। इशारा मुलायम सिंह के भाई शिवपाल यादव की ओर है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने शनिवार को इस सिलसिले में कानपुर में एक बयान भी दिया था जिसका जवाब आज समाजवादी पार्टी ने दिया।
मथुरा के जवाहर बाग में रामवृक्ष यादव बच्चों को भी गुरिल्ला ट्रेनिंग देता था। रामवृक्ष के चंगुल से निकलने के बाद बच्चे बेहद डरे और सहमे हैं और एक-एक कर रामवृक्ष की करतूतें बता रहे हैं।
पेड़ पर चढ़कर हमला करने वाले लड़ाके तैयार किए
जवाहर बाग से मिले देसी और पेट्रोल बम देखकर साफ हो जाता है कि रामवृक्ष ने प्रशासन से निपटने की तैयारी किस कदर कर रखी थी। पुलिस के मुताबिक रामवृक्ष अपने लोगों को जंग लड़ने के लिए गुरिल्ला ट्रेनिंग देता था। हथियारों के साथ पेड़ पर चढ़ने और ऊपर से हमला करने के लिए बड़े पैमाने पर लड़ाके तैयार किए थे। हथियार और गोला-बारूद जमीन के अंदर भी छुपाया गया था। हमला करने के लिए करीब एक हजार एलपीजी सिलिंडर रखे गए थे। पुलिस से बचने के लिए उनमें विस्फोट किया गया।
रामवृक्ष का अपना कोर्ट और सजा के लिए जेल भी
रामवृक्ष ने अपने लोगों को सजा देने के लिए एक अस्थाई जेल भी बनाई थी। वह अपनी अदालत लगाता था और सजा देता था। मुश्किल परिस्थिति से निपटने के लिए उसने करीब 2 महीने का राशन सुरक्षित रखा था।
पुलिस का कहना है कि गैस सिलिंडरों में आग लगाकर अंदर सब कुछ जला दिया गया ताकि मुख्य आरोपी रामवृक्ष यादव और दूसरे आरोपियों के ख़िलाफ़ कोई सबूत बचा ना रहे।
मथुरा हिंसा के बाद जब एक से एक चौंकाने वाली जानकारियां आ रही हैं कि जवाहर बाग़ के भीतर क्या कुछ चल रहा था। वहां एक समानांतर सरकार सी चल रही थी और रामवृक्ष ख़ुद को वहां का सम्राट बताता था। अब असल सवाल ये है कि आख़िर किस राजनैतिक संरक्षण के तहत ये सब दो साल तक चलता रहा?
सरकार की नाक के नीचे चल रही थी अवैध सरकार
जो तस्वीरें सामने आई हैं उनमें साफ दिखता है कि कैसे मथुरा के जवाहर बाग़ में सरकार की नाक के नीचे एक अवैध सरकार सी चल रही थी। रामवृक्ष यादव यहां का सरगना था जिसने अपनी ऊटपटांग बातें सुनाने के लिए एक भीड़ भी तैयार की हुई थी। रामवृक्ष ख़ुद को सम्राट मानता था। बच्चे उसके लिए झंडे लहराते थे तो पुरुष सलामी ठोकते थे। मंच पर उसके साथ उसके ख़ास गुर्गे ही बैठते थे। हथियारबंद गुर्गे उसकी सुरक्षा के लिए उसे घेरे रहते थे। खाना बनाने की ज़िम्मेदारी महिलाओं की थी।
परेशान से बाग के आसपास रहने वाले लोग
इस अराजक माहौल से क़रीब की ही जवाहर कॉलोनी के लोग भी काफ़ी परेशान थे। इसके बावजूद शासन-प्रशासन ने उसे हटाने की कोई कार्रवाई नहीं की। रामवृक्ष यादव की अराजकता के ख़िलाफ़ क़ानूनी लड़ाई लड़ रहे विजयपाल तोमर ने जब हाइकोर्ट में अवमानना की याचिका लगाकर पूछा कि आख़िर प्रशासन रामवृक्ष से कब्ज़ा खाली क्यों नहीं करा पा रहा है तो मथुरा के मजिस्ट्रेट ने लिखकर दे दिया कि कई बार पत्र लिखने के बाद भी उन्हें शासन की तरफ से पर्याप्त पुलिस बल नहीं मिल रहा। विजयपाल का तो आरोप है कि रामवृक्ष के ऊपर यूपी के एक कद्दावर मंत्री का हाथ था। इशारा मुलायम सिंह के भाई शिवपाल यादव की ओर है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने शनिवार को इस सिलसिले में कानपुर में एक बयान भी दिया था जिसका जवाब आज समाजवादी पार्टी ने दिया।
मथुरा के जवाहर बाग में रामवृक्ष यादव बच्चों को भी गुरिल्ला ट्रेनिंग देता था। रामवृक्ष के चंगुल से निकलने के बाद बच्चे बेहद डरे और सहमे हैं और एक-एक कर रामवृक्ष की करतूतें बता रहे हैं।
पेड़ पर चढ़कर हमला करने वाले लड़ाके तैयार किए
जवाहर बाग से मिले देसी और पेट्रोल बम देखकर साफ हो जाता है कि रामवृक्ष ने प्रशासन से निपटने की तैयारी किस कदर कर रखी थी। पुलिस के मुताबिक रामवृक्ष अपने लोगों को जंग लड़ने के लिए गुरिल्ला ट्रेनिंग देता था। हथियारों के साथ पेड़ पर चढ़ने और ऊपर से हमला करने के लिए बड़े पैमाने पर लड़ाके तैयार किए थे। हथियार और गोला-बारूद जमीन के अंदर भी छुपाया गया था। हमला करने के लिए करीब एक हजार एलपीजी सिलिंडर रखे गए थे। पुलिस से बचने के लिए उनमें विस्फोट किया गया।
रामवृक्ष का अपना कोर्ट और सजा के लिए जेल भी
रामवृक्ष ने अपने लोगों को सजा देने के लिए एक अस्थाई जेल भी बनाई थी। वह अपनी अदालत लगाता था और सजा देता था। मुश्किल परिस्थिति से निपटने के लिए उसने करीब 2 महीने का राशन सुरक्षित रखा था।
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