जिला अध्यक्षों की बैठक में सीएम नीतीश कुमार ने रामवृक्ष बेनीपुरी की किताब की पंक्तियां उद्धृत कीं.
पटना:
बिहार में भ्रष्टाचार चरम पर है. अधिकारी नेताओं और कार्यकर्ताओं की नहीं सुनते. यह बिहार के विपक्षी दलों का ही आरोप नहीं बल्कि सत्तारूढ़ महागठबंधन के जिला अध्यक्षों का भी रोना है. आज हुई महागठबंधन के दलों के जिला अध्यक्षों की बैठक में इस बारें में शिकायतें मिलने पर सीएम नीतीश कुमार ने रामवृक्ष बेनीपुरी की किताब की पंक्तियां उद्धृत कीं.
सोमवार को पटना में महागठबंधन के दलों जनता दल यूनाइटेड, राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के जिला अध्यक्षों की बैठक हुई. इसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजद अध्यक्ष लालू यादव, बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक चौधरी और कैबिनेट के सभी मंत्री मोजूद थे. बैठक में हर पार्टी के अध्यक्ष का यही रोना था कि अधिकारी उनकी या कार्यकर्ताओं की न तो इज्जत करते हैं न ही उनकी फरियाद पर कोई कर्रवाई होती है. अधिकांश अध्यक्ष, जिन्हें बोलने का मौका मिला, उन्होंने निचले स्तर पर भ्रष्टाचार की शिकायत की. इस पर नीतीश कुमार ने रामवृक्ष बेनीपुरी की किताब को कोट करते हुए कहा कि उन्होंने लिखा था कि थाने के दरोगा, रेल के टीटी और जेल के जेलर के भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना मुश्किल है.
बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में नवंबर 2015 में सरकार बनने के बाद यह पहला मौका था जब तीनों दलों के कार्यकर्ता और नेता एक साथ बैठे और सरकार के कामकाज पर फीडबैक लेने की शुरुआत हुई. हालांकि नीतीश कुमार जब भाजपा के साथ थे तब हर महीने के अंतिम सोमवार को कार्यकर्ताओं का जनता दरबार होता था. बैठक में लालू यादव ने सभी दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं से सरकार के साथ निश्चय कार्यक्रम को सफल बनाने का आह्वान किया.
हालांकि नीतीश कुमार की ओर से भ्रष्टाचार और खास तौर पर अधिकारियों द्वारा नेताओं की उपेक्षा पर कोई ठोस जवाब न मिलने से नेता मायूस दिखे लेकिन इस बैठक के बाद हर दल के नेताओं को उम्मीद है कि अब सरकार 20 सूत्रों और बोर्ड निगम में रिक्त पदों को जल्द भरने के लिए कदम उठाएगी.
सोमवार को पटना में महागठबंधन के दलों जनता दल यूनाइटेड, राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के जिला अध्यक्षों की बैठक हुई. इसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजद अध्यक्ष लालू यादव, बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक चौधरी और कैबिनेट के सभी मंत्री मोजूद थे. बैठक में हर पार्टी के अध्यक्ष का यही रोना था कि अधिकारी उनकी या कार्यकर्ताओं की न तो इज्जत करते हैं न ही उनकी फरियाद पर कोई कर्रवाई होती है. अधिकांश अध्यक्ष, जिन्हें बोलने का मौका मिला, उन्होंने निचले स्तर पर भ्रष्टाचार की शिकायत की. इस पर नीतीश कुमार ने रामवृक्ष बेनीपुरी की किताब को कोट करते हुए कहा कि उन्होंने लिखा था कि थाने के दरोगा, रेल के टीटी और जेल के जेलर के भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना मुश्किल है.
बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में नवंबर 2015 में सरकार बनने के बाद यह पहला मौका था जब तीनों दलों के कार्यकर्ता और नेता एक साथ बैठे और सरकार के कामकाज पर फीडबैक लेने की शुरुआत हुई. हालांकि नीतीश कुमार जब भाजपा के साथ थे तब हर महीने के अंतिम सोमवार को कार्यकर्ताओं का जनता दरबार होता था. बैठक में लालू यादव ने सभी दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं से सरकार के साथ निश्चय कार्यक्रम को सफल बनाने का आह्वान किया.
हालांकि नीतीश कुमार की ओर से भ्रष्टाचार और खास तौर पर अधिकारियों द्वारा नेताओं की उपेक्षा पर कोई ठोस जवाब न मिलने से नेता मायूस दिखे लेकिन इस बैठक के बाद हर दल के नेताओं को उम्मीद है कि अब सरकार 20 सूत्रों और बोर्ड निगम में रिक्त पदों को जल्द भरने के लिए कदम उठाएगी.
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